धार्मिक भेदभाव! NCPCR से परेशान ईसाई समुदाय ने जताया विरोध, सीएम शिवराज से अपील से भी नहीं मिला हल


पुरोहितों से मारपीट की और बाईबिल तथा दूसरे धर्मग्रंथ फेंके, कहा बदनाम करने की मंशा से कहा बार-बार परेशान करते हैं आयोग के सदस्य


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उनकी बात Updated On :

भोपाल। हालही में अमेरिका के विदेश विभाग ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में धार्मिक आधार पर लोगों को निशाने पर लिया जा रहा है। 15 मई को आई इस रिपोर्ट को भारत सरकार ने गलत तथ्य और समझ का परिणाम बताया। हालांकि इस बात को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि इस तरह की शिकायतें भारत में लगातार जारी हैं। सागर जिले में ईसाई समुदाय के सेवा संस्थान में हुई कार्रवाई इसी श्रेणी में आ रही है और समाज के लोग एक राष्ट्रीय संस्था पर उनके खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप लगा रहे हैं। वहीं आयोग के द्वारा अनाथालय पर लगाए गए आरोप भी गंभीर हैं। जिनके मुताबिक यहां बच्चों के नाम पर विदेशों से फंडिग गलत तरीक से जा रही है और बच्चों को सालों से उनके माता-पिता से नहीं मिलवाया जा रहा है।

पिछले दिनों सागर जिले में श्यामपुरा गांव के होली रोजरी चर्च और उसके तहत चल रहे अनाथालय पर कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई  NCPCR यानी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के द्वारा की गई थी। बताया जाता है कि इस दौरान अधिकारियों और पुलिस ने चर्च और अनाथालाय के पादरियों और  स्टाफ के साथ  गलत व्यवहरा किया और कुछ पुलिसकर्मियों ने पादरी को थप्पड़ भी मारे। इसके बाद चर्च को नोटिस जारी किये गए। बाद में ईसाई समाज ने इस कार्रवाई को गलत बताया और अधिकारियों पर उनके और धर्म  के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप भी लगाया।

शहर में ईसाई समाज ने बड़ी रैली निकाली और इस कार्रवाई तथा अधिकारियों के इस रवैये का विरोध जताया। ईसाई समुदाय ने इसे लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा और आरोप लगाया कि उन्हें और उनके धर्म को बदनाम करने के लिए गलत आरोप लगाकर कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद आज तक चर्च के विषय पर मुख्यमंत्री स्तर से स्थानीय प्रशासन के द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई है। ऐसे में चर्च से जुड़े लोगों ने निराशा जताई है।

बीते आठ मई को सागर छावनी क्षेत्र में स्थित  श्यामपुरा गाँव स्थित संत फ्रांसिस अनाथालय व होली रोजरी चर्च में NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दौरा किया। इस दौरान वीडियोग्राफी की जा रही थी जिस पर चर्च के पादरियों ने आपत्ति जताई। इस पर आयोग के अध्यक्ष कानून गो ने भी नाराजगी जताई और फिर अनाथालय और चर्च में चैंकिंग शुरु कर दी। इस दौरान चर्च में वाइन की बोतल मिली जिसे शराब बताया गया। चर्च के पादरी फादर साबू ने बताया कि जिस वाइन को शराब बताया गया वह पूजा पंरपरा का हिस्सा है जैसा अन्य धर्मों में भी होता है। फादर साबू ने आगे बताया कि जांच के नाम पर अधिकारी नन के कमरों तक में जा रहे थे और वीडियोग्राफी कर रहे थे जिस पर आपत्ति लेना स्वभाविक था और जब पादरियों ने आपत्ति ली तो उनसे बदतमीज़ी की गई।

सागर स्थित चर्च परिसर में एनसीपीसीआर के द्वारा कई गई जांच के दौरान ली गई तस्वीर

फादर साबू ने बताया कि बाल संरक्षण आयोग की टीम के साथ आए कुछ अज्ञात असामाजिक तत्वों द्वारा उनके संस्थान में प्रवेश किया गया इस दौरान पवित्र बाइबल एवं अन्य धर्म ग्रंथों का अपमान व अनादर कर उन्हें जमीन पर गिरा दिया गया और मनमाने तौर से यह कार्रवाई जारी रही। उन्होंने बताया कि पुरोहितों से मारपीट की गई और उसके बाद उन्हीं पर झूठा केस दर्ज कर लिया गया।

फादर साबू ने आगे बताते हुए कहा कि अनाथालय का रजिस्ट्रेशन समाप्त हो चुका था जिसे रिन्यू करने का लगातार प्रयास किया गया लेकिन आयोग ने आवेदन को स्वीकार ही नहीं किया। वे कहते हैं कि इसे लकर जबलपुर हाईकोर्ट के निर्णय पर भी ध्यान नहीं दिया गया।  उनके मुताबिक संस्था द्वारा लगातार आवेदन किया जा रहा है जिसकी जानकारी आयोग के अधिकारियों को अच्छी तरह थी लेकिन इसे रजिस्ट्रेशन को लगातार मुद्दा बनाया गया।

ईसाई समाज द्वारा निकाली गई रैली

स्थानीय मीडिया के मुताबिक इसके बाद आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इसी शाम को एक प्रेस वार्ता की और चर्च तथा अनाथालय पर कई तरह के आरोप लगाए। इसके बाद मामला बढ़ा और स्थानीय प्रशासन के अलावा भोपाल और दिल्ली के संबंधित कार्यालयों से भी ईसाई संस्था को नोटिस जारी कर दिए गए। इस मामले में हमने सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश शुक्ला से बात करने के लिए उन्हें कई बार फोन किये लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाए।

हालांकि इस मामले में यह स्पष्ट  करना जरूरी है कि एनसीपीसीआर द्वारा चर्च पर लगाए गए आरोप भी गंभीर हैं। आयोग के मुताबिक संस्था विदेशों से बच्चों के नाम पर पैसा ले रही है लेकिन इस पैसे को बच्चों के विकास में खर्च नहीं कर रही है। आयोग के मुताबिक चर्च में खुद को पादरी बताने वाले एक व्यक्ति ने आयोग की महिला सदस्या के साथ दुर्व्यवहार किया। इस दौरान आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में लगातार शिकायतें मिल रहीं थी और अब पाया गया है कि यह रह रहे बच्चे छह साल से अपने परिवार से नहीं मिले हैं।

इसके विरोध में ईसाई समाज ने सागर शहर में रैली निकाली और अपना विरोध जताया। ईसाई समुदाय के लोगों ने बताया कि कार्रवाई की मंशा गलत थी, यह केवल ईसाई समुदाय को बदनाम करने के लिए थी। मुख्यमंत्री के नाम अपने एक ज्ञापन में ईसाई संस्था और समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय आयोग के सदस्य ओंकार सिंह संस्था को बदनाम करने की नियत से बार बार तंग करते हैं। वहीं जिले के सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष के खिलाफ भी ऐसे ही आरोप लगाए गए। ईसाई समुदाय ने मांग की कि इन दोनों को हटाकर इनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।



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