लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इन दिनों मध्य प्रदेश के पचमढ़ी और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की वादियों में नजर आए। उन्होंने नर्मदापुरम ज़िले के कांग्रेस प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने के बाद रविवार को पनारपानी क्षेत्र में जंगल सफारी की। यह यात्रा न केवल उनकी थकान मिटाने का जरिया बनी, बल्कि सियासी हलकों में नई चर्चा का विषय भी।
ट्रेनिंग में देर, सज़ा में पुश-अप्स
कांग्रेस के “संगठन सृजन अभियान” के तहत पचमढ़ी में जिला अध्यक्षों के लिए चल रहे प्रशिक्षण सत्र में राहुल गांधी शनिवार को थोड़ी देर से पहुंचे। पार्टी के प्रशिक्षण प्रमुख सचिन राव ने हंसते हुए नियम लागू किया — जो भी देर से आएगा, उसे 10 पुश-अप्स करने होंगे।
राहुल गांधी ने बिना हिचक सफेद टी-शर्ट और ट्राउज़र में मंच पर ही पुश-अप्स लगाए। इसके बाद बाकी जिला अध्यक्षों ने भी उनका साथ दिया, और एक औपचारिक बैठक टीम-बिल्डिंग एक्सरसाइज़ में बदल गई।
गांधी ने कहा, “हम संगठन को नए तरीके से गढ़ रहे हैं। अनुशासन और समानता का भाव ही कांग्रेस की रीढ़ है।”
‘वोट चोरी’ का मुद्दा और बीजेपी की चुटकी
अपने सत्र में राहुल गांधी ने एक बार फिर भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में वोट चोरी हुई है।
“यह सिर्फ धांधली नहीं, बल्कि लोकतंत्र के ढांचे पर हमला है,” उन्होंने कहा।
कांग्रेस का मानना है कि वोटर अधिकार यात्रा के ज़रिए बिहार में राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर जनता को जागरूक किया है।
उधर, बीजेपी ने राहुल गांधी के सफारी और प्रशिक्षण दौरे दोनों पर चुटकी ली। पार्टी प्रवक्ता शहज़ाद जय हिंद ने X (ट्विटर) पर लिखा —
“बिहार में चुनाव चल रहे हैं और राहुल गांधी पचमढ़ी में जंगल सफारी पर हैं। यही हैं उनकी प्राथमिकताएँ। LoP अब Leader of Paryatan and Partying बन चुके हैं।”
उन्होंने आगे लिखा —
“जब कांग्रेस हारेगी, तो चुनाव आयोग पर आरोप लगाएगी और ‘हॉलिडे फाइल्स’ पेश करेगी।”
अपने व्यंग्य को उन्होंने ग़ालिब के अंदाज़ में खत्म किया —
“उम्र भर कांग्रेस ये गलती करती रही, धूल चेहरे पे थी, आईना साफ करती रही।”
कांग्रेस का पलटवार
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बीजेपी की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि राहुल गांधी सीधे बिहार चुनाव प्रचार से लौटे हैं और ट्रेनिंग के बाद वापस वहीं जा रहे हैं।
“यह दौरा पार्टी संगठन को पुनर्गठित करने की प्रक्रिया का हिस्सा है, न कि अवकाश यात्रा,” पटवारी ने कहा।
सियासी अर्थ और प्रतीक
विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह कदम कांग्रेस के अंदर नए अनुशासन और जनसंपर्क की झलक दिखाता है। जंगल सफारी से लेकर पुश-अप्स तक — गांधी की इस यात्रा ने एक प्रतीकात्मक संदेश दिया है कि वे खुद को “जमीनी नेता” के रूप में पेश करना चाहते हैं, जबकि बीजेपी इसे “राजनीतिक आराम यात्रा” बताने पर तुली है।



























