लाडली बहना की दस तारीख के लिए नहीं आ रही वेतन की पांच तारीख, 1.35 लाख आंगनवाड़ी कर्मियों को तीन महीने से नहीं मिला वेतन


कमलनाथ का सवाल जब बजट है तो वेतन देने में क्या दिक्कत! सरकार पर आंगनवाड़ी कर्मियों की उपेक्षा का आरोप


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उनकी बात Updated On :

मप्र में हर दस तारीख को अब लाडली बहना की तारीख कहा जाता है। प्रदेश में इसे सबसे अहम योजना बनाया गया है और अब इसे इसी तरह से लिया भी जा रहा है और इस योजना के प्रति सरकार इतनी गंभीर दिखाई दे रही है कि बाकी जरूरी काम जैसे रुकने लगे हैं।

दरअसल प्रदेश में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। अमूमन इन कर्मियों का वेतन महीने की पांच तारीख तक मिल जाता था लेकिन ऐसा फिलहाल तो नहीं हो रहा है। जानकारों का कहना है कि प्रदेश की वित्तीय व्यवस्थाएं गड़बड़ाई हुई हैं और इसी के चलते कर्मचारियों के वेतन अटक रहे हैं हालांकि सरकार ऐसी किसी भी स्थिति से इंकार करती रही है। इसके लिए आंगनवाड़ी कर्मी लगातार मांग कर रहीं हैं लेकिन उनकी बात न तो सुनी जा रही है और न ही सरकार खुद ही इनके लिए कोई कदम उठा रही है। इसे लेकर अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की आवाज़ उठाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से इस मामले पर जल्द से जल्द कदम उठाने की मांग की है।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन रुकने के चलते उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। नाम प्रकाशित न करने की अपील पर भोपाल जिले की एक आंगनवड़ी कार्यकर्ता बताती हैं कि उन्हें तेरह हजार रु मिलते हैं और इसके लिए उनसे जी तोड़ काम लिया जाता है लेकिन वेतन के नाम पर उपेक्षा जारी है। वे बताती हैं कि तेरह हजार रुपए भी कई साल के संघर्ष के बाद हुए हैं पहले तो हालत इससे भी खराब थी। वे बताती हैं कि अन्य योजनाओं के दबाव के कारण अब सरकार के पास पैसा नहीं है और ऐसे में सबसे आसान होता है आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का वेतन रोक देना क्योंकि सरकार मानती है कि यह सबसे कमज़ोर कर्मी हैं।

 

इस मामले पर विपक्ष के नेता भी बोल रहे हैं, कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता। अर्थात, जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है। यह हमारी भारतीय संस्कृति का शाश्वत उद्घोष है। लेकिन मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने कसम खा रखी है कि महिलाओं का किसी रूप में सम्मान तो क्या सामान्य जीवन भी व्यतीत न हो सके।’

कमलनाथ ने आगे लिखा, ‘प्रदेश के 35 जिलों में कार्यरत 60000 से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को पिछले 3 महीने से मानदेय नहीं मिला है। एक तरफ केंद्र सरकार बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए बड़ी-बड़ी बातें कर रही है तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में उन्हें उनके बुनियादी अधिकार से भी वंचित कर रही है।’

कमलनाथ ने सीएम मोहन यादव से पूछा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रति इस तरह का उपेक्षापूर्ण और सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? जब मुख्यमंत्री बार-बार कहते हैं कि प्रदेश में बजट की कमी नहीं है तो फिर मानदेय न देने की और क्या वजह है? उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को तत्काल वेतन का भुगतान किया जाए।

प्रदेश में करीब 97 हजार आंगनवाड़ी हैं और इनमें 1.35 लाख कार्यकर्ता और सहायिकाएं काम करती हैं। इन्हें क्रमशः तेरह और साढ़े छह हजार रुपए वेतन के रूप में मिलते हैं जो हर महीने की पांच तारीख तक मिल जाते हैं लेकिन इस बार इन्हें  आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इसे लेकर लगातार ज्ञापन और प्रदर्शन कर रहीं हैं लेकिन उनकी फिलहाल कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

इन कर्मियों की कई दूसरी मांगें भी हैं।

  •  केंद्र शासन के आदेशानुसार मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को पूर्ण केंद्र में उन्नयन कर मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और कार्यकर्ता बनाते हुए सहायिका सहित सभी सुविधाएं दी जाएं।
  • वर्ष 2022 एवं 2023 में कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को यूनिफार्म की राशि दी जाए।
  • संचालन संबंधी सभी सामग्री केंद्र पर ही उपलब्ध कराई जाए। टीएचआर के बैग को परियोजना कार्यालय से केंद्रों तक परियोजना व्यय पर ही भिजवाया जाए।ॉ
  • जुलाई 2023 में सेवानिवृत्त हुई सभी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को एकमुश्त राशि का भुगतान नहीं किया गया है। जिसका तत्काल भुगतान कराया जाए।
  • पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य एवं दुर्घटना बीमा का लाभ उन सभी बहनों को दिलाया जाए जो किसी दुर्घटना से पीड़ित हैं।
  • मंगल दिवस, आनलाइन काम करने के लिए मोबाइल डाटा की राशि का भुगतान भी शीघ्र कराया जाए। जो कि पिछले एक वर्ष से अटका हुआ है।
  • आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कार्यालीन कार्यों से मुक्त रखा जाए। जिससे कि आंगनबाड़ी की सेवाएं प्रभावित न हो।

 



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