अस्पताल छुपाता रहा, प्रशासन बचता रहा: नवजात की लाश मुंह में दबाए घूमता रहा कुत्ता, तीन दिन बाद सामने आई सच्चाई


महू अस्पताल में नवजात की मौत पर तीन दिन तक झूठ बोला गया। पुलिस ने खुलासा किया कि नाबालिग ने अस्पताल में ही मृत शिशु को जन्म दिया था।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

महू के शासकीय मध्य भारत अस्पताल में तीन दिन पहले नवजात शिशु के शव को कुत्ते द्वारा परिसर में घसीटने की दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया था। अब पुलिस ने इस मामले में बड़ा खुलासा करते हुए पुष्टि की है कि शिशु का जन्म अस्पताल परिसर में ही, शौचालय में हुआ था। जन्म लेने के बाद बच्चा मृत था, और एक नाबालिग लड़की द्वारा उसे वहीं छोड़ दिया गया था।

 

नाबालिग और मां हिरासत में

जानकारी के मुताबिक, शनिवार रात एक 17 वर्षीय नाबालिग अपनी मां और चचेरे भाई के साथ अस्पताल आई थी। प्रसव पीड़ा के चलते वह शौचालय गई और वहीं उसने मृत शिशु को जन्म दिया। किसी को बिना बताए, डर और घबराहट में, वह अपने परिजनों के साथ अस्पताल से बाहर चली गई।

मध्य भारत अस्पताल में हुई मामले की जांच

पुलिस ने गहन जांच और सीसीटीवी फुटेज की मदद से तीन दिनों की मेहनत के बाद इस पूरे घटनाक्रम को सुलझाया। अब तक मिली जानकारी के अनुसार, नाबालिग और उसकी मां को हिरासत में ले लिया गया है। मंगलवार को इस मामले में पुलिस द्वारा आधिकारिक बयान जारी किए जाने की संभावना है।

अस्पताल प्रशासन ने गुमराह किया

इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन की भूमिका शुरू से संदिग्ध रही। प्रभारी डॉ. हंसराज वर्मा और अन्य अधिकारियों ने शुरुआत में बयान दिया था कि अस्पताल में कोई प्रसव नहीं हुआ, और यह भी दावा किया कि कुत्ता शव को बाहर से उठाकर लाया।

लेकिन अब पुलिस जांच में यह पूरी कहानी गलत साबित हो चुकी है। सीसीटीवी फुटेज में लड़की का अस्पताल में प्रवेश, शौचालय में जाना और बाद में बिना किसी सूचना के निकल जाना सब दर्ज है। यही नहीं, अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज सौंपने में तीन दिन तक टालमटोल की, जिसके बाद पुलिस को खुद डिस्क जब्त करनी पड़ी।

 

एसडीएम पहुंचे 40 घंटे बाद

इस संवेदनशील मामले की प्रशासनिक गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि घटना शनिवार सुबह 5 बजे की है, लेकिन प्रशासन की ओर से एसडीएम राकेश परमार और तहसीलदार विवेक सोनी सोमवार दोपहर करीब 1 बजे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अस्पताल प्रभारी और अन्य स्टाफ से चर्चा कर घटनाक्रम की जानकारी ली, लेकिन तब तक पुलिस अपनी जांच लगभग पूरी कर चुकी थी।

राजनीति भी आई सामने

इस घटना के बाद राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। भाजपा के दो गुट इस मामले में आमने-सामने नजर आ रहे हैं। एक गुट जहां डॉ. वर्मा को हर हाल में बचाने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरा गुट उन्हें इस घटना का मुख्य जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई की मांग कर रहा है। दोनों गुटों के नेताओं ने पर्दे के पीछे से दबाव और लॉबिंग शुरू कर दी है।

 



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