धारः 304 करोड़ के डैम के फूटने का खतरा, बांध से पानी का रिसाव जारी, खाली कराए गए 18 गांव


मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा- जांच होगी ओर लापरवाही बरतने वाले पर होगी कार्रवाई।
जिम्मेदारों की लापरवाही भुगत रहे ग्रामीण, घर छोड़ पहाड़ी पर बैठे हैं।
कारम डैम पर धंसने लगी मिट्टी की पाल, डाउन स्ट्रीम के 15 गांव खाली करवाएं।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :
dhar dam leak

धार। करोड़ों की बर्बादी के बाद भी गुणवत्तापूर्वक काम नहीं किया गया जिससे आसपास के ग्रामीणों को बेघर होना पड़ा और उन्हें अपनी जान बचाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र पर जाना पड़ा है।

कई ग्रामीण बता रहे हैं कि हम जब सुबह उठे तो गांव में चर्चाएं चल रही थीं कि आज गांव खाली करना है। पुलिस व प्रशासन की टीम आई और हमें अपने घरों को खाली करने व सुरक्षित जगह जाने के लिए कहा और हम घरों में ताले लगा कर पहाड़ी पर आ गए हैं।

जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते इसका खामियाजा हम ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। जब डैम का काम चल रहा था तब जिम्मेदार समय पर ध्यान देते तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता।

कई ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी की थी लेकिन जिम्मेदार अधिकारी ने इधर झांकना भी मुनासिब नहीं समझा और करोड़ों रुपये लगाकर उसे पानी की तरह बहा दिया लेकिन फिर भी पानी नहीं रोक पाया।

धार के जिला कलेक्टर डॉ. पंकज जैन से मीडियाकर्मियों को बताया कि भोपाल से बुलवाए गए इंजीनियरों की टीम द्वारा मरम्मत की कवायद जारी है।

नालछा ब्लॉक स्थित ग्राम कोठिदा में कारम नदी पर बने डैम में रिसाव के बाद शनिवार को मिट्टी के बांध की मिट्टी धंसना शुरू हो गई है। हर थोड़ी देर में मिट्टी बांध की पाल से धंसती चली जा रही है। इस कारण आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

नेशनल हाइवे राऊ-खलघाट फोरलेन और नागदा-गुजरी स्टेट हाइवे पर वाहनों की आवाजाही रोकी गई है। साथ ही डैम की डाउन स्ट्रीम यानी निचले हिस्सों में मौजूद 15 गांवों को खाली करवाया गया है। लोगों को पहाड़ी की तरफ जाने के लिए कहा जा रहा है।

डैम की मरम्मत के लिए भोपाल से इंजीनियरों की एक टीम बुलवाई गई है, जो लगभग पहुंचने को है। इधर हालात का जायजा लेने के लिए उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी भारूड़पुरा पहुंचे हैं।

गौरतलब है कि शुक्रवार को दोपहर में कारम नदी पर बने डैम में रिसाव देखने को मिला था। इसके बाद मरम्मत का काम शुरू हुआ, लेकिन दूसरे दिन शनिवार को मिट्टी की बनाई गई पाल धंसना शुरू हो गई। इसने जल संसाधन विभाग के कार्य की पोल खोलकर रख दी है।

बांध बनाते वक्त विभाग एसडीओ व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी कहां और किस स्तर पर हुई, उसकी साफ तस्वीर डैम के लीकेज के रूप में देखने को मिली है।

अब मिट्टी की पाल में कटाव और मिट्टी धंसने के बाद यदि कोई अप्रिय घटना घटित होती है तो यह कई परिवारों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

हालांकि पुलिस व प्रशासन ने आसपास के गांवों को खाली करवाना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि गांवों से लोगों को ताबड़तोड़ निकलवाया जा रहा है।

वाहनों की आवाजाही रूकवाई –

इधर एहतियात के तौर पर राऊ-खलघाट नेशनल हाइवे और नागदा-गुजरी स्टेट हाइवे से वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। बांध फूटने जैसी स्थिति से निपटने के लिए एहतियातन वाहनों को रोका गया है। साथ ही धार-खरगोन में राहत-बचाव की टीमों को अलर्ट पर रखा गया है।

बड़ी संख्या में प्रशासन और मैदानी अमले को लोगों को निकालने में लगाया है। घरों पर ताला लगाकर लोगों को पहाड़ी पर जाने के निर्देश दिए जा रहे हैं ताकि जनहानि से बचा जा सके।

मंत्री सिलावट ने कहा- जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई

भारूड़पुरा-गोठड़ा बांध मामले में जब देशगांव संवाददाता ने जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से बात की तो उन्होंने कहा इस मामले में पूरी जांच करवाएंगे ओर जिम्मेदार व लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा और उन पर कार्रवाई की जाएगी। मैं भी कारम डैम पहुंच रहा हूं। वहां जाकर स्थिति देखता हूं।

इस मामले में ग्रामीणों से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हर बार हम शिकायत करते हैं, लेकिन हमारी शिकायतों को अनदेखा किया जाता है जिसका खामियाजा आज हमारे बच्चे भूखे-प्यासे रहकर घरों को छोड़कर पहाड़ी पर बैठे हैं। प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना व कर्मचारियों की लापरवाही से हमें आज यह दिन देखना पड़ रहा है।



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