CM का खज़ाना, PM का नज़राना: आंदोलन के मौसम में हर किसान को मिलेंगे 4507 रुपये


किसान आंदोलन के दौरान ही मप्र में सोलह सौ करोड़ रुपये आने की खबर से राहत बांटी जा रही है। 35.5 लाख किसानों को अगर 1600 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं तो एक किसान के खाते में केवल 4507 रुपये आएंगे। यह राशि फसलों का मुआवज़ा नहीं है बल्कि सरकार के द्वारा दी जा रही राहत राशि है।


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बड़ी बात Updated On :

भोपाल। किसानों को खुश करने के लिए राज्य सरकार ने उनके खाते में 1600 करोड़ रुपये जमा करवाने की बात कही है। ये रकम शुक्रवार को 35.5 लाख किसानों के बैंक खातों में जमा होनी है। भारतीय जनता पार्टी और प्रदेश सरकार इसे लेकर जमकर माहौल बना रही है।

बुधवार को किसान आंदोलनों में इस कदम को ख़ूब प्रचारित किया गया। अब शुक्रवार को इसके लिए एक कार्यक्रम किया जाएगा। मुख्य कार्यक्रम रायसेन जिले में होना है। जानकारी के मुताबिक, यहां करीब बीस हज़ार किसान एकत्रित होंगे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी किसानों को संबोधित करेंगे।

किसान आंदोलन से बने विरोध के माहौल को शांत करने के लिए सरकार का यह प्रयास कितना कामयाब होगा यह फिलहाल कहना मुश्किल है क्योंकि इस साल सोयाबीन की फसल में सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ था।

ज्यादा बारिश से नुकसान बहुत हुआ था ऐसे में कई किसान तो सोयाबीन निकाल ही नहीं सके थे। इंदौर जिले में कई किसानों ने शिकायत की है कि इस बार इतना नुकसान हुआ है कि उन्हें लाभ तो दूर फसल की लागत भी नहीं निकलेगी।

ऐसे में अब सोलह सौ करोड़ रुपये आने की खबर से राहत बांटी जा रही है। हालांकि 35.5 लाख किसानों को अगर 1600 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं तो एक किसान के खाते में केवल 4507 रुपये आएंगे।

यह राशि फसलों का मुआवज़ा नहीं है बल्कि सरकार के द्वारा दी जा रही राहत राशि है। जो आरबीसी की धारा 6(4) के तहत दी जाती है।

वैसे इतने बड़े पैमाने पर किसानों को अमूमन इस तरह की राहत राशि नहीं दी जाती है, लेकिन इस बार सरकार किसानों को लेकर ज्यादा उदार नज़र आ रही है। इसकी वजह देश में जारी किसानों के आंदोलन भी हो सकते हैं।

हालांकि इसके दूसरी ओर देखें तो किसानों को मिलने वाली सहूलियतों की सच्चाई कुछ अलग है। ज़रूरी नहीं कि फसल खराबी पर मिलने वाली बीमा राशि सभी किसान को मिल ही जाए।

इसके अलावा बीमा योजनाओं में तकनीकी रुप से भी कई परेशानियां होती हैं। पिछले दिनों इंदौर के अख़बार नईदुनिया में इसे लेकर एक ख़बर प्रकाशित हुई थी। ख़बर कहती है कि इस योजना के तहत इंदौर के सैकड़ों किसानों को वर्ष 2019 की बीमा राशि नहीं मिल पाई है।

इसकी वजह राजस्व, कृषि विभाग, बैंक और बीमा कंपनी की लापरवाही  बताई जा रही है। सहकारी और राष्ट्रीयकृत बैंकों से कृषि ऋण लेने वाले किसानों की प्रीमियम राशि से काटी गई है, लेकिन जब फसल नुकसानी पर बीमा राशि का भुगतान देने की बारी आई तो सूची में कई किसानों के नाम ही नहीं मिले।



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