
कच्छ में रहने वाले सिख किसानों से प्रधानमंत्री की मुलाकात पिछले चार दिनों से चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, जो किसान प्रधानमंत्री मोदी से 15 दिसंबर को कच्छ में मिले, वे वही पचासेक किसान हैं जो सितम्बर 2013 में अपने ही भाई-बंधुओं की ज़मीनें फ्रीज़ करने के चलते आरोपों में घिरे मुख्यमंत्री मोदी को क्लीन चिट देने दिल्ली आए थे। पेशे से ये भले किसान हों, लेकिन नरेंद्र मोदी के लिए ये संकटमोचक हैं। पहली बार मोदी अपने घर में जब किसानों के मसले पर फंसे तो इन्होंने उबारा। इस बार भी यही समूह काम आया।
इस मुलाकात की कहानी दिलचस्प है, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस किसान के नेतृत्व में ये सारे किसान सितम्बर 2013 में गुजरात सरकार का बचाव करने दिल्ली आए थे, उसी किसान के नेतृत्व में ये 15 दिसंबर को भी कच्छ में पीएम से मिले। दोनों ही बार नेतृत्व करने वाला जो शख्स रहा, वह कच्छ के लखपत तालुका में भारतीय जनता पार्टी का मंडल महासचिव राजू भाई सरदार है।
अब पूरी कहानी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 दिसंबर को अपने गृहप्रदेश गुजरात गए थे। गुजरात में कच्छ जिला उन्हें विशेष प्रिय है। बीस साल पहले आए भूकम्प के बाद से ही वे कच्छ का विकास कर रहे हैं। इसी विकास की कड़ी में कुछ परियोजनाओं का लोकार्पण उन्हें करना था। इस मौके पर उसी दिन समाचार एजेंसी एएनआइ ने कुछ तस्वीरें जारी की थीं।
Gujarat: PM Narendra Modi met people from various groups in Kutch, today.
PM Narendra Modi attended the foundation stone laying ceremony of development projects in Kutch today. pic.twitter.com/BvRLk57gsO
— ANI (@ANI) December 15, 2020
ऊपर ट्वीट में जो लिखा गया है, उसका हिंदी तर्जुमा यह बनता है कि ‘’प्रधानमंत्री मोदी ने आज कच्छ में विभिन्न समूहों के लोगों से मुलाकात की।‘’ बिलकुल इसी विवरण के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने भी बिलकुल यही तस्वीरें ट्वीट की थीं। गुजरात बीजेपी के हैंडिल से भी इसी को रीट्वीट किया गया था, लेकिन सीएम ऑफिस गुजरात ने इन्हीं तस्वीरों में ‘as well as Sikh farmers’ को जोड़ दिया।
During his visit to Kutch, PM Shri @narendramodi, accompanied by CM Shri @vijayrupanibjp, met and interacted with various local groups including Kutchi women active in handicraft activities as well as Sikh farmers who are settled in Kutch. pic.twitter.com/fRIIpYA7oS
— CMO Gujarat (@CMOGuj) December 15, 2020
इसके अलावा अकेले एक शख्स ने ‘’विभिन्न समूहों’’ की जगह ‘’किसान’’ लिखा था- भाजपा के मंडल महासचिव राजू भाई सरदार ने। उन्होंने लिखा था कि वे अपने नेतृत्व में “कच्छ के सिख किसानों का प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री से मिलने गए हैं।” तस्वीर को फिर से देखें, प्रधानमंत्री के ठीक सामने आधी जैकेट में राजू भाई सरदार बैठे हैं।
इस तस्वीर को यह कह कर प्रचारित किया गया कि प्रधानमंत्री ने कच्छ में सिख किसानों से मुलाकात की है और उनका दुख दर्द सुना है। जिन्हें निंदा करनी थी, उन्होंने भी झट से यही मान लिया और सवाल उठा दिया कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली में डेरा डाले किसानों से नहीं, बल्कि कच्छ जाकर सिख किसानों से मुलाकात क्यों की।
बहरहाल, भाजपा नेता के नेतृत्व में किसानों का प्रधानमंत्री से मिलने जाना कोई समस्या वाली बात नहीं है। सवाल है कि ये किसान किस समस्या का जिक्र करने प्रधानमंत्री के पास गए थे। क्या उन्होंने कृषि कानून पर कोई चर्चा की? इसका जवाब हमें आजतक की रिपोर्टर के सवाल में मिलता है जब नरेंद्र मोदी के साथ बैठक कर के लौट रहे एक सिख से उसने पूछा कि किसान कानून पर उनकी प्रधानमंत्री से क्या बात हुई। उन्होंने साफ़ कह दिया कि कानून पर कोई बात नहीं हुई, केवल गुरद्वारा बनाने पर बात हुई है।
BJP Propaganda alert ⚠️
Koi sharam h ya nhi Jhasaram tumko ya Sharam ko bhi privatise kardiya hoga tumne to kisi tucchi company ko?
You are a PM of this great nation and the nation ashamed of you such a loser you are Narendra Modi
pls go & kwil yourself#CongressForProgress pic.twitter.com/dhRCuuo5fi
— Mechanophilia (@51Mechanophilia) December 17, 2020
खुद राजू भाई सरदार ने कृषि कानूनों को लेकर जो ट्वीट किया है, उससे इस बात की संभावना वैसे भी खत्म हो जाती है कि वे कृषि कानूनों से रुष्ट किसानों को मिलवाने प्रधानमंत्री के पास ले जाएंगे, जबकि वे खुद भाजपा के पदाधिकारी हैं। वे शुरू से ही पार्टी कार्यकर्ता का धर्म निभाते हुए कृषि कानूनों का प्रचार करते रहे हैं।