इंदौर में भी सामने आए जानलेवा म्यूकोमाइकोसिस के मामले, डॉक्टर ने बताये बचाव के उपाय


इंदौर में अब तक 11 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें कोरोना को हराने वाले लोग इस जानलेवा साबित होने वाले काले फंगस का शिकार हो चुके हैं। इनमें से 2 मरीजों की तो आंख निकालकर ही जान बचाई जा सकती है।


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फोटो सौजन्यः healthline


इंदौर। महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात के बाद जानलेवा म्यूकोमाइकोसिस अब मध्यप्रदेश में भी लोगों पर वार कर रहा है। कोरोना से उबर चुके लोगों की जान पर अब काली फंगस का साया मंडराने लगा है जो कई मामलों में जानलेवा भी साबित हुआ है।

इंदौर में अब तक 11 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें कोरोना को हराने वाले लोग इस जानलेवा साबित होने वाले काले फंगस का शिकार हो चुके हैं। इनमें से 2 मरीजों की तो आंख निकालकर ही जान बचाई जा सकती है।

एक और अनजान खतरे से अब आम आदमी हैरान है। ऐसे में एक्सपर्ट ही ऐसे मामलों में लोगों को कारगर उपाय बता रहे हैं। इंदौर में 10 साल से ऑर्बिट सर्जरी कर रहे डॉक्टर भाग्येश पोरे की मानें तो ब्लैक फंगस से समस्या बढ़ी है और लोग अपनी आंखें तक गंवा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि ऑर्बिटल म्यूकसमाइकोसिस एक फंगल इंफेक्शन है। लोग कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अस्पताल में इलाज करवाते हैं जहां उन्हें अलग-अलग दवाईयां व स्टेरॉयड दी जाती है जो जान बचाने के लिए बहुत आवश्यक है, लेकिन ये दवाइयां कोरोना संक्रमित मरीजों का शुगर लेवल बढ़ा देती है।

उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के दो-तीन दिन में ही पलकें झुकना, नजर तेज गति से कमजोर हो जाना, आंख में सूजन आना और चेहरे का दर्द लेकर मरीज हमारे पास आ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि जब ऐसे मरीजों का सिटी स्कैन कराया जाता है तो पता चलता साइनस में म्यूकोमाइकोसिस है। यह म्यूकर इतना तेजी से फैलता है कि वो सीधे दिमाग में फैल जाता है।

इसका इलाज भी महंगा है और एक दिन का इलाज औसतन 25 से 30 हजार रुपये प्रतिदिन आता है। इससे पूरी तरह ठीक होने के लिए मरीज को कम से कम 20 से 30 दिन का इलाज चाहिए होता है। जानलेवा फंगस कई बार आंख निकाल लेने के बाद भी जान ले लेता है।

इससे बचाव के लिए डॉक्टर ने बताये ये उपाय –

डॉ. भाग्येश पोरे की मानें तो ऑर्बिटल म्यूकरमाइकोसिस से बचने के लिए ये उपाय आमतौर मरीजो को बचा सकते हैं।

– कोरोना से निगेटिव हो चुके मरीज जब भी डिस्चार्ज होकर हॉस्पिटल से घर लौटे तो शुगर की मॉनिटरिंग नियमित तौर पर करें। जब भी लगे कि शुगर लेवल सामान्य से बढ़ा हुआ है तो डॉक्टर की सलाह लेकर इंसुलिन या अन्य दवाइयों के जरिये नियंत्रित करें।

– एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन जैसे आयोडीन सॉल्यूशन का उपयोग करें। आयोडीन सॉल्यूशन को कम मात्रा में डायल्यूट कर उसकी 2 से 3 बूंदें रोज सुबह और शाम को अपनी नाक में डालें जिससे कभी इंफेक्शन पनपना शुरू हो रहा है तो एंटीसेप्टिक उसको रोक सके।

– मरीजो को ज्यादा ज्यादा ऑक्सीजन और ताजी हवा लेनी चाहिए। इसके लिए मरीज प्राणायाम कर सकते हैं। तेजी से सांस अंदर-बाहर लेने जैसे व्यायाम करना चाहिए। ऐसे उपायों से मरीज काली फंगस के इंफेक्शन से बच सकते हैं।



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