चिता आंदोलन में तब्दील हुआ केन बेतवा लिंक परियोजना के डूब में आए गांव के ग्रामीणों का अनशन


लगातार प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन भी किया और कहा कि ग्राम सभाओं के माध्यम से जो काम किए गए हैं, वे पूरी तरह से कागजी हैं क्योंकि उनके गांव में अभी तक कभी ग्रामसभा लगाई नहीं जा सकी है।


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उनकी बात Published On :
chita andolan chhatarpur

छतरपुर। छतरपुर जिला कलेक्ट्रेट के सामने गुरुवार को अलग ही नजारा देखने को मिला। यहां पर अचानक से लोगों ने लकड़ियों से चिताएं बनाईं और वहीं धरना देने के लिए बैठ गए। इस धरना-प्रदर्शन में करीब एक दर्जन गांव के ग्रामीण शामिल हैं।

दरअसल, केन-बेतवा लिंक परियोजना के डूब क्षेत्र में आए गांव के ग्रामीणों को अभी तक सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं मिल पाया है जिसकी मांग को लेकर ये गांववाले बीते सात दिनों से लगातार छतरपुर कलेक्ट्रेट के सामने धरना दे रहे हैं।

बीते सात दिनों से जारी धरना के कारण भी जब शासन-प्रशासन की कानों पर जूं नहीं रेंगता देखकर उन्होंने अपने धरना प्रदर्शन को चिता अनशन में बदल दिया और वहां मौजूद गांववालों ने लकड़ियों से चिताएं बना डालीं और धरने पर बैठ गए।

धरना-प्रदर्शन कर रहे गांववालों का कहना है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना में उनके गांव डूब में आ गए हैं। सरकार की तरफ से उनको मुआवजे में ना जमीन मिली, ना कहीं घर मिले और उनको शासन-प्रशासन ने अनाथों की तरह छोड़ दिया है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो उनके द्वारा बनाई गई चिताओं पर वह खुद को जला लेंगे क्योंकि जिंदा रहने के लिए कोई साधन ही नहीं है उनके पास।

लगातार प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन भी किया और कहा कि ग्राम सभाओं के माध्यम से जो काम किए गए हैं, वे पूरी तरह से कागजी हैं क्योंकि उनके गांव में अभी तक कभी ग्रामसभा लगाई नहीं जा सकी है। उनकी फरियाद सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है इसलिए वह अब चिता आंदोलन में पर बैठ गए हैं।



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