
जहां एक ओर सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर धार जिले में हकीकत इससे कोसों दूर है। जिले में कुल 319 सरकारी स्कूल भवन जर्जर घोषित किए जा चुके हैं, जिनमें बच्चों की पढ़ाई कराना जोखिम भरा साबित हो सकता है। शिक्षा सत्र की शुरुआत से ठीक पहले यह स्थिति चिंताजनक बन चुकी है।
सरकार हर साल करोड़ों रुपए शिक्षा बजट पर खर्च करती है, खासतौर से गरीब और ग्रामीण बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के नाम पर। पर ज़मीनी हालात इसके विपरीत हैं। कुछ स्कूल ऐसे हैं जिनकी दीवारें दरक चुकी हैं, छत से मलबा गिरता है और बरसात में पानी सीधे कक्षा में टपकता है। इतना ही नहीं, कई स्कूलों में बिजली, पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
अधिकारियों की उदासीनता बनी बड़ी वजह
जिले के 2377 प्राथमिक और 746 माध्यमिक स्कूलों में से कम से कम 100 से अधिक स्कूल बेहद खराब स्थिति में हैं। इनमें से 26 स्कूलों को अत्यधिक जर्जर मानते हुए डिसमेंटल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है, लेकिन अभी तक स्वीकृति और बजट जारी नहीं हुआ।
विभाग के अनुसार प्रत्येक नए भवन निर्माण के लिए ₹18 लाख की स्वीकृति है, लेकिन जमीनी स्तर पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं दिख रहा है। नए सत्र की शुरुआत 15 जून से हो चुकी है, ऐसे में इन खस्ताहाल स्कूलों में पढ़ाई शुरू कराना बच्चों की जान को खतरे में डालने जैसा है।
ग्रामीण इलाकों की हालत और बदतर
टांडा, गंधवानी, डही, उमरबन और बाग जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है। कई स्कूलों में प्लास्टर उखड़ चुका है, छतें जर्जर हैं और भवन इस्तेमाल लायक नहीं बचे हैं। कांटीजेंसी बजट के नाम पर जो थोड़ी-बहुत राशि आती है, वह रंगरोगन और हल्की मरम्मत तक सीमित रह जाती है।
शौचालय और पानी की स्थिति भी भयावह
स्कूलों में शौचालय की स्थिति भी चिंताजनक है। करीब 183 शौचालयों की मरम्मत के लिए ₹20,000 प्रति यूनिट की राशि जारी की गई है, जिससे सिर्फ छत या पाइपलाइन की मामूली मरम्मत हो सकती है। कई स्कूलों में बच्चियां और महिला स्टाफ शौचालय के अभाव में भारी असुविधा झेल रही हैं।
भविष्य की पढ़ाई पर संकट
जर्जर स्कूल भवनों में बच्चों और शिक्षकों को डर के साए में पढ़ना पड़ता है। बारिश के मौसम में यह खतरा और बढ़ जाता है। शिक्षा विभाग की गाइडलाइन अनुसार जर्जर स्कूल भवनों में कक्षा संचालन प्रतिबंधित है, लेकिन विकल्प न होने के कारण कक्षाएं वहीं लगाई जा रही हैं।