सेंट टेरेसा जमीन घोटाले का मामला: मुख्य आरोपी सुधीर दास समेत अन्य आरोपियों की 151 करोड़ रु. की संपत्ति होगी कुर्क


सवधि जमा संपत्ती जो कि करीब 8.53 करोड़ रुपए की है इसका बाजार मूल्य डेढ़ सौ करोड़ बताया जाता है।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :

शहर के सबसे चर्चित सेंट टेरेसा जमीन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। मुख्य आरोपी सुधीर रत्नाकर पीटर दास सहित अन्य आरोपियों की 56 अंचल और दो चल संपत्तियों को कुर्क करने के आदेश जारी किए। इस प्रकार सवधि जमा के रूप में लगभग 8.53 करोड़ रुपए (वर्तमान मूल्य 151 करोड़) की संपत्ति को अस्थाई रूप से कब्जे में लेकर कुर्क किया जाएगा। ईडी ने यह कार्रवाई सोमवार को की।

बता दें कि 17 अगस्त को 2023 को ईडी टीम ने धार में छापामार कार्रवाई कर सुधीर दास सहित सहयोगी सुधीर जैन के चार ठिकानों पर सर्चिंग शुरू की। इस दौरान टीम ने सेंट टेरेसा कंपाउड से लगी दुकानों समेत सुधीर जैन के आवास जवाहर मार्ग और काशी बाग कॉलोनी में सर्चिग की। कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को कब्जे में लेकर ईडी के अधिकारी अपने साथ ले गए थे। इसके बाद यह मामला खासा चर्चाओं में रहा था।

ढाई सौ करोड़ की जमीन का घोटालाः शहर में जमीन से जुड़े माफिया यूं तो कई सालों से सक्रिय हुए। वहीं सेंट टेरेसा का घोटाला कई लोगों ने मिलकर किया। इसमें 250 करोड़ की जमीन को खुर्द-बुर्द किया गया था। शहर में यह अपनी तरह का पहला बड़ा मामला था, जिसमें केंद्र सरकार की एजेंसी ईडी ने सीधे तौर पर दखल देते हुए जांच की।

दान में मिली जमीन को बेचा थाः राजस्व रिकॉर्ड में सेंट टेरेसा की जमीन सर्वे नंबर 29 मगजपुरा के नाम से दर्ज है। सूत्रों की मानें तो यह जमीन 19 अगस्त 1895 में धार स्टेट के महाराजा श्रीमंत आनंद राव पंवार ने महिला अस्पताल और डॉक्टरों के बंगले के लिए दान में दी थीं। राजस्व रिकॉर्ड में जमीन का कुल रकबा 3.074 हेक्टेयर दर्ज था। आरोपियों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन की बिक्री कर अलग-अलग लोगों को बेच दिया। इसी मामले को लेकर महू तहसील के ग्राम पांदा निवासी जयसिंह-केशरसिंह ठाकुर की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने 28 नवंबर 2021 को 27 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई थीं। जमीन घोटाले का सरगना सुधीर अभी फरार चल रहा है।

पुलिस ने इन्हें बनाया था आरोपीः इबियंट पिता रत्नाकर पीटर दास, निकोलस-शांतिलाल जैन, निकोलस-अमृतलाल शर्मा, विवेक पिता नारायण तिवारी, सिद्धार्थ पिता सुनील जैन, शालिनी पति नागालैंड दास, लालाराम-बॉन्डर, विक्रम पिता विनायक, विकास पिता प्रकाशचंद्र जैन, मो. सहजाद पिता अब्दुल रहीम, विदुषी पिता विवेक नारायण, रंजना पति संजय शुक्ला, विनायक पिता मनोहरलाल चौधरी, संजय पिता मनोहरलाल जांगड़े, जगदीश पिता शंकरलाल जांगड़े, संजय-कैलाशचंद्र गंगवाल, संजय शुक्ला पिता गणेश प्रसाद, अपर्णा पति आनंद मिश्रा, पिंकी पति बसंत यादव , पुण्यलाल पिता लब्धिकुमार, रॉयलन पिता जावेद खान, गरीब पिता गणपतलाल मुकाती, अंजू पति सुनील जैन, सागर पति महावीर जैन, आयुषी पति अहिर जैन, आनंद पिता राधाकिशन दीक्षित आदि शामिल हैं। इनमें से अधिकांश की बिल्डर को बाद में जेल भेज दिया गया। जिनमें से कुछ ज़मानत रिक्शा पर भी हो गए हैं।

कनाडाई प्रेस्बिटेरिन मिशन को अस्पताल खोलने दी थीः ईडी की जांच में पता चला कि संबंधित जमीन धार के तत्कालीन महाराजा आनंद राव पंवार की है। यह जमीन महिला अस्पताल और डॉक्टरों के लिए आवासीय सुविधा स्थापित करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए कनाडाई प्रेस्बिटेरियन मिशन की डॉ. मार्गेट ओ होरा को दो गई थी। 1927 में डॉ. होरा के कनाडा चले जाने के बाद उक्त भूमि को मिसल बंदोबस्त (सरकारी रिकॉर्ड) के अनुसार जिला धार, मप्र की सरकारी भूमि के रूप में दर्ज किया गया। बाद में जमीन को विभिन्न व्यक्तियों, धार्मिक संस्थानों की मिलीभगत से सुधीर रत्नाकर, पीटर दास ने जमीन हथियाने का काम किया। जमीन को निजी व्यक्तियों को अधिकारियों की मिलीभगत से रिकॉर्ड नष्ट कर हेराफेरी की गई और आय प्राप्त की।



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