हमारे 80 रुपये का हुआ उनका एक डॉलर, इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट


1 डालर का दाम 80 रुपये तक जाकर आ चुका है, यह सबसे बड़ी गिरावट है और एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक निचला स्तर है। जो भारतीय मुद्रा के कमज़ोर होने के संकेत दे रहा है।


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भोपाल। डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में खासी गिरावट देखी जा रही है। इस बार रुपये का दाम ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। मंगलवार को एक डॉलर के मुकाबले 80.05 रुपये देना पड़ रहा है। ज़ाहिर है यह स्थिति चिंताजनक है। इसके साथ ही अब यह तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में रुपया और भी गिरेगा। केंद्र सरकार की ओर से अब तक इसके लिए कोई ख़ास उपाय नहीं किये गए हैं।

रुपया 80.05 प्रति डॉलर का स्तर छूकर आ चुका है और अब  79.90/94 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर ट्रेड कर रहा था।  इससे पिछले सत्र की बात करें तो अंतराष्ट्रीय बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 16 पैसे की गिरावट के साथ 79.98 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान यह थोड़े समय के लिए 80 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक निचले स्तर तक चला गया था।

बाजार सूत्रों के मुताबिक रुपये में गिरावट आने का कारण कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी और विदेशी पूंजी की बाजार से लगातार निकासी जारी रहना है। विदेशी पूंजा की निकासी का सीधा सा मतलब है कि विदेशी निवेश में कमी आना। यह बेहद खतरनाक संकेत हैं क्योंकि आने वाले दिनों में अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से हाथ खींचते हैं तो अर्थव्यवस्था के लिए यह नुकसानदेह साबित होगा।

रुपये की कमज़ोरी के बाद से ही केंद्र की मोदी सरकार निशाने पर हैं। विपक्ष द्वारा रोज़ाना प्रधानमंत्री मोदी के पुराने बयान दिखाए जा रहे हैं। ये वही बयान हैं जो पीएम मोदी ने तब दिये थे जब वे गुजरात के सीएम थे केंद्र में कांग्रेस की यूपीए गठबंधन वाली सरकार की थी। जहां वे कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि रुपये की गिरावट केंद्र सरकार की नाकामी है और सरकार इस पर कुछ नहीं कर रही है। अब खुद निशाने पर पीएम मोदी हैं।



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