भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को कहा कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्रियों को लेकर सस्पेंस रविवार को खत्म हो जाएगा। कैलाश से जब पूछा गया कि जब उनसे पूछा गया कि जिन राज्यों में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता है, वहां नए सीएम को लेकर सस्पेंस कब तक रहेगा, विजयवर्गीय ने जवाब दिया, ”रविवार को खत्म हो जाएगा।”
मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर भारतीय जनता पार्टी में खासा मंथन चल रहा है हालांकि इस दौरान पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि यह स्थिति रविवार तक साफ हो जाएगी।
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विजयवर्गीय की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब दिल्ली और तीन हिंदी भाषी राज्यों में सीएम पद पर बैठने वाले भाजपा नेताओं को लेकर गहन चर्चा चल रही है। मप्र में जहां खुद विजयवर्गीय आते हैं वहां तो यह चर्चाएं और भी तेज़ हैं क्योंकि यहां सीएम शिवराज सिंह चौहान 18 वर्षों से लगातार पार्टी की ओर से सीएम का चेहरा रहे हैं और खुद विजयवर्गीय भी यहां से उम्मीदवार बताए जा रहे हैं। इसी प्रदेश में दो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल भी इस पद के काबिल माने जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश
BJP ने मध्य प्रदेश में 230 में से 163 सीटें हासिल की हैं। जिससे 2018 के चुनावों के बाद 15 महीने तक राज्य चलाने के बाद अब फिर वापसी करने की कांग्रेस की उम्मीदें खत्म हो गईं हैं। यहां भाजपा की जीत का श्रेयर पीएम मोदी और सीएम शिवराज की लाडली बहना योजना को दिया गया है।
पिछले 20 वर्षों में से 18 वर्षों तक राज्य पर शासन करने के बावजूद पार्टी ने किसी भी सत्ता विरोधी लहर को नजरअंदाज कर दिया। माना जाता है कि लाडली बहना और किसान सम्मान निधि कार्यक्रमों जैसी भाजपा की कल्याणकारी योजनाओं ने उसे मतदाताओं का विश्वास जीतने में मदद की है।
इस बात की काफी अटकलें थीं कि लंबे समय तक सीएम रहे चौहान को एक और कार्यकाल मिलेगा लेकिन उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा कि वह ‘कभी भी सीएम पद के दावेदार नहीं थे’। उन्होंने कहा, ”न तो मैं पहले सीएम पद का दावेदार था और न ही अब। मैं सिर्फ एक पार्टी कार्यकर्ता हूं और पार्टी जो भी पद या जिम्मेदारी देगी मैं उसे पूरा करूंगा।” ऐसे में माना जा रहा है कि अब शिवराज को अगला कार्यालय नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, वीडी शर्मा और कैलाश विजयवर्गीय शामिल हैं।
राजस्थान
रेगिस्तानी राज्य ने मौजूदा सरकार को दोबारा न चुनने की अपनी परंपरा को कायम रखा और तत्कालीन भाजपा को वोट देकर सत्ता में लाया। मध्य प्रदेश की तरह, राजस्थान भी इस सस्पेंस से घिरा हुआ है कि अगले पांच वर्षों के लिए राज्य की कमान कौन संभालेगा।
शीर्ष पद के लिए संभावित दावेदारों में दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, जयपुर शाही परिवार की सदस्य दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, बाबा बालकनाथ, गजेंद्र सिंह शेखावत और अन्य शामिल हैं।
छत्तीसगढ
यह राज्य पहले कांग्रेस के हाथों में था और पार्टी ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी लेकिन आखिरकार कांग्रेस इसे कायम नहीं रख पाई और भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 54 सीटें जीतकर छत्तीसगढ़ को कांग्रेस से छीन लिया। बघेल इस राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री थे और अब यहां चौथा मुख्यमंत्री भाजपा को देना है। इस पद के लिए पार्टी से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा रेणुका सिंह, अरुण साव, ओपी चौधरी के नामों की चर्चा हो रही है।