छिंदवाड़ा: कृषि कानूनों के खिलाफ जनसंघर्ष मोर्चा ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन


तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर जनसंघर्ष मोर्चा में शामिल हिन्द मज़दूर किसान पंचायत, सीटू , एमपीएमएसआरयू , बीएसपी, सीपीएम, एआइबीडीपीए (BSNL), सर्वहारा मालवाहक ऑटो यूनियन, महाकौशल संपादक संघ, के सदस्यों  ने कलेक्टर छिंदवाड़ा के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम प्रेषित ज्ञापन सौंपा।


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छिंदवाड़ा। केंद्र सरकार द्वारा किसान विरोधी लाये गए तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर जनसंघर्ष मोर्चा में शामिल हिन्द मज़दूर किसान पंचायत, सीटू , एमपीएमएसआरयू , बीएसपी, सीपीएम, एआइबीडीपीए (BSNL), सर्वहारा मालवाहक ऑटो यूनियन, महाकौशल संपादक संघ, के सदस्यों  ने कलेक्टर छिंदवाड़ा के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम प्रेषित ज्ञापन सौंपा।

इस आशय की जानकारी देते हुए हिन्द मज़दूर किसान पंचायत, मध्य प्रदेश के महासचिव डी के प्रजापति ने बताया कि पहली बात यह है कि,  केंद्र सरकार ने  आवश्यक वस्तु अधिनियम में परिवर्तन किया है। 1955 में लागू किया गया यह कानून, सरकार को पूंजीपतियों और कंपनियों द्वारा खाद्यान्न के भंडारण और मूल्य को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। लेकिन केंद्र सरकार का नया कानून उक्त कानून को निष्प्रभावी बनाता है। यदि अतिभंडारण (स्टॉकपिलिंग) और कीमतों पर सभी प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं, तो बड़े व्यापारिक संगठन, कंपनियां, पूंजीपति बड़े पैमाने पर स्टॉकपाइल्स बनाएंगे, बाजार में भोजन की कमी पैदा करेंगे और कीमतें बढ़ाएंगे।

दूसरी बात यह कि, अनुबंध खेती (contract farming)-अधिनियम किसी भी कृषि प्रसंस्करण कंपनी, पूंजीपति व्यापारी या कृषि कंपनी को किसानों के साथ कृषि समझौतों में प्रवेश करने की अनुमति देता है। इस अधिनियम के माध्यम से, छोटे किसानों के कृषि भूमि के स्वामित्व को समाप्त कर दिया जाएगा। इससे यह स्पष्ट है कि सरकार आजादी के बाद खत्म कि गयी जमींदारी प्रथा को एक नए रूप में स्थापित करने जा रहीं हैं।

तीसरा मसला है कि, कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम -उक्त व्यवस्था को सामान्य किसानों को लालची और शक्तिशाली व्यापारियों द्वारा लूटने से रोकने के लिए बनाया गया था।कुल मिलाकर नये कानून ने देश में निजी पुंजीपतियोंके बाजार को बढ़ावा देने का एक रास्ता खोल दिया है। ये समितियाँ सरकार के खाद्य खरीद केंद्र भी बन गए। नये संशोधन से कृषि उपज खरीद बिक्री की यह व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगी। यह सच है कि व्यापारियों और दलालों ने कार्टेल बनाए जिससे वे किसानों को लूटते थे, लेकिन इस भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के नाम पर सरकार किसानों से माल खरीदने के लिए बड़ी कृषि कंपनियों (कृषि उपज मंडी समिति को छोड़कर) को खुली अनुमति दे रही है।

तीनों कानूनों बड़े व्यापारियों और कंपनियों के लिए कृषि व्यवसाय पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करना आसान बना देगा अगर एपीएमसी का प्रचलित प्रभुत्व नष्ट हो जाता है, तो निजी ऑपरेटर / व्यापारी / कृषि दरों को नियंत्रित करेंगे। इसलिए किसानो के लिए लाये गये तीनों कानूनों को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाना देश हित में आवश्यक है।

ज्ञापन देते समय  टी ए सब्ज्वारी, सलिल शुक्ला , अशोक भारती, महेश सोनी, बी एस दवंडे, धन्नालाल यादव, हीरा सिंह रघुवंशी,सुषमा प्रजापति, उषा भारती, शोभा शर्मा, आशा चौहान, ज्ञानेश्वर गजभिये, पुराण लाल वर्मा,  संजय वर्मा, राजेश तांत्रिक रूपेश चौरे, प्रकाश,मोहन बेलबंशी सहित अन्य साथी उपस्थित थे।



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