कपास किसानों की मुश्किल, मनचाहे बीज के लिए कड़ी धूप में दिन भर लाइन में लगकर भी नहीं हो रहा समाधान


घंटों धूप में खड़े रहने के बाद एक किसान को केवल डेढ़ एकड़ में बुवाई के लिए मिल रहे हैं बीज


DeshGaon
उनकी बात Updated On :

निमाड़ की गर्मी जानलेवा होती है और इस बार किसानों को इस बार बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है। कपास के किसान बेहाल हैं उन्हें अपनी अगली फसल उगाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। कपास के बीज लेने के लिए ये किसान 40-41 डिग्री सेल्सियस के तापमान में घंटों खड़े हो रहे हैं ऐसा इसलिए क्योंकि बीज जरूरत से भी कम उपलब्ध है। जिसे में सवा दो लाख हैक्टेयर में कपास की बोवनी की लक्ष्य है लेकिन इस लक्ष्य को पूरा कैसे करेंगे इसका कोई ठोस प्लान नहीं है।

बीज की जरूरत करीब सात लाख पैकेट की है लेकिन उपलब्ध इससे आधा है। इस बीच कालाबाजारी भी हावी है। किसानों को बीज दुकानों पर तो उपलब्ध है लेकिन तय दामों से कहीं ज्यादा पर। इसे लेकर कृषि विभाग ने एडवायजरी भी जारी की है।

बिस्टान रोड पर मौजूद अनाज मंडी पर किसानों की लाइन इतनी बड़ी है कि नंबर आते-आते शायद एक दिन या दो दिन भी गुजर सकते हैं लेकिन किसान मजबूर हैं क्योंकि अगर उन्हें कपास उगाना है तो इस लाइन में लगना ही होगा।

कपास का बीज लेने के लिए पहले टोकन लेना होता है जिसमें दो से तीन घंटे लगते हैं और फिर अगर बीज उपलब्ध रहे तो इसी टोकन के आधार पर बीज मिलते हैं लेकिन एक टोकन पर केवल दो पैकेट बीज ही मिलते हैं। शुक्रवार को मंडी परिसर में किसानों की इतनी भीड़ थी कि यहां पुलिस बुलानी बड़ी।

बीज के लिए टोकन ले रहे किसान

किसानों को जो दो पैकेट बीज मिल रहा है वह एक पैकेट 475 ग्राम  का है और दो पैकेट कुल डेढ़ एकड़ में बुवाी के लिए हैं और ऐसे में किसानों को बीज कम मिल पा रहे हैं। लिहाजा कड़ी धूप में घंटों खड़े रहकर बीज पाकर भी वे अपनी जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे हैं।

किसानों के मुताबिक बीज की कालाबाजारी तेज है वहीं कृषि अधिकारियों का कहना है कि यह समस्या चार से पांच दिन बाद सुलझ पाएगी।

 बीज की उपलब्धता के अनुसार फिलहाल टोकन वितरण किया गया है। 4-5 दिन में यह इस किस्म के बीज पैकेट पर्याप्त मात्रा में आने की संभावना है। अन्य कंपनियों के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।  एमएल चौहान, उप संचालक, कृषि विभाग, खरगोन

किसान विजय पाटीदार का कहना है कि उन्हें सुबह करीब पांच बजे से लाइन में लगना पड़ा और टोकन करीब चार बजे मिला है। इस दौरान काफी कुछ हुआ। किसान नाराज हुए, चक्काजाम हुआ।

दरअसल किसान एक विशेष उत्पादक कंपनी के बीज चाहते हैं जिनकी संख्या सीमित है। ऐसे में स्थितियां विकट हो रहीं हैं। इसकी वजह है कि किसानों को पिछले बार इस वैरायटी के बीज से ज्यादा लाभ मिला था और अब वे वही फिर चाहते हैं। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा करना ठीक नहीं है एक ही बीज के पीछे भागना नुकसान दायक हो सकता है। इसके उलट किसानों को प्रयोग करना चाहिए।

कपास के बीज के लिए लगी कतार
जिले में कपास बीज की विशेष किस्म की मांग को देखते हुए कलेक्टर  कर्मवीर शर्मा ने कृषि आदान विक्रेता संघ के अध्यक्ष एवं अन्य कृषि आदान विक्रेताओं के साथ बैठक कर इस संबंध में व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिले के समस्त थोक एवं खेरची बीज विक्रेताओं को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि कपास बीज वितरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता या कालाबाजारी की जाती है तो उनके विरूद्ध तत्काल एफ.आई.आर. दर्ज करते हुए दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।
डॉ. व्हाय. के. जैन वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, आंचलिक कृषि अनुसंधान केन्द्र खरगोन द्वारा बताया गया है कि जिले में अधिक से अधिक क्षेत्र में एक ही किस्म का बुवाई की जाती हैं तो उस पर कीट एवं बीमारियों का प्रकोप अधिक से अधिक होता है, जिससे कपास के उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। ऐसे में किसानों से अपील की जा रही है कि एक किस्म को छोड़कर विभिन्न प्रकार की किस्मों की बुआई करना चाहिए। जिससे कि किस्म विशेष प्रभावित होने पर अन्य किस्मों से उत्पादन को बिना प्रभावित किये उत्पादन लिया जा सकता हैं।
जिले में किसानों को कपास बीज वितरण के लिए सभी एसडीएम, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी एवं राजस्व विभाग के अमले की ड्यूटी लगाकर अपने क्षेत्र में बीज वितरण की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए हैं।
जिले के किसानों से अपील की गई है कि वे टोकन के लिए जिला स्तर पर न आए। जब भी इस क़िस्म के बीज विक्रेताओं के पास आएगी पृथक से सूचित कर दिया जाएगा !जिले में 40 से 50 अन्य कम्पनियों का गुणवत्तायुक्त अच्छा उत्पादन देने वाली किस्मों का कपास बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जिसे पंजीकृत निजी विक्रेता से निर्धारित दर पर खरीद कर बुवाई करें।
किसानों से कहा गया है कि कपास बीज कंपनियों के बीज उत्पादक कंपनी दक्षिण भारत में हैं, जहां पर पिछले वर्ष अधिक बारिश होने से कपास बीज खराब होने के कारण कंपनियों के पास किस्म विशेष के बीज पर्याप्त मात्रा में नहीं होने से समस्त कृषकों को कपास बीज रासी-659 एवं आशा-1 किस्मों उपलब्ध करवाया जाना संभव नहीं होगा, जिससे किसानों से अपील की गई है कि कपास बीज की रासी-659 एवं आशा-1 किस्मों को छोड़कर अन्य कंपनियों के अधिक पैदावार देने वाली कपास की किस्में जिले में, विकासखण्ड स्तर, ग्रामीण क्षेत्रों के बीज विक्रेताओं के पास पर्याप्त मात्रा में कपास बीज उपलब्ध हैं।
किसानों से अपील की गई है कि अपने-अपने खेतों में रासी-659 एवं आशा-1 के अतिरिक्त अन्य कंपनियों के बीज की बुआई कर, उन किस्मों द्वारा भी कपास का उत्पादन अधिक से अधिक उत्पादन लिया जा सकता हैं।



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