
मानसून की देरी के बावजूद धार जिले में खरीफ की फसल बोवनी तेजी से शुरू हो गई है। जून के अंतिम सप्ताह में हुई अच्छी बारिश ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। पहले से खेत तैयार करने वाले किसानों ने समय गंवाए बिना फसलों की बुवाई शुरू कर दी। इस बार किसानों ने परंपरागत किस्मों के साथ-साथ सोयाबीन की नई वैरायटी पर भी भरोसा जताया है।
80 प्रतिशत बोवनी पूरी, मानसून की चाल बनी सहारा
जिले में औसतन अब तक 4 इंच बारिश दर्ज की गई है, जिसके चलते लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र में बोवनी पूरी हो चुकी है। हालांकि कुछ इलाकों जैसे धरमपुरी, मनावर और बदनावर में अब भी 20 प्रतिशत बोवनी बाकी है। यदि आगामी एक-दो दिन में और बारिश हुई, तो पूरी बोवनी होने की संभावना है।
नई किस्मों पर किसानों का भरोसा
किसानों ने इस बार JS 2172, PS 1569, RVS 2218 जैसी नई सोयाबीन वैरायटी का चुनाव किया है, जिनमें कम बीज लागत, बेहतर उत्पादन और कम रोग लगने की संभावना होती है। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो बारिश की अनिश्चितता को देखते हुए किसानों को एक नहीं, दो-तीन किस्मों की बुवाई करनी चाहिए, ताकि किसी भी स्थिति में उत्पादन पर असर न पड़े।
मक्का और कपास की भी बढ़ी रुचि
सोयाबीन के साथ-साथ इस साल मक्का की फसल का रकबा भी बढ़ा है। कपास की बुवाई करने वाले किसानों को कृषि विभाग द्वारा सघन दूरी पर बीज बोने की सलाह दी गई है, ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे।
डीजल ने बढ़ाया खर्च, मजदूरों की कमी
बढ़ती डीजल कीमतों और मशीनरी के किराए से किसानों की लागत बढ़ गई है। पहले जहां एक घंटे ट्रैक्टर चलाने पर 350 रुपए लगते थे, अब यह 500 रुपए तक पहुंच गया है। छोटी जोत वाले किसान यह खर्च किराये पर उपकरण लेकर उठा रहे हैं।
बारिश का असमान वितरण, कई गांव अभी भी प्रतीक्षा में
धार शहर और आसपास के क्षेत्रों में जहां 3-4 इंच बारिश हो चुकी है, वहीं मनावर और धरमपुरी जैसे क्षेत्रों में केवल 2-2.5 इंच वर्षा दर्ज हुई है। इसके चलते कुछ किसान अब भी बारिश के दूसरे दौर का इंतजार कर रहे हैं।
स्वास्थ्य पर भी असर
लगातार बारिश और तापमान में गिरावट से दिन का अधिकतम तापमान 26 डिग्री और न्यूनतम 21 डिग्री हो गया है। इस बदलाव से बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।