इस साल 108 वर्ष पश्चात् नागपंचमी पर बेहद खास और दुर्लभ योग बन रहे हैं। इसमे राहु-केतु के दोषों के अलावा कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक शास्त्री के अनुसार नागपंचमी के दिन इस योग में अगर पूजा की जाए तो राहु और केतु दोषों के अलावा कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिल सकती है।
इस बार नागपंचमी पर योग उत्तरा और हस्त नक्षत्र का दुर्लभ योग बन रहा है। इसके अलावा कालसर्प दोष की मुक्ति के लिए इस दिन परिगणित और शिव नामक नक्षत्र भी लग रहा है। इस दिन खास तरीके से पूजा करके लोग कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकते हैं।
नागपंचमी के दिन पूजा करने से राहु-केतु से बनने वाले दोष और अशुभता से राहत मिलती है। नागपंचमी पर राहु और केतु की पूजा का विशेष योग बनने से इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।
पंडित शास्त्री के अनुसार सावन माह 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त तक रहेगा। सावन महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है क्योंकि शिव के अलावा अन्य सभी देवी-देवता पाताललोक में जाकर निंद्रासन में चले जाते हैं।
नागपंचमी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन नाग देवता के साथ भगवान शिव की पूजा होती है और उनका रूद्राभिषेक किया जाता है। इससे राहु और केतु का बुरा प्रभाव खत्म होता है।
नागपंचमी के दिन शुभ मुहूर्त –
पंचमी तिथि 12 अगस्त की दोपहर 3 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और 13 अगस्त की दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान 13 अगस्त 2021 की सुबह 5 बजकर 49 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। इसकी अवधि 2 घंटे 39 मिनट है।


















