नौकरी के लिए भूख हड़तालः पांच साल बाद भी शिक्षक भर्ती पास अभ्यर्थियों का प्रदर्शन जारी, महिलाओं के साथ छोटे बच्चे भी पहुंचे


अभ्यर्थियों का दर्द, नौकरी के इंतज़ार में गुज़र गई उम्र, सरकार के प्रति गुस्सा लेकिन ज़ाहिर करने में भी लग रहा डर


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उनकी बात Updated On :

मध्यप्रदेश में चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में सरकार तमाम रूठे हुओं को मनाने में लगी हुई है। पिछले कई दिनों में कई सामाजिक कार्यक्रम हुए जहां अलग-अलग समाजों को खुश करने के लिए मुख्यमंत्री ने कई घोषणाएं की। इस बीच चुनावों का मुख्य मुद्दा रोजगार अब तक जस का तस बना हुआ है।

साल 2018 में शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी फिलहाल भूख हड़ताल कर रहे हैं। उनकी यह भूख हड़ताल सैकड़ों प्रदर्शनों के बाद एक आखिरी एक तरीका है सरकार को अपनी बात कहने का, क्योंकि अब तक उनके प्रदर्शनों के बाद भी अधिकारी और राजनेताओं ने उनकी बात नहीं सुनी है।

भोपाल में लोक शिक्षण संचालनालय के कार्यालय के बाहर यह भूख हड़ताल 22 मई से जारी है। शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर चुकी कई महिलाएं और पुरुष अभ्यर्थी यहां अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ कड़ी धूप में टेंट के नीचे इस उम्मीद में भूख हड़ताल कर रही हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कम से कम उनकी बात सुन लें और उन्हें अब नौकरी दे दें। इस भूख हड़ताल में दो महिलाएं रक्षा जैन और रचना व्यास शामिल हैं।

इसके अलावा आसपास के कई जिलों से अभ्यर्थी यहां पहुंच रहे हैं और हड़ताल में बैठ रहे हैं। यहां अभ्यर्थियों के साथ उनके छोटे भी आए हैं जो आसपास दिखाई दे रहे हैं। नौकरी हासिल करने के लिए यह सभी लोग अब तक 100 से भी अधिक बार प्रदर्शन कर चुके हैं और कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक से मिलकर नियुक्ति देने की गुजारिश कर चुके हैं।

भोपाल में भूख हड़ताल का पांचवां दिन

इन अभ्यर्थियों के मन में नौकरी हासिल करने के लिए सरकार का डर इतना है कि वे अपने विरोध के बावजूद सरकार के विरोधी के तौर पर नहीं नजर आना चाहते। कई अभ्यर्थियों ने अपने नाम न प्रकाशित करने की अपील की।

वर्ष 2018 में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया अधूरी छोड़ दी गई थी ऐसे में यह अभ्यर्थी चाहते हैं कि अब यह प्रक्रिया पद वृद्धि के साथ पूरी की जाए इसके अलावा स्थाई शिक्षक भर्ती 2018 के उपेक्षित विषयों के रिक्त पदों में भी बढ़ोतरी कर तीसरी काउंसलिंग शुरू की जाए।

महिला अभ्यर्थी अपने बच्चों को लेकर तेज गर्मी के बीच हड़ताल में बैठने को मजबूर हैं।

अभ्यर्थियों ने बताया कि कई तरह की अनियमितताएं हैं। इनमें ओबीसी आरक्षण का भी एक विषय है। इसे समझाते हुए वे कहते हैं कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का मामला कोर्ट में चल रहा था। ऐसे में रोस्टर नियम में तय था कि 13 प्रतिशत सीटें ओबीसी की होल्ड रहेंगी और 14 प्रतिशत पर ही नियुक्ति दी जाएगी, लेकिन विभाग ने 27 प्रतिशत से ओबीसी श्रेणी को नियुक्ति दे दी है। जो कि नियमों के खिलाफ है और कोर्ट का फैसला अब तक नहीं आया है। वहीं अन्य EWS  की नौकरियां भी अन्य श्रेणियों के अभ्यर्थियों से भर दी गई हैं।

अभ्यर्थी नौकरी के लिए किस कदर परेशान हैं इसके कई उदाहरण इनकी जिंदगी की असल कहानियों में सुनने को मिलते हैं। भर्ती परीक्षा में अच्छे अंको से पास हुई कई महिलाएं काबिल होते हुए भी 5 से 7 हजार रुपये में निजी स्कूलों में पढ़ा रही हैं। एक अभ्यर्थी कहती हैं कि उससे उनका घर नहीं चलता और कुछ हद तक शर्मिंदगी भी होती है क्योंकि उन्हें अपनी काबिलियत से काफी कम पर समझौता करना पड़ा है, लेकिन इसके अलावा कोई चारा नहीं था।

जबलपुर की एक अभ्यर्थी बात करते हुए रो पड़ती हैं। वे इस प्रदर्शन में नहीं आई हैं। वे कहती हैं कि अब उन्हें खुद पर भरोसा नहीं रहा। कहती हैं कि यह चुनावी साल आखिरी उम्मीद है पता नहीं आने वाले दिनों में उनका जीवन कैसा होगा क्योंकि अब घर खर्च के पैसे भी पूरे नहीं पड़ते।

वह बताती हैं कि

उनका नाम लिस्ट में काफी ऊपर था ऐसे में उम्मीद लगी थी कि आज नहीं तो कल नियुक्ति मिल ही जाएगी लेकिन फिलहाल सरकार की ओर से इस बारे में कोई बात नहीं हो रही। मैं बताती है कि अक्सर में लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों को फोन कर जानकारी मांगने की कोशिश करती हैं लेकिन वहां से भी अभ्यर्थियों के साथ एक तरह से दुर्व्यवहार ही किया जाता है।

सागर जिले की रहने वाली अभिलाषा बताती हैं कि

काबिल होने के बावजूद नौकरी ना मिलना उनकी तरह कई नौजवानों का मनोबल गिराता है। अभिलाषा अब बच्चों को कोचिंग पढ़ाती हैं और यही उनके घर चलाने का एक जरिया है। कहती हैं कि उम्र हो रही है ऐसे में जल्द से जल्द नियुक्ति मिल जाए तोे ठीक क्योंकि अब दूसरी पढ़ाई भी नहीं होगी।

नौकरी का इंतजार कर रहे इन अभ्यर्थियों की मनोदशा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल जरूर कर रहे हैं लेकिन सार्वजनिक तौर पर सरकार के खिलाफ नजर नहीं आना चाहते उन्हें डर है कि सरकार इससे नाराज हो जाएगी और उनकी नियुक्ति की फिर कभी नहीं होगी।

भोपाल पहुंचे एक अभ्यर्थी राम तिवारी बताते हैं कि

वे सरकार के खिलाफ नहीं है लेकिन नाराज जरूर हैं क्योंकि इतने वर्षों में बेरोजगारों की सुध नहीं ली गई। कहते हैं कि मुख्यमंत्री तमाम बातें सुनते हैं ऐसे में अभी उम्मीद बंधी हुई है कि हम बेरोजगारों की बात भी सुन ली जाएगी और चुनाव से पहले हमें भी हमारी नौकरी दे दी जाएगी।

इनकी मांगें…

  • 2018 की भर्ती पहले पूरी की जाए और इसके बाद ही 2023 की भर्ती परीक्षा शुरु की जाए।
  • हिन्दी और संस्कृत विषयों की वर्ग एक और दो में पांच पांच सौ पदों की वृद्धि की जाए।
  • EWS के 1039 पदों को नियोजित कर नियोजन प्रक्रिया शुरु की जाए।
  • वर्ग उच्च माध्यमिक और माध्यमिक के सभी विषयों में पद वृद्धि करते हुए तीसरे राउंड की काउंसलिंग आयोजित की जाए।



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