धारः अब रेल के लिए भी महसूस हो रही आंदोलन की ज़रूरत


साल 2008 में इंदौर दाहोद लाइन का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने किया था और साल 2011 तक रेल संचालन की घोषणा की गई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ


आशीष यादव आशीष यादव
धार Updated On :
पीथमपुर में इंदौर दाहोद रेल लाइन के लिए खोदी गई सुरंग


धार। इंदौर- दाहोद रेल लाइन के लिए केंद्र सरकार ने इंदौर दाहोद को 2० करोड़ और छोटा उदयपुर धार को 60 करोड़ रुपए दिए हैं। इन जरूरी रेल प्रोजेक्ट के लिए यह राशि बेहद कम है और अब क्षेत्र के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। लोगों के मुताबिक यह दुर्भाग्य ही है कि इस इलाके की ज़रूरतों की ओर पिछले तेरह सालों से कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। स्थानीय नेता भी इसे लेकर खास सक्रिय नहीं हैं।

लोगों के मुताबिक रेल मंत्रालय धार झाबुआ को रेलवे टापू बनाने की तैयारी में है उनकी ओर से आगे रहकर कोई पहल नहीं की जा रही है जिसके कारण इस रेल का यह हाल हो रहा है। साल 2008 में इंदौर दाहोद लाइन का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने किया था और साल 2011 तक रेल संचालन की घोषणा की गई थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद साल  2014 में भाजपा की मोदी सरकार सत्ता में आई और साल 2022 तक रेल संचालन की घोषणा हुई लेकिन फिलहाल इसके आसार भी नज़र नही आ रहे हैं।

मध्य प्रदेश के धार झाबुआ के लाखों आदिवासियों के साथ गुजरात के दाहोद एवं छोटा उदयपुर की बड़ी आबादी भी इस रेल की बाट जोह रही है। मुख्यमंत्री शिवराज जी चौहान से भी इस बारे में लोगों ने अपील की लेकिन वे भी क्षेत्र को सुविधा दिलाने के आश्वासन ही देते रहे। अब तक उनकी ओर से भी कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है।

रेल लाने के लिए इन क्षेत्रों के लोगों ने  रेल महासमिति नाम का एक संगठन भी बनाया है जो पिछले चालीस वर्षों से सक्रिय है। लोगों के मुताबिक अब क्षेत्र में रेल आंदोलन की ज़रूरत है ताकि सरकारें लोगों की ज़रूरतों को समझ सकें।



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