घर लौटे भैया जी… उषा ठाकुर के सामने चुनाव लड़ने वाले रामकिशोर शुक्ला ने फिर पकड़ा कमल


कांग्रेस से पिछले छह चुनाव लड़ चुके दोनों नेता (दरबार पांच और शुक्ला एक) अब भाजपा की शरण में, भैया जी ने कैलाश और दीदी की अदावत के बीच तलाशी राह


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

महू की राजनीति में एक और दिलचस्प मोड़ आया है। करीब छह महीने पहले भाजपा से कांग्रेस में आए राम किशोर शुक्ला एक बार फिर भाजपा में लौट आए हैं। उन्होंने विधायक उषा ठाकुर के घर पर भाजपा की सदस्यता ली है। इस तरह अब कांग्रेस से पिछले दो चुनाव लड़ने वाले दोनों नेता भाजपा में हैं। हालांकि शुक्ला ने एक ही बार कांग्रेस से विधायक प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा है वहीं अंतर सिंह दरबार को पांच बार यह मौका मिला है।

उल्लेखनीय है कि दरबार पहले ही भाजपा में आ चुके हैं और पूरी शिद्दत से भारतीय जनता पार्टी के नेता दिखाई देने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। पार्टी के स्थापना दिवस के दिन कट्टर कांग्रेसी क्षेत्र माने जाने वाले अपने गांव में उन्होंने संघ और भाजपा नेताओं की तस्वीरें लगाकार पार्टी की जय जयकार की। हालांकि इस दौरान उनके पास खास भीड़ नहीं थी।

वहीं राम किशोर शुक्ला की बात करें तो उन पर सर मुड़ाते ही ओले पड़ने वाली कहावत फिट बैठती है। चुनाव से ऐन पहले उन्होंने अपनी पार्टी छोड़ी और कांग्रेस में शामिल हो गए लेकिन विधानसभा चुनावों में कांग्रेसी नेताओं की बुरी हालत हो गई और शुक्ला ऐसे हारे कि जमानत जब्त हो गई। इसके बाद से ही वे भाजपा में आने की पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन महू से पूर्व विधायक और फिलहाल मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने उनका मज़ाक बनाया।

शुक्ला के क्षेत्र के लोग भी उनके खिलाफ हो गए। उनके खिलाफ स्थानीय तौर पर जमकर एंटी इन्कम्बैंसी नजर आई। चुनाव हारने के बाद भाजपा में उनके विरोधियों को उन्हें परेशान करने का खुला मौका मिल गया। महूगांव के रायबहादुर तंवर जैसे नेताओं ने शुक्ला के भाजपा में फिर आने का खूब विरोध किया और यही वजह रही कि उनका आना टलता रहा। हालांकि शुक्ला ने कैलाश विजयवर्गीय और उषा ठाकुर की अदावत का फायदा उठाया और ठाकुर के खेमे को चुन लिया क्योंकि इस बार विजयवर्गीय उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे थे।

शुक्ला के साथ जो हुआ वह और भी दिलचस्प है क्योंकि अलग-अलग समय वे विजयवर्गीय और उषा ठाकुर दोनों के ही करीबी थे लेकिन बाद में तो उन्होंने ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़ा। अब ठाकुर, कैलाश विजयवर्गीय के मार्फत आए हुए अंतर सिंह दरबार का विरोध कर रहीं हैं तो उन्होंने फिर शुक्ला को अपने खेमे में ले लिया है।

शुक्ला भाजपा के पुराने स्थापित नेता थे और अब घर वापसी के साथ वे फिर प्रयास करेंगे कि उन्हें अपनी जगह मिल जाए लेकिन इससे अंतर सिंह दरबार को फिर परेशानी होगी क्योंकि भाजपाईयों का ही मानना है कि उन्हें कतार में अब शुक्ला के बाद ही जगह मिलेगी।



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