CBSE के ‘शुगर बोर्ड्स’ से स्कूलों में स्वास्थ्य जागरूकता की नई पहल


CBSE ने स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड्स’ स्थापित करने का निर्देश दिया है ताकि छात्रों को अत्यधिक चीनी सेवन के खतरों के प्रति जागरूक किया जा सके। जानिए इस पहल के उद्देश्य और इसके प्रभाव।


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काम की बात Published On :

बच्चों में बढ़ती मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़ और अन्य जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की चिंताओं के बीच, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने देश भर के 24,000 से अधिक संबद्ध स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड्स’ स्थापित करने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को अत्यधिक चीनी सेवन के खतरों के प्रति जागरूक करना और उन्हें स्वस्थ आहार विकल्पों के लिए प्रेरित करना है।

 

शुगर बोर्ड्स क्या हैं?

 

  • ‘शुगर बोर्ड्स’ स्कूल परिसरों में लगाए जाने वाले दृश्यात्मक डिस्प्ले हैं, जो छात्रों को निम्नलिखित जानकारी प्रदान करेंगे:

 

  • बच्चों के लिए अनुशंसित दैनिक चीनी सेवन सीमा।

 

  • आम तौर पर उपभोग किए जाने वाले खाद्य और पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा।

 

  • अत्यधिक चीनी सेवन से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम, जैसे मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़, दंत समस्याएं और ऊर्जा की कमी।

 

  • स्वस्थ आहार विकल्प, जैसे फल, बिना शक्कर वाले पेय और पोषक तत्वों से भरपूर स्नैक्स।

 

CBSE ने स्कूलों को इन बोर्ड्स को आकर्षक और शैक्षिक बनाने के लिए इन्फोग्राफिक्स, तुलना चार्ट और इंटरएक्टिव तत्वों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

 

इस पहल की आवश्यकता क्यों?

हाल के अध्ययनों के अनुसार, भारतीय बच्चों में चीनी का सेवन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित 5% दैनिक कैलोरी सीमा से कहीं अधिक है। 4 से 10 वर्ष की आयु के बच्चे अपनी दैनिक कैलोरी का लगभग 13% और 11 से 18 वर्ष की आयु के किशोर लगभग 15% चीनी से प्राप्त करते हैं। यह अत्यधिक सेवन मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज़ और अन्य चयापचय संबंधी विकारों के बढ़ते मामलों से जुड़ा हुआ है।

 

CBSE के इस निर्देश के पीछे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की सिफारिशें हैं, जिसने बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज़ के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की थी।

 

स्कूलों की प्रतिक्रिया

देश भर के कई स्कूलों ने इस पहल का स्वागत किया है। उदाहरण के लिए, कोलकाता के स्कूलों ने पोषण संबंधी संदेशों को सुबह की सभा में शामिल किया है और इंटरएक्टिव कार्यशालाएं आयोजित कर रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों ने छात्रों के लिए स्वस्थ व्यंजनों की रेसिपी साझा करना शुरू कर दिया है और जंक फूड के सेवन को हतोत्साहित कर रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 122वें संस्करण में CBSE की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा, “आपने स्कूलों में ब्लैकबोर्ड तो देखे होंगे, लेकिन अब कुछ स्कूलों में शुगर बोर्ड्स भी लगाए जा रहे हैं। यह एक अनूठा प्रयास है जो बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।”

 

आगे की राह

CBSE ने सभी संबद्ध स्कूलों को 15 जुलाई 2025 तक शुगर बोर्ड्स स्थापित करने और जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित करने के बाद उनकी रिपोर्ट और तस्वीरें जमा करने का निर्देश दिया है। इस पहल का उद्देश्य न केवल छात्रों को शिक्षित करना है, बल्कि माता-पिता और समुदाय को भी बच्चों के आहार विकल्पों के प्रति जागरूक करना है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि शुगर बोर्ड्स जैसे प्रयास बच्चों में स्वस्थ आहार आदतों को विकसित करने में मदद कर सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ सुनिश्चित किए जा सकते हैं।

 

 



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