मप्र विधानसभा चुनाव 2023: 2018 में चुनावी भाजपा के घोषणापत्र में किए गए वादे जो जुमले साबित हुए


BJP के नए घोषणा से पहले पुराने पर नज़र, कई अधूरे वादों पर बात भी नहीं करते हमारे नेता


DeshGaon
राजनीति Updated On :

मप्र विधानसभा चुनावों के महज़ 6 दिन ही शेष हैं और सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी आज अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करने जा रही है। इस मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह चुनावी घोषणापत्र प्रदेश को प्रगति और उन्नति के मार्ग पर बहुत आगे ले जाने की दूरदृष्टि के साथ बनाया गया है। पार्टी अपना यह संकल्प पत्र भोपाल में जारी करेगी। इस मौके पर दोपहर साढ़े बारह बजे कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में  पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के हाथों इसका विमोचन होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित पार्टी के दूसरे नेता मौजूद रहेंगे।

भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र जारी होने की जानकारी एक दिन पहले ही दी थी इस मौके पर  कांग्रेस के नेताओं ने तंज़ किया कि भाजपा ने अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करने के लिए नरक चौदस का ही दिन चुना। हालांकि सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि यह चुनावी घोषणापत्र ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा कि पिछले चुनावी घोषणापत्र में पार्टी ने जो भी वादे किए थे वह पूरे किए और लाडली बहना जैसी योजनाएं तो उससे भी आगे जाकर पूरी कीं।

हालांकि मुख्यमंत्री का यह दावा पूरी तरह सही नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने साल 2018 में जो चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था उसके हिसाब से अब तक कई ऐसे वादे हैं जो पांच साल बाद भी पूरे नहीं हुए और इनमें से कुछ का तो पार्टी के नेता ज़िक्र भी करना नहीं चाहते। ऐसे में जानना जरूरी है कि जो दल लगातार मप्र में अपनी सरकार चला रहा है वह जनता से कितने वादे कर रहा है और कितने पूरे हो रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने साल 2018 में 17 नवंबर को अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया था। इस मौके पर उस समय के पार्टी के रणनीतिकार और वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली भी मौजूद थे। उस समय भाजपा ने अपने इस घोषणा पत्र में किसान, महिला सुरक्षा, स्मार्ट विलेज, युवा रोजगार जैसे विषयों पर ज्यादा ध्यान दिया गया था। इसके अलावा भी पार्टी ने कई बड़े वादे किये हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर अधूरे हैं।

 

यहां एक नज़र भारतीय जनता पार्टी के द्वारा 17 नवंबर 2018 को जारी किए गए चुनावी घोषणा पत्र के महत्वपूर्ण वादों पर।

  • भाजपा ने कहा था कि वे सालाना दस लाख रोज़गार के लिए इंतज़ाम करेंगे, यह सरकारी और गैरसरकारी दोनों सेक्टरों में था, लेकिन फिलहाल प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति बेहद खराब है। एक आंक़ड़े के मुताबिक प्रदेश में चालीस लाख बेरोजगार हैं।
  •  प्रत्येक परिवार से कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार देने का वादा भी अधूरा है।
  • राज्य में सिंचाई का रकबा 41 लाख हैक्टेयर से बढ़ाकर 80 लाख हैक्टेयर करने का वादा था लेकिन फिलहाल यह 43 लाख हैक्टेयर ही है।
  • बेरोजगारों को दस हजार रुपए का अनुदान दिया जाना था लेकिन यह भी नही हुआ।
  • नए वेतन आयोग की स्थापना का भी वादा था लेकिन यह भी अधूरा है।
  • एमपी में फूड प्रोसेसिंग यूनिवर्सिटी का स्थापना का भी वादा था लेकिन यह अब तक नहीं बनी।
  • 1 नवंबर 2018 को रसोई गैस की कीतम 939 रुपए थी और सौ रुपए की छूट देने का वादा था, हालांकि यह वादा कभी पूरा नहीं हो सका।
  • इस संकल्प पत्र में किसानों की आय दोगुना करने का भी वादा था लेकिन यह भी अधूरा रहा। हालांकि सीएम इसे पूरा बता चुके हैं।
  • राज्य के हर मंडल में गाय अभयारण्य और 50 गोकुल गांवों को विकसित करने का वादा था लेकिन यह भी अधूरा है।
  • “नारी शक्ति संकल्प पत्र” नामक अपने महिला घोषणापत्र में, पार्टी ने स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें स्थापित करने का वादा था लेकिन स्कूलों में यह नजर नहीं आती।
  •  राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ‘न्याय तक महिला पहुंच’ योजना की शुरूआत करने का वादा था लेकिन यह अधूरा है।
  •  भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में वैश्विक कौशल पार्क बनाने का वादा भी अधूरा है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो साल 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने कई ऐसे वादे किए थे जो अब तक पूरे नहीं हुए हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें कुल साढ़ तीन साल शासन करने का ही मौका मिला लेकिन इसके बावजूद मौजूदा समय में सीएम शिवराज सिंह चौहान के दावों और पुराने वादों में एक बड़ा अंतर देखने को मिलता है। सीएम इस समय कर्मचारियों की स्थिति, बेरोजगारों की मांगों और भ्रष्टाचार के आरोपों पर बात करना भी नहीं चाहते हैं। शायद ही किसी अवसर पर उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी की हो।



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