हिजाब मामले में सीएम शिवराज के दखल के बाद दमोह के स्कूल की मान्यता निरस्त, लाइब्रेरी-लैब और पुराना सामान मिलने से हुई कार्रवाई


लोक शिक्षण सहायक सागर संभाग के संयुक्त संचालक द्वारा जारी इस आदेश में लिखा है कि संबंधित स्कूल में किए गए निरीक्षण के दौरान मान्यता के नियमों पालन नहीं किया गया।


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भोपाल। बुंदेलखंड इलाके के दमोह शहर में एक स्कूल ने अपने स्कूल की हिन्दू लड़कियों को अच्छे नंबर आने पर जो विज्ञापन दिया उसमें उनकी तस्वीरें हिजाब में थीं जिसे देखकर उन्हें जानने वाले लोग चौंक गए।

गंगा जमना इंग्लिश मीडियम की इस हरकत पर हंगामा हुआ और फिर हिन्दू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी से हिजाब के मामले में जांच करवाई और मामला साबित न होने पर स्कूल को क्लीन चिट दे दी लेकिन स्कूल का विरोध कर रहे हिन्दू संगठनों ने इस जांच का भी विरोध किया और फिर जांच की मांग की।

इस बार जांच सीधे सीएम शिवराज सिंह के द्वारा शुरु करवाई गई और अब स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है। सयुंक्त संचालक शिक्षा ने आदेश जारी कर स्कूल की मान्यता को सस्पेंड किया है। हालांकि इस बार भी कार्रवाई का आधार हिजाब नहीं रहा।

लोक शिक्षण सहायक सागर संभाग के संयुक्त संचालक द्वारा जारी इस आदेश में लिखा है कि संबंधित स्कूल में किए गए निरीक्षण के दौरान द्वारा मान्यता के नियमों पालन नहीं किया गया।

स्कूल में जांच करने पहुंची शिक्षा विभाग की टीम ने जो कमियां देखी, उनके स्कूल में पुस्तकालय की व्यवस्था नहीं मिली। इसके  साथ ही भौतिक शास्त्र और रसायन शास्त्र की अलग-अलग प्रयोगशाला कक्षों में पुराना फर्नीचर, पुराना सामान पाया गया। इस तरह के कई बिन्दू इस आदेश में लिखे हुए हैं और इस तरह अन्य कई बिंदु भी बताए गए हैं।

इस बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस फैसले की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, “दमोह के एक विद्यालय में अनियमितताएँ पाए जाने पर उसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गयी। मेरे भांजे-भांजियों के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी एवं मध्यप्रदेश सरकार ऐसे कृत्यों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

ज़ाहिर है कि हिजाब के मामले में कार्रवाई के लिए जो जांच की गई वह कई अन्य बिंदुओं पर हुई। अब सीएम के सख्त तेवर के बाद दमोह कलेक्टर ने स्कूल पर कार्रवाई करते हुये स्कूल यूनिफॉर्म में हिजाब के बंधन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कॉलेज का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया।

इतना ही नहीं, कलेक्टर के निर्देश के बाद अब अल्लामा इकबाल के ‘लब पे आती है दुआ’ नज्म गाने पर भी रोक रहेगी। अब छात्र प्रातः कालीन प्रार्थना में केवल राष्ट्रगान जन-गण-मन ही गाएंगे।

 स्कूल प्रबंधन का पक्ष

इससे पहले मामले को लेकर सुबह स्कूल प्रबंधन द्वारा पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें स्कूल संचालक मोहम्मद इदरीश द्वारा यह जानकारी दी गई कि समिति ने निर्णय लेते हुए स्कूल यूूनिफार्म में स्कॉर्फ की बाध्यता समाप्त कर इसे स्वैच्छिक कर दिया है और प्रार्थना में भी बदलाव किया है जिससे अब प्रार्थना में सिर्फ राष्ट्रगान गाया जाएगा।

इस दौरान उन्होने यह भी सफाई दी कि पिछले 13 वर्षों से यह स्कॉर्फ ड्रेस कोड का हिस्सा है, और कभी भी इस संबंध में आपत्ति सामने नहीं आई थी। वहीं अभिभावकों द्वारा लगाए गए आरोपों सहित शिक्षकों की नियुक्ति व अन्य आरोपों के संबंध में पूछे जाने पर वह बात को टाल गए और जांच चलने की बात कहने लगे।

कलेक्टर का कहना…

इसी मामले में शुक्रवार को  कलेक्टर मयंक अग्रवाल व पुलिस अधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से वार्ता आयोजित की। पूर्व में उनके द्वारा की गई जांच में स्कूल में क्लीन चिट दिए जाने को लेकर कलेक्टर ने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जांच का बिंदु हिजाब रखा गया था और इसी मामले में स्कूल को क्लीन चिट दे दी गई थी। वहीं उनके द्वारा अन्य बिंदुओ पर जांच किए जाने की बात के साथ अन्य आरोपों पर जो भी नियमानुसार कार्यवाही किए जाने की बात कही गई। इस दौरान उनके द्वारा यह भी कहा गया कि स्कूल केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक संस्थान द्वारा अनुदान प्राप्त है इसलिए जो भी नियम उनपर लागू होते है उन्हें भी ध्यान में रखा जाएगा।



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