किसान आंदोलनः हिरासत में लिए गए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे कई सामाजिक कार्यकर्ता


संयुक्त संघर्ष मोर्चा के द्वारा भोपाल के नीलम पार्क में कृषि कानूनों के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। इसके लिए जब कार्यकर्ता अनुमति लेने गए तो उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया और बुधवार को जिन्होंने प्रेसवार्ता की उनके साथ भी यही रवैया अपनाया गया।


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भोपाल Updated On :
भोपाल में प्रदर्शन


भोपाल। विवादित कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का सर्मथन कर रहे कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं को भोपाल में हिरासत में लिया गया है। नीलम पार्क में विभिन्न किसान संगठनों का संयुक्त मंच, संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में किसान सत्याग्रह का आह्वान किया गया था।

संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. सुनीलम ने बताया कि यह प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था। इस आयोजन की अनुमति लेने के लिए जब पुलिस के पास पहुंचे तो उन्हें रात को ही वहीं बैठा लिया गया।

जिन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है उनमें इरफान जाफरी, बाबू भाई और विजय कुमार शामिल हैं। डॉ. सुनीलम के मुताबिक इन्हें पुलिस ने बिना किसी कारण के हिरासत में ले रखा है।

हरदा में प्रदर्शन।

इसके बाद बुधवार को सुबह जब विभिन्न जिलों से किसान धरने स्थल पर पहुंचे तो उन्हें वहां एकत्रित नहीं होने दिया गया।इस दौरान पुलिस ने  नीलम पार्क को पूरी तरह बंद कर वहां आवाजाही पर रोक लगा दी गई। इस दौरान काफी पुलिस बल यहां मौजूद रहा।

संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा बताया गया कि इसके बाद जब किसान नेता जब मीडिया से बात कर रहे रहे थे तब भी पुलिस ने इसमें रुकावट डाली और किसान नेताओं को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया।

गिरफ्तार किए गए नेताओं में आल इंडिया खेत-मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष उमाप्रसाद, किसान नेता नरेंद्र जायसवाल,  मुदित भटनागर एंव अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य महासचिव प्रहलाद वैरागी,  कृषक जागृति संगठन के राजेन्द्र जी रज्जू भैया शामिल रहे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने इस कार्यवाही का विरोध किया है उन्होंने कहा कि वे प्रदेश सरकार व प्रशासन की इस गैर लोकतांत्रिक और दमनात्मक कार्यवाही की कड़ी निंदा करते हैं और सरकार से यह मांग करते हैं कि गिरफ्तार किए गए तमाम साथियों को जल्द से जल्द रिहा करें।

इसके बाद कृषि मंत्री कमल पटेल के गृह जिले हरदा में इसका विरोध किया गया।  जहां किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कार्यवाही को लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ उठाया गया कदम बताया।



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