पैंतीस भाजपा विधायकों के अंसतोष में संभावनाएं खोज रही कांग्रेस!


इस असंतोष में कांग्रेस अपने लिये संभावनाएं खोज रही है ठीक वैसे ही जैसे कमलनाथ के मुख्यमंत्री काल में भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के असंतोष में अपनी संभावनाएं खोजी थीं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की नजर में भाजपा के 35 अंसतुष्ट विधायकों है।   


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राजनीति Updated On :

भोपाल। प्रदेश में इस समय पूरी तरह स्थिर सरकार चल रही है लेकिन इस स्थिरता में असंतोष भी नज़र आ रहा है। पिछले दिनों यह असंतोष खुलकर सामने भी आया जब महाकौशल के नेता ने इस बारे में सिलसिलेबार ट्वीट किये। ज़ाहिर है कि इस असंतोष में कांग्रेस अपने लिये संभावनाएं खोज रही है ठीक वैसे ही जैसे कमलनाथ के मुख्यमंत्री काल में भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के असंतोष में अपनी संभावनाएं खोजी थीं। कांग्रेस की नजर भाजपा के 35 विधायकों पर बताई जाती है।

शिवराज सरकार अब पूर्ण बहुमत में है। पार्टी के पास 126 विधायक हैं। पिछले दिनों पार्टी ने चुनाव जीतकर आए दो अन्य सिंधिया सर्मथकों को मंत्री भी बना दिया लेकिन इसके बाद भाजपा के भीतर का असंतोष खुलकर सामने भी नजर आ गया और अजय विश्नोई जैसे नेताओं की नाराजगी भी देखने को मिली। जिन्होंने सबसे ज्यादा सीटें जिताने वाले विंध्य प्रदेश और महाकौशल की अनदेखी की बात कह दी। एकाध और विधायक इस तरह के बयान देते रहे लेकिन वे पार्टी के खिलाफ खुलकर नहीं बोले।

बहुत से भाजपा विधायक और दूसरे नेता निगम-मंडलों में नियुक्ति का रास्ता देख रहे थे लेकिन सीएम शिवराज ने केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही साधा और उनके साथी गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को मंत्री पद दे दिया। जाहिर है यह इसलिए किया गया ताकि दूसरे नेताओं में संदेश दिया जा सके कि भाजपा ने अपना वादा निभाया है। अब ऐसे में सीएम शिवराज कैसे अपने सहयोगियों को काबू में रखेंगे यह समझना मुश्किल है।

असंतोष की खबरें आने के बाद अक्सर विपक्ष के नेता सरकार गिराने जैसी बातें कहते रहते हैं। ठीक ऐसा ही कांग्रेस सरकार में भी हुआ था। कैलाश विजयवर्गीय, नरोत्तम मिश्रा जैसे नेता जब-तब इस तरह के बयान देते रहते थे लेकिन कांग्रेस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और असंतोष थामने में नाकाम रही।

अब यही भाजपा में भी नजर आ रहा है।  कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने पिछले दिनों इशारों में कहा कि भाजपा के  35 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। उनके मुताबिक ये वे विधायक हैं जो छह और सात बार निर्वाचित हुए हैं, वरिष्ठता के मामले मे बहुत आगे हैं, उन्हें संगठन का लालच देकर रोक नहीं पाओगे क्योंकि उन्हें सत्ता में बैठाने का वादा किया था, अब वे रुकने वाले नहीं है।

इसी विषय पर मीडिया संस्थान जोश-होश की खबर कहती है कि भाजपा के भीतर पनप रहे असंतोष पर पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का कहना है कि यह व्यक्तिगत पीड़ा हो सकती है लेकिन संगठन अपने हिसाब से सोचता है, विचार करता है, निर्णय करता है और उसके हिसाब से काम करता है। अजय विश्नोई बहुत वरिष्ठ नेता हैं, उनके मन की पीड़ा स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन संगठन को सारी बातें सोचकर निर्णय करना पड़ता है और उसी के हिसाब से निर्णय होंगे।

जोश-होश ने इस बारे में  राजनीतिक विश्लेशक साजी थामस से भी बात की जिन्होंने कहा कि

राजनीति में जो लोग हैं वे सत्ता में हिस्सेदारी के साथ संगठन में भागीदारी चाहते हैं। भाजपा सत्ता में है इसलिए अधिकांश नेताओं की कोशिश यही है कि उनकी सत्ता में हिस्सेदारी हो, इसमें देरी हो रही है इससे ऐसे लोगों का असंतुष्ट होना या यूं कहें असंतोष स्वभाविक है। सत्ता और संगठन के सामने यह चुनौती भी है, लेकिन भाजपा में बगावत की संभावनाएं बहुत कम रहती हैं इसीलिए सत्ता और संगठन दोनों निश्चिंत भी रहता है।

अगर ऐसे असंतोष को थामा नहीं गया तो भाजपा का नुकसान तय है। हो सकता है कि असंतोष के कारण सरकार पर कोई खतरा न आए लेकिन संगठन स्तर पर यह पार्टी को उसी तरह कमज़ोर करेगा जिस तरह कांग्रेस होती रही है।



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