महूः अपने ही संविधान के विरूद्ध भाजपा मंडल ने घोषित की कार्यकारिणी


अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी कार्यकाल तीन साल का होता है, लेकिन अध्यक्षों ने तेरह महीने तो बिना कार्यकारिणी के निकाल दिए। अब नई कार्यकारिणी को काम करने के लिए मात्र 23 महीने ही मिलेंगे।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
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– तीन साल का कार्यकाल, तेरह महीने बिना कार्यकारिणी के निकाल दिए
महू। हर बार संविधान व अनुशासन की दुहाई देने वाली भाजपा मंडल अध्यक्षों ने जिस कार्यकारिणी की घोषणा की वह अपने ही संविधान के विरूद्ध है।

अध्यक्ष सहित कार्यकारिणी कार्यकाल तीन साल का होता है, लेकिन अध्यक्षों ने तेरह महीने तो बिना कार्यकारिणी के निकाल दिए। अब नई कार्यकारिणी को काम करने के लिए मात्र 23 महीने ही मिलेंगे।

महू विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को पांच मंडलों में बांटा गया है जिनके अध्यक्षों की घोषणा तेरह माह पूर्व हो चुकी थी, लेकिन नई कार्यकारिणी को ढूंढने में इन्हें तेरह महीने का समय लग गया।

जो कार्रकारिणी घोषित की गई वह भी चर्चाओं में है क्योंकि यह पार्टी के संविधान के विरूद्ध बताई जा रही है।

इस संबंध में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सोमानी का कहना है कि

एक मंडल की कार्रकारिणी में सोलह पदाधिकारी का नियम है जबकि घोषित कार्रकारिणी में बीस से बाईस पदाधिकारी लिए गए। ग्रामीण मंडल की कार्रकारिणी में एक महामंत्री का पद अनुसूचित जाति जन जाति के लिए आरक्षित हैलेकिन इसकी अनदेखी की गई। यह बात वरिष्ठों को ध्यान में लेना चाहिए।

पार्टी के जानकारों का कहना है कि एक मंडल में अध्यक्ष के साथ साठ सदस्य होते हैं। इसमें भी एक अध्यक्ष व 16 पदाधिकारी शेष सदस्य होते हैं।

इसमें भी 33 प्रतिशत महिला जिसमें दो पदाधिकारी होनी चाहिए। दो महामंत्री में एक पद अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए है, लेकिन चार मंडल द्वारा घोषित कार्यकारिणी में इस नियम की उपेक्षा कर एक भी अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्य को इस पद पर नहीं लिया गया।

यही नहीं अपनों को खुश करने के लिए भी नियमों की अनदेखी की गई क्योंकि चारों मंडल अध्यक्षों ने 21 से 22 पदाधिकारी बनाएं।

इसके अलावा महू मंडल की कार्यकारिणी की दो सूची जारी हुई जिसमें एक में दो महामंत्री व एक में तीन महामंत्री लिए गए जबकि नियमानुसार दो महामंत्री होते है। दूसरी सूची में अपने एक साथी को खुश करने के लिए तीसरा महामंत्री बनाया गया।



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