सांसद का वार्ड भी हार गए, लेकिन सीएम तो ज़िम्मेदारी लेंगे नहीं इसलिए हार का ठीकरा मुझ पर ही फूटना था- मलैया


क्षेत्र के कद्दावर नेता जयंत मलैया को नोटिस दिया गया है और उनके बेटे सहित कुछ नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया है। मलैया इस सुलूक से आहत हैं और अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल तक पर उंगली उठा रहे हैं।


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दमोह। दमोह उपचुनाव के बाद भाजपा हार के ज़िम्मेदारों को खोजकर उन  पर कार्रवाई की गई है। हालांकि यह कार्रवाई फिलहाल एकतरफा नजर आ रही है। भाजपा के सभी नेताओं के क्षेत्रों में पार्टी की हार हुई है।

इनमें सांसद से लेकर विधायक, नगर अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष तक तक शामिल हैं। इस मामले में क्षेत्र के कद्दावर नेता जयंत मलैया को नोटिस दिया गया है और उनके बेटे सहित कुछ नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया है। मलैया इस सुलूक से आहत हैं और अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल तक पर उंगली उठा रहे हैं।

जयंत मलैया ने दैनिक भास्कर को दिये गए एक साक्षात्कार में अपनी चुप्पी तोड़ी है। यह साक्षात्कार हम साभार प्रकाशित कर रहे हैं। इसमें देशगांव की ओर से कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

मलैया से नोटिस के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने कहा- सिर्फ मेरा बूथ नहीं हारी भाजपा। राहुल लोधी खुद अपना वार्ड हार गए। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जहां रहते हैं, वह वार्ड हार गए। जिला पंचायत और नगर पालिका अध्यक्ष का वार्ड भी हार गए। अब हार का ठीकरा किसी पर तो फोड़ना था, तो मुझ पर और मेरे बेटे पर फोड़ दिया। शिवराज जी हार की जिम्मेदारी तो लेंगे नहीं।

उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री की सभाओं में मौजूद रहा। भाषण भी दिए। बैठकों में शामिल रहा। सिद्धार्थ को 10 अप्रैल से संगठन मंत्री शैलेंद्र बरुआ के साथ काम पर लगाया था। मुझे एक दिन के लिए हेलिकाॅप्टर दिया गया। मैंने 5 सभाएं कीं। फिर कैसे कह सकते हैं कि राहुल की हार मेरे कारण हुई।

मेरी प्रह्लाद पटेल से बनती नहीं है
मलैया ने कहा कि हार का ठीकरा मुझ पर इसलिए फोड़ा गया है, क्योंकि मेरी केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल से बनती नहीं है। उन्होंने राज्यसभा सांसद की सभा में मुझे और गोपाल भार्गव को पूतना (छलकपटी) कहा था। सभा में ही उन्होंने कह दिया था कि लड़ना है, तो मुझ से लड़ो, उससे (राहुल लोधी) क्यों लड़ रहे हो? इससे माहौल ज्यादा खराब हो गया। उन्हें सार्वजनिक मंच से ऐसा नहीं कहना था।

हमें मान-सम्मान मिलना चाहिए
मलैया ने बताया कि मैंने मुख्यमंत्री से कह दिया था कि आगे मुझे टिकट मिले या ना मिले, मेरे बेटे को भी ना मिले, लेकिन मान-सम्मान तो मिलना चाहिए। तब उन्होंने कहा था कि पूरी जानकारी दिल्ली में संगठन महामंत्री को बताएंगे। फिर उन्होंने बताया कि मेरी दिल्ली बात हो गई है।

CM नहीं आए तो हमने ही संभाला था मोर्चा
मलैया ने बताया कि चुनाव की अंतिम रैली में मैंने और गोपाल भार्गव ने मोर्चा संभाला था, क्योंकि मुख्यमंत्री का फोन आया गया था कि वे नहीं आ रहे हैं। आप लोग रैली को संभालेंगे। उस रैली में सिंधिया भी नहीं पहुंचे थे, लेकिन मैं और गोपाल भार्गव 14 अप्रैल को राहुल की अंतिम चुनावी रैली में शामिल हुए थे।

2-3 दिन में दूंगा जवाब, दिल्ली भी जाऊंगा
मलैया ने कहा कि चुनाव का परिणाम आने से पहले ही राहुल से कहलवा दिया या उनके खुद ही कहा कि मलैया के कारण हार गए। अब नोटिस मिला है, तो 2-3 दिन में भोपाल जाकर जबाव दूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके बाद दिल्ली जाऊंगा। कुछ ऐसी बातें हैं, जो दिल्ली में ही बताना पड़ेंगी।

इसलिए हार गए थे पिछला चुनाव
मलैया ने बताया कि 2018 का चुनाव मैं सिर्फ 690 वोट से हार गया था। यह चुनाव सिर्फ पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया के कारण रहा था, क्योंकि वे बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतर गए थे। हमने तो हार के बाद किसी पर आरोप नहीं लगाया था।

CM ने भरोसा दिया था- सिद्धार्थ को 2023 में टिकट देंगे
​​​​​​​मलैया ने बताया कि चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री ने मुझे भरोसा दे दिया था कि 2023 के विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ को टिकट देंगे, क्योंकि सिद्धार्थ ने कहा था कि यदि टिकट नहीं मिली तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेगा, लेकिन हमने कुसमारिया जैसा कुछ भी नहीं किया। मैं पार्टी में कई साल से हूं।

यहां से शुरू हुआ था विवाद
इधर, बीजेपी सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रह्लाद पटेल के खिलाफ गोपाल भार्गव, जयंत मलैया के साथ पूर्व विधायक पथरिया लखन पटेल, तत्कालीन दमोह जिला अध्यक्ष देवनारायण श्रीवास्तव समेत अन्य BJP नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा को एक शिकायती पत्र भी भेजा था।

इसमें कहा था कि पटेल को लोकसभा का टिकट नहीं दिया जाए। हालांकि हाई कमान ने इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद से ही प्रह्लाद पटेल और गोपाल भार्गव के बीच पटरी नहीं बैठती है, इसलिए उपचुनाव में मंत्री भूपेंद्र सिंह को प्रभारी बनाया था।

 गोपाल भार्गव से हुई बैठक में बहस
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि चुनाव परिणाम के बाद कोरोना की समीक्षा बैठक में केंद्रीय मंत्री पटेल और गोपाल भार्गव के बीच बहस भी हो गई थी। हालांकि बात बढ़ते ही मुख्यमंत्री ने दाेनों को यह कहते हुए चुप करा दिया कि अलग से बात करेंगे। दरअसल, दमोह में ऑडियो वायरल हो गया था, जिसमें कोरोना संक्रमित का एक रिश्तेदार ने भार्गव से मदद मांगी थी। भार्गव ने उससे पूछा था कि सांसद से बात नहीं हुई क्या? इस पर उसने कहा कि वे तो दिल्ली में रहते हैं। वे मदद नहीं कर रहे हैं।



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