पांच सूत्रीय मांगों को लेकर अब हड़ताल पर सत्तर हजार बिजली कर्मचारी


प्रवासी भारतीय दिवस के चलते स्थगित कर दी गई थी हड़ताल, प्रमुख सचिव संजय दुबे ने दिया था मुख्यमंत्री से मिलवाने का आश्वासन


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उनकी बात Updated On :

भोपाल। पिछले कई वर्षों से प्रदेश सरकार से अपनी मांगों को पूरी करने की अपील कर रहे बिजली विभाग के कर्मचारी अब हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल में पूरे प्रदेश के सत्तर हज़ार कर्मचारी भाग ले रहे हैं। हालांकि यह हड़ताल पिछले पखवाड़े में होनी थी लेकिन प्रवासी भारतीय दिवस के कारण अधिकारियों ने कर्मचारी संगठनों से इसे टालने का आग्रह किया था और आश्वासन दिया था कि 15 दिनों के अंदर वे मुख्यमंत्री से रुबरू मिलवाकर उनके सामने कर्मचारियों की मांगों का समाधान करवाएंगे। इस आश्वासन पर कर्मचारियों ने पंद्रह दिनों के लिए अपनी हड़ताल स्थगित की थी  लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है ऐसे में कर्मचारी फिर 24 जनवरी से अपनी कामबंद हड़ताल पर हैं। इन कर्मचारियों की पांच सूत्रीय मांगें हैं। जिन्हें लेकर यह सरकार से सीधा संवाद चाहते हैं। ये कर्मचारी पिछले काफी समय से अपनी ये मांगें सरकार के सामने रखने का प्रयास कर रहे थे।

बिजली कर्मचारियों का संगठन यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर्स के मुताबिक 9 जनवरी को प्रमुख सचिव ने इस हड़ताल को स्थगित करने के लिए आग्रह किया था और संगठन द्वारा इसके लिए अधिकतम पंद्रह दिनों का समय दिया गया था लेकिन पंद्रह दिन बीत चुके हैं और संगठन को कर्मचारियों से मिलने के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है ऐसे में अब हड़ताल फिर शुरु की जा रही है। इस हड़ताल में 70 हजार कर्मचारी हिस्सा ले रहे हैं।

 

संगठन के मुताबिक प्रमुख सचिव संजय दुबे के इसी आश्वासन के पूरा न होने के चलते संविदा एवं आउट सोर्स के कर्मचारी संगठनों द्वारा दिनांक 17.01.20123 को सूचना देकर दिनांक 21.01.2023 से कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया गया है, लेकिन शासन एवं प्रबंधन इसके लिए कर्मचारियों पर अब कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में संगठन इस शासन और कंपनियों की इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध कर रहा है।

यहां संगठन ने एक बार फिर प्रमुख सचिव के आश्वासन को पूरा करने के लिए सोमवार, 23 जनवरी तक का समय दिया है और साफ कहा है कि अगर इस तारीख़ तक उनकी मांगों के निराकरण के संबंध में कदम नहीं उठाए जाते हैं तो यूनाइटेड फोरम अपने सभी घटक दलों के साथ काम बंद हड़ताल करेगा। ऐसे में लाइनों का मेंटेनेंस, शिकायत निवारण और तमाम दूसरे काम प्रभावित हो सकते हैं। किसी महत्वपूर्ण लाइन में खराबी आने पर ब्लैक आउट की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। संविदा और आउटसोर्सिंग के कर्मचारी पहले से ही हड़ताल पर हैं ऐसे में यह परेशानी और भी गंभीर होने की आशंका है।

 

पांच सूत्रीय मांगें…

  • संविदाकर्मियों का नियमितिकरण।
  • आउटसोर्स कर्मचारियों का विभागीय संविलियन।
  • पेंशनर्स की पेंशन गारंटी और पुरानी पेंशन स्कीम।
  • फ्रिंज बेनिफिट तीसरी-चौथी श्रेणी के कर्मचारियों को फ्रिंज बेनिफिट जैसे एचआरए और अन्य भत्ते।
  • सभी वर्गों की वेतन विसंगती में सुधार।

 

इस संबंध में उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उनसे इस मामले में बात करने की कोशिश भी की गई लेकिन उन्होंने अब तक उर्जा कर्मचारियों के विषय पर कोई बात नहीं की है। इसके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी इस मामले में अब तक कुछ खास नहीं बोले हैं।

बिजली कर्मचारियों के मुताबिक सरकार को बिजली कर्मचारियों से अब तक कोई खतरा नहीं रहा है ऐसे में वे उनके मुद्दों पर खास बात नहीं करते हैं और न ही उनके मुद्दों को बहुत गंभीरता से लेते हैं जबकि कर्मचारियों की स्थिति बेहद दयनीय है और वे लगातार संघर्ष कर रहे हैं।



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