सुप्रीम कोर्ट की पैनल कमेटी की रिपोर्ट में दावा- रद्द किए गए कृषि कानून से खुश थे 86 फीसदी किसान संगठन

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी 2021 में कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, शेतकारी संगठनों से जुड़े अनिल धनवत और प्रमोद कुमार जोशी की एक पैनल कमेटी बनाई थी।

farm laws sc panel committee

नई दिल्ली। तीनों कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की पैनल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एक बड़ा दावा करते हुए बताया है कि देशभर के 86 फीसदी किसान संगठन सरकार के कृषि कानून से खुश थे। ये किसान संगठन करीब 3 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

इसके बावजूद इन कानूनों के विरोध में कुछ किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने नवंबर 2021 में इन कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जनवरी 2021 में कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, शेतकारी संगठनों से जुड़े अनिल धनवत और प्रमोद कुमार जोशी की एक पैनल कमेटी बनाई थी।

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कमेटी ने मार्च 2021 में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी थी। रिपोर्ट में सरकार को कृषि कानून से जुड़े सुझाव भी दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पैनल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फसल खरीदी और अन्य विवाद सुलझाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत है। इसके लिए किसान अदालत जैसा निकाय बनाया जा सकता है।

इसके साथ ही कमेटी ने यह भी कहा है कि कृषि के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए एक बॉडी बनाने की जरूरत है। कमेटी की रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक होने का अनुमान है।

कमेटी की रिपोर्ट में और क्या-क्या –

किसान और कंपनी के बीच एग्रीमेंट बने और उसमें गवाह किसान की ओर से हो।

बाजार में वस्तुओं की कीमत कॉन्ट्रैक्ट प्राइस से अधिक हो जाए, तो इसकी समीक्षा का प्रावधान हो।

सरकार की ओर से तय कीमत का प्रचार-प्रसार अधिक किया जाए, जिससे किसान नई कीमत से अपडेट रहें।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित रूप से काले कानून के तौर पर बताए जा रहे तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा के बाद दिसंबर 2021 में किसान संगठनों और सरकार के बीच अंतिम दौर की बातचीत में कई मुद्दों पर सहमति बनी थी।

इनमें एमएसपी निर्धारण पर कमेटी बनाने, मृत किसानों को मुआवजा देने और किसानों पर आंदोलन के दौरान लगे मुकदमे हटाने पर सहमति बनी थी।

जानिए क्या होती है एमएसपी

एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, इसे ही एमएसपी कहा जाता है। अगर बाजार में फसल की कीमत कम भी हो जाती है, तो भी सरकार किसान को एमएसपी के हिसाब से ही फसल का भुगतान करेगी। इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं। ये एक तरह फसल की कीमत की गारंटी होती है।

इन फसलों पर सरकार देती है एमएसपी –

अनाज वाली फसलें: धान, गेहूं, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी, जौ।
दलहन फसलें: चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर।
तिलहन फसलें: मूंग, सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, तिल, नाइजर या काला तिल, कुसुम।
बाकी फसलें: गन्ना, कपास, जूट, नारियल।

First Published on: March 21, 2022 3:22 PM