महाकाल ज्योतिर्लिंग में बढ़ रहे हैं छेद, गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर लग सकता है प्रतिबंध


रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकाल ज्योतिर्लिंग का आकार लगातार घट रहा है और उसमें छेद भी हो गए हैं। इसे रोकने के लिए टीम ने गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित करने को कहा है।


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उज्जैन Published On :
mahakal jyotirling holes

भोपाल/उज्जैन। दुनियाभर में महाकाल की नगरी के रूप में पहचान बनाने वाले उज्जैन के महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा करने हर साल करोड़ों लोग पहुंचते हैं और महाकाल महालोक बनने के बाद तो यहां हर दिन करीब एक लाख भक्त पहुंचने लगे हैं।

महाकाल पर ऐसी आस्था व हमारी लापरवाही अब ज्योतिर्लिंग पर भारी पड़ने लगी है। श्रद्धालुओं के द्वारा छूने और रगड़ने से महाकाल ज्योतिर्लिंग का स्वरूप तो बिगड़ा ही है, साथ ही इसका आकार भी लगातार घट रहा है।

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) की समिति ने इस पर चिंता जताई है। उसने गर्भगृह में लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की भी सलाह दी है।

एएसआई और जीएसआई की टीम की दिसंबर 2022 में महाकाल की निरीक्षण रिपोर्ट में महाकाल ज्योतिर्लिंग के बिगड़ते स्वरूप पर चिंता जताई गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकाल ज्योतिर्लिंग का आकार लगातार घट रहा है और उसमें छेद भी हो गए हैं। इसे रोकने के लिए टीम ने गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित करने को कहा है।

2019 से हर साल ये समिति महाकाल परिसर का निरीक्षण कर सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपती है। दिसंबर 2022 में समिति ने निरीक्षण किया जिसमें पाया गया है कि 2021 में दिए गए कई सुझावों पर अमल नहीं किया गया। खासकर शिवलिंग पर भस्म का गिरना, श्रद्धालुओं की स्पर्श पूजा और रगड़ने से ज्योतिर्लिंग को काफी नुकसान हुआ है।

अप्रैल 2021 की रिपोर्ट में समिति ने बताया था कि ज्योतिर्लिंग को रगड़ने, भस्म गिरने और स्पर्श पूजा से छोटे-छोटे छिद्र बन गए हैं, जो बढ़ रहे हैं। इनमें पूजन सामग्री के कण रह जाते हैं जिससे बैक्टीरिया पनपते हैं और इसकी वजह से क्षरण हो रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक शिवलिंग का आकार 50 सालों में धीरे-धीरे घटा है। इस संबंध में कई सालों से चिंता जताई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में पेश दस्तावेजों में बताया गया कि ऐसी ही लापरवाही से ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग को काफी नुकसान पहुंचा था। फिर ज्योतिर्लिंग पर वज्र लेप (भस्म, शिलाजीत, गंधक, सीसा, कांसा और लोहे का मिश्रण) लगाया गया, लेकिन तब तक ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरूप के 30% हिस्से का क्षरण हो चुका था।

दिसंबर 2022 की रिपोर्ट में ये लिखा –

  1. ज्योतिर्लिंग का क्षरण रुकने की बजाय बढ़ रहा है।
  2. ज्योतिर्लिंग पर भस्म गिरने से नुकसान हो रहा है।
  3. श्रद्धालुओं के छूने और पूजा के दौरान रगड़ने से ज्योतिर्लिंग में काफी छेद हो चुके हैं।
  4. लापरवाही के कारण ऐसा हो रहा है।
  5. टीम के सुझावों पर मंदिर समिति अमल नहीं कर रही।

 

गर्भगृह में एंट्री बैन करने के सुझाव पर सबसे बात कर करेंगे फैसला –

गर्भगृह में एंट्री और एग्जिट अलग-अलग हों, यह व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हो पा रहा है। गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या सीमित की गई है। एंट्री बैन करने के प्रस्ताव पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी पक्षों से बात करने के बाद फैसला लिया जाएगा। शिवलिंग पर भस्म गिरने से रोकने के संबंध में कई सुधार किए गए हैं। आगे और भी सुधार किए जाएंगे। – कुमार पुरुषोत्तम, कलेक्टर, उज्जैन

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक, टीम की सिफारिशों पर 100 फीसदी अमल होना चाहिए। इससे ही महाकाल ज्योतिर्लिंग को वर्तमान स्वरूप में सुरक्षित रखा जा सकता है। महाकाल मंदिर समिति को शिवलिंग की मॉनिटरिंग का उचित सिस्टम बनाना चाहिए और इसका हर माह निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करना जरूरी हो गया है।



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