सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, CBI जांच के लिए जरूरी होगी राज्य की सहमति


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में आदेश दिया है कि किसी भी मामले में जांच करने से पहले सीबीआई को राज्य सरकार की अनुमति लेना जरूरी होगा।


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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में आदेश दिया है कि किसी भी मामले में जांच करने से पहले सीबीआई को राज्य सरकार की अनुमति लेना जरूरी होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत वर्णित शक्तियों और अधिकार क्षेत्र के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो को किसी भी मामले की जांच से पहले संबंधित राज्य सरकार से सहमति की जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये संवैधानिक प्रावधान संविधान के संघीय चरित्र के अनुरूप है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने ये फैसला उत्तर प्रदेश में फर्टिको मार्केटिंग एंड इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ CBI द्वारा दर्ज मामले में सुनाया है।

अभियुक्त द्वारा इस केस में दावा किया गया था कि धारा-6 के तहत राज्य सरकार की सहमति के बगैर ही सीबीआई के पास निहित प्रावधानों के मद्देनजर जांच कराने की कोई शक्ति नहीं दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि DSPE अधिनियम की धारा-5 केंद्र सरकार को केंद्र शासित प्रदेशों से परे सीबीआई की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने के काबिल बनाती है, लेकिन जब तक कि DSPE अधिनियम की धारा-6 के तहत राज्य सरकार जब तक सहमति नहीं देता है, तब तक यह स्वीकार्य नहीं है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि FIR दर्ज करने से पहले सहमति प्राप्त करने में विफलता पूरी जांच को समाप्त कर देगी। वहीं राज्य का तर्क था कि DSPE अधिनियम की धारा-6 के तहत पूर्व सहमति अनिवार्य नहीं है बल्कि यह सिर्फ निर्देशिका है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस साफ किया कि उत्तर प्रदेश राज्य ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 और अन्य अपराधों की जांच के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में CBI की शक्तियों के विस्तार और अधिकार क्षेत्र के लिए सामान्य सहमति प्रदान की है।

आठ राज्यों द्वारा सामान्य सहमति वापस लिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण समझा जा रहा है।



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