
धार जिले के राजपुरा वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध पेड़ कटाई का मामला सामने आया है। प्रारंभिक जांच में जहां 54 पेड़ों की कटाई की पुष्टि हुई थी, वहीं संयुक्त उड़नदस्ते की विस्तृत जांच में यह संख्या बढ़कर 65 पहुंच गई है। इससे वन विभाग की कार्यप्रणाली और निचले स्तर के कर्मचारियों की लापरवाही पर सवाल खड़े हो गए हैं।
14 मई को सामने आया मामला, अब जांच अंतिम चरण में
राजपुरा के जंगल में 14 मई को अवैध कटाई की सूचना मिली थी। 15 मई को एसडीओ केके निनामा ने मौके का निरीक्षण कर 54 पेड़ों की कटाई की बात मानी थी। लेकिन जब इंदौर-धार के संयुक्त उड़नदस्ते को जांच के लिए भेजा गया, तो वास्तविकता कुछ और ही निकली। उड़नदस्ते को जंगल में 65 पेड़ों के कटे ठूंठ मिले हैं। कुछ स्थानों पर पेड़ों के ठूंठ जला दिए गए थे, जिससे प्रमाण मिटाने का प्रयास भी सामने आया है।
जंगल में सबूत जलाने का आरोप
ग्रामीणों के मुताबिक कटे हुए कई पेड़ों के अवशेष जला दिए गए थे। यहां तक कि उन्होंने इसके वीडियो भी वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह काम संगठित गिरोह द्वारा किया गया है, और संभवतः इसमें कुछ वनकर्मियों की मिलीभगत भी है। जांच के दौरान वनकर्मियों ने यह भी स्वीकारा कि कुछ छिलपट जला दिए गए थे।
तीन दिन तक चली उड़नदस्ते की जांच, रिपोर्ट जल्द
सात सदस्यीय जांच दल ने तीन दिन तक जंगल का गहन निरीक्षण किया। जांच दल के अध्यक्ष धार डीएफओ प्रदीप मिश्रा हैं। उन्होंने बताया कि जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट जल्द ही सीसीएफ कार्यालय को सौंपी जाएगी। इसके बाद संबंधित डिप्टी रेंजर, रेंजर और अन्य वनकर्मियों पर आर्थिक नुकसान की वसूली और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
फरवरी से थी कटाई की सूचना, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि फरवरी और मार्च के महीनों में ही गिरोह के लोग जंगल में सक्रिय थे। कई बार सूचना देने के बावजूद वन विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। गिरोह के सदस्य पहले मोटरसाइकिलों से लकड़ियां ले जाते थे, बाद में अप्रैल में पिकअप वाहनों का उपयोग होने लगा। कुछ क्षेत्रों में आज भी कटाई की गतिविधियाँ जारी हैं।
अवैध कटाई में कर्मचारी और गिरोह की मिलीभगत
जांच में यह भी संकेत मिले हैं कि कुछ वनकर्मी और स्थानीय ग्रामीण गिरोह से मिलकर पेड़ों की कटाई करवा रहे हैं। रात के समय यह गतिविधियां तेज हो जाती हैं। रतलाम और बदनावर के रास्तों से लकड़ी की तस्करी की जा रही है। कुछ वाहनों को पकड़ा गया, मगर बाद में “समझौता” कर उन्हें छोड़ दिया गया।
अब अधिकारियों में डर, सीएम मोहन यादव की सतर्कता
चूंकि इन दिनों मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद वन विभाग और संरक्षण के मुद्दों पर गंभीर हैं, इसलिए अधिकारी भी अब दबाव में हैं। इसीलिए इस बार की जांच में विशेष सतर्कता बरती गई है और रिपोर्ट में पूरी पारदर्शिता बरतने के निर्देश हैं।