कोरोना संकट में महंगे खाद ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें, गरीब किसानों के बस की नहीं रही खेती


कोरोना काल में किसान पहले ही कर्ज में है ओर ऊपर से बढ़ गए डीएपी उर्वरकों के भाव, सोयाबीन भी हुई दोगुना महंगी।


आशीष यादव आशीष यादव
उनकी बात Published On :
dap price hike

धार। कोरोना महामारी के बीच किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। खेती को लाभ का धंधा बनाने के दावे के बीच लगातार महंगी हो रही खेती व किसानों की आय को दोगुना करने का दावा कर रही सरकार जमीनी स्तर पर किसानों के लिए कुछ नहीं कर रही है।

दूसरी ओर कृषि कानूनों पर असमंजस और फिर लगातार महंगी होती खेती किसानों की समझ से परे हो रही है। ओले-वृष्टि से खराब हुई फसल की राहत राशि पाने के लिए भटकते हुए किसान अब खाद के दामों में वृद्धि से आक्रोशित हैं।

हाल ही में खाद की बढ़ती कीमतों ने किसान के होश उड़ा दिए हैं। कोरोना के कारण पिछले वर्ष से खेती-किसानी की कमर टूटी हुई है। अब ऊपर से सरकार ने खाद-उर्वरक के दाम बढ़ाकर उस पर और बोझ बढ़ा दिया है।

इससे खरीफ सीजन में बोवनी की तैयारी कर रहे किसानों को भारी झटका लगा है। डीएपी व एनपीके खाद की कीमतों में एकाएक 58 फीसदी तक बढ़ोतरी की गई है। इससे खेती की लागत भी बढ़ गई है।

बता दें कि हाल ही में मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन ने डीएपी और एनपीके खाद की कीमतों में वृद्धि की है। इससे पिछले दिन पूर्व तक 1200 रुपये में मिलने वाली 50 किलो डीएपी की बोरी अब सीधे 1900 रुपये की हो गई है।

जिले में यूरिया के बाद सबसे अधिक मांग डीएपी की रहती है। पहले ही किसान कोरोना से परेशान हैं। दो साल से फसलों का उत्पादन भी ठीक ढंग से नहीं हो रहा है। इस समय सरकार को किसानों को राहत देनी तो दूर उल्टा खाद के दाम बढ़ा दिए। खाद-उर्वरक के दामों में वृद्धि से किसानों में गुस्सा है।

3 करोड़ 60 लाख रुपये का है उर्वरक का व्यवसाय –

जिले के उर्वरक अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 30 हजार बोरी की आवश्यकता होती है और डीएपी में सर्वाधिक दाम बढ़े हैं। जिले में इसका व्यवसाय करीब 3 करोड़ 60 लाख रुपये के करीब का होता है।

दाम बढ़ने से यह व्यवसाय 5 करोड़ 70 लाख रुपये पर पहुंच जायेगा। खरीफ की फसल में बीज आदि के दाम भी बढ़े हैं जिससे किसानों को अब और अधिक राशि खाद-बीज खरीदी में खर्च करना पड़ेगी। हालांकि अभी किसान रबी फसलों का भुगतान लेने और खेतों की तैयारियों में लगे हैं।

कोरोना के कारण खाद-बीज का व्यवसाय ठंडा है। अगले माह तक इसमें उठाव आएगा। किसान रणजीत सिंह पटेल ने बताया कि जानकारी नहीं होने के कारण किसान खाद का अधिक उपयोग करते हैं।

प्रति हेक्टेयर 7 से 8 हजार का खर्च बढ़ा –

किसान दिनेश गोस्वामी ने बताया कि खाद एवं बीज के दाम तो बढ़े ही हैं। साथ ही डीजल भी 62 रुपये से 92 रुपये हो गया है। इसके अलावा खेतों की जुताई-कटाई को भी जोड़ें तो गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष खरीफ फसल की बोवनी में प्रति हेक्टेयर 7 से 8 हजार का खर्च बढ़ गया है। इसके बाद भी कब प्राकृतिक आपदा आकर फसल को नुकसान पहुंचा जाए यह भी तय नहीं रहता। ऐसे में किसान को नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि फसल की लागत के मान से सरकार को फसल के विक्रय का दाम तय करना चाहिए। नहीं तो किसानों के खेत भी बिकने की कगार पर आ जाएंगे।

डीजल ने पहले ही तोड़ दी किसानों की कमर –

उर्वरक की कीमतों में वृद्धि से बोवनी करने, खेत को तैयार करने वाले किसानों की जेब पर भारी असर दिख रहा है। खेती के लिए ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। ऐसे में डीजल के दामों में वृद्धि के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कृषि की लागत पहले ही बढ़ गई है। खाद की नई कीमतें आ गई हैं। अब डीएपी के दामों में खरीफ सीजन में इनपुट लागत वृद्धि से किसान पर आर्थिक बोझ दोगुना हो गया है।

ये हैं उर्वरकों की बढ़ी हुई दरें
– डीएपी बोरी – 1900 रुपये ( प्रति 50 किग्रा )
– एनपीके12.32.16 – 1800 रुपये ( प्रति 50 किग्रा )
– एनपीके10.26.26 – 1775 रुपये ( प्रति 50 किग्रा )
(समिति से वितरण पर मार्जिन पर देय कर डीएपी, एनपीके पर सीजीएसटी-एसजीएसटी 10.53 और नगद बिक्री पर 25 फीसदी है)

बढ़ते दामों को लेकर ज्ञापन देंगे –

हम किसानों के साथ हैं। पहले ही कोरोना महामारी से किसान जूझ रहा है और ऊपर से बढ़ते डीएपी व अन्य उर्वरकों के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है जिससे किसानों पर बोझ बढेगा। इसे लेकर जिला कांग्रेस राज्यपाल के नाम ज्ञापन देगी।

– बालमुकुंद सिंह गौतम, जिला अध्यक्ष, कांग्रेस, धार

सीएम साहब को अवगत कराया है –

खाद के बढ़ते दामों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को पत्र लिखा है। भाजपा ने हमेशा किसान हित में कार्य किया है। इसको लेकर जल्दी शासन स्तर पर निर्णय होने वाला है और मैं खुद सीएम साहब से इस विषय मे चर्चा करूंगा।

– राजीव यादव, जिला अध्यक्ष, भाजपा, धार

कोई सुनने वाला नहीं –

किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है। किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। बिजली के दाम भी बढ़ा दिए। अब डीएपी के दाम बढ़ाकर किसान की कमर तोड़ने का काम किया है। उम्मीद थी कि सरकार आय दोगुनी करेगी, लेकिन सरकार दाम दोगुने कर रही है।

– आत्माराम यादव, सकतली

कोरोना में बढ़ाए दाम –

सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के नाम पर गुमराह कर रही है। कोरोना काल मे किसानों पर बोझ डाल दिया। कृषि कानून पहले ही किसान पर थोप दिए हैं और अब डीएपी के दाम बढ़ाकर सरकार ने किसानों के प्रति अपनी मानसिकता को पूरी तरह से जाहिर कर दिया है कि वह किसान हित में नहीं है।

– राहुल भाकर, बिलोदा

खाद की थैली पर मूल्य देखकर करे किसान भुगतान –

इधर उप संचालक कृषि विकास ने बताया कि खरीफ सीजन 2021 प्रारंभ में जिसमें रासायनिक खाद डीएपी एवं एनपीके की तीन-तीन दरें अंकित हैं जो इस प्रकार है- डीएपी 1200 रू., 1700 रू. एवं 1900 रू. प्रति बैग है। एनपीके की दरें 1175 रू., 1625 रू. व1800 रू. प्रति बैग है। इसी प्रकार पोटाश 943 रू. एवं 1000 रू. प्रति बैग है।

जिले में जो पुराना खाद है वह उसी रेट में किसानों को उपलब्ध करवाना है। अगर नया खाद किसानों को दे रहे हैं तो उसकी दर नई होगी इसलिए प्रत्येक बैग पर एमआरपी अंकित है। कृपया एमआरपी के अनुसार ही राशि का भुगतान कर पक्का बिल प्राप्त करें।

यदि कोई विक्रेता/संस्था आपको निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर विक्रय करता हैं, तो तत्काल विकासखंड के संबंधित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को सूचित करें।

साथ ही कोई अनाधिकृत व्यक्ति अनावश्यक रूप से उर्वरक का भंडारण कर कालाबाजारी करते पाया जाता है तो तत्काल सूचित करें ताकि संबंधित के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जा सके।



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