चुनाव में कमज़ोर हुई भाजपा, नेताओं ने नेताओं को ही की चुनाव से दूर करने की कोशिशें!


कांग्रेस ने किया बेहतर प्रदर्शन, इस बार जिला पंचायत की तीन सीटें छीनी तो जनपद पर भी बेहतर नतीजों की उम्मीद।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
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इंदौर। महू जनपद क्षेत्र में ज्यादातर परिणाम अब सामने आ चुके हैं। अब तक मिले परिणामों के अनुसार कांग्रेस का पलड़ा कहीं भारी नज़र आ रहा है और भारतीय जनता पार्टी की पकड़ कुछ कमज़ोर नज़र आ रही है। पिछले चुनावों में जहां महू जनपद में आने वाली जिला पंचायत की पांचों सीट भाजपा ने जीती थीं तो इस बार तीन कांग्रेस के हाथ लगी हैं।

वहीं 25 जनपद वार्डों पर भी इस बार कांग्रेस की पकड़ मजबूत नजर आ रही है। ऐसे में कहना  गलत नहीं है कि इस बार ग्रामीण इलाके में भाजपा की पकड़ पहले के मुकाबले ढ़ीली हुई है जिसका अंदाज़ा क्षेत्र के सभी नेताओं को है। इन नेताओं में अब हार के कारणों पर भी चर्चा हो रही है और इस चर्चा में बड़े नेताओं के नाम पर बड़े सवालिया निशान भी लग रहे हैं।

महू जनपद क्षेत्र में जिला पंचायत के पांच वार्ड आते हैं। इन पांचों वार्डों पर भाजपा का अच्छा प्रभाव माना जाता है और यही वजह थी कि पिछले चुनावों में पांचों वार्ड भाजपा के पास थे लेकिन इस बार स्थिति बदली है। पांच में से तीन वार्डों पर कांग्रेस ने कब्ज़ा कर लिया है। इनमें  पांच नंबर वार्ड से कांग्रेस के कन्हैया लाल ठाकुर जीते हैं तो छह नंबर से कांग्रेस की ही रुकमणी, वार्ड नंबर सात से भाजपा के बर्मा केशर सिंह, आठ से कांग्रेस के दुर्गा पटेल और नंबर नौ से भजपा के दिनेश सिंह चौहान जीते हैं।

जनपद क्षेत्र के 25 वार्डों की बात करें तो यहां से मिले परिणामों में अब तक  9 वार्डों में कांग्रेस और 2 में निर्दलियों को जीत मिली है। भाजपा को  11 वार्डों में जीत मिली हैं वहीं तीन सीटों पर परिणाम आने बाकी हैं। ऐसे में यहां भाजपा की स्थिति बहुत मजबूत नहीं कही जा सकती है।

 

चुनाव परिणामों की आधिकारिक घोषणा होने तक उक्त सूचियां पूरी तरह सटीक नहीं कही जा सकती हैं।  

 

 

क्षेत्र के नए सरपंचों की बात करें तो यहां पिछले चुनावों में भाजपा सर्मथित 55 सरपंच जीते थे लेकिन इस बार इनकी संख्या करीब चालीस  तक पहुंचने की संभावना है।  इस तरह यहां भी कांग्रेस का वोट बैंक बढ़ा है। मेण पंचायत के नतीजे भी मंगलवार को आ गए। यहां पूर्व सरपंच माया पटेल के पति और कांग्रेस नेता बैकुंठ पटेल मैदान में थे। जिन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस पंचायत की चर्चाएं काफी गर्म थीं क्योंकि प्रशासन ने मतदान से कुछ ही दिनों पहले पंचायत के खिलाफ़ जांच शुरु की और सरपंच और उनके पति पर बीस लाख रुपये की अनियमितता का प्रकरण दर्ज करवा दिया। इसके बाद से दोनों पुलिस से बचते रहे। मेण गांव में चुनाव प्रचार के दौरान भी भारी मात्रा में पुलिस लगाई गई थी। इस मामले में मंत्री उषा ठाकुर और राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार की खास रुचि भी बताई गई।

अशोक सोमानी, इंदौर भाजपा के नेता

पूर्व ग्रामीण अध्यक्ष अशोक सोमानी के भाई मधु सोमानी इस बार जनपद पंचायत जाना चाहते थे लेकिन उनकी सीट कांग्रेस के अशोक आंजना ले गए। ऐसे में सोमानी का प्रभाव यहां काफी कम होता नज़र आ रहा है। सुनील तिवारी जो भाजपा के एक मंडल अध्यक्ष थे वह हरसोला से सरपंच का चुनाव हार गए। यहां कांग्रेस के विष्णु पहलवान जीते हैं।

मंत्री उषा ठाकुर और राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार

 

महू तहसील से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री उषा ठाकुर तथा राज्य तथा राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार दो इन दिनों भाजपा की वरिष्ठ नेताओं में शुमार हो रहीं हैं लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन ढ़ीला रहा।

मेहमूद सेठ, महू भाजपा के नेता

बताया जाता है कि अपनी ही पार्टी के मेहमूद सेठ भी इस बार मौजूदा नेताओं को खास पसंद नहीं थे लिहाजा उनके खिलाफ भी जमकर माहौल बनता रहा। सेठ के वर्चस्व वाली पंचायत की जांच कर बड़ी रिकवरी निकालने की तैयारी भी की गई थी। ऐसे में उनके हारने की ख़बरें भी उड़ रहीं थीं लेकिन मेहमूद सेठ ने बाज़ी मार ली।

रचना विजयवर्गीय, भाजपा नेत्री, महू

भाजपा के सभी शहरी नेताओं ने इस बार महू के शहरी इलाके में डेरा डाल लिया था। दरअसल यहां की सांतेर सीट पर छावन परिषद की रचना विजयवर्गीय चुनाव लड़ रहीं थीं। शहरी इलाके में राजनीति करने के बाद अब वे ग्रामीण क्षेत्र में भी अपने शहरी उपलब्धियों को गिनवा रहीं थीं। इसके लिए नगर भाजपा के बहुत से नेताओं ने सांतेर में डेरा डाल लिया था लेकिन ये नेता जमीनी नहीं थे लिहाजा रचना विजयवर्गीय बुरी तरह चुनाव हार गईं।

रचना के चुनाव हारने के अलावा यहां विजयी प्रत्याशी अंजू कौशल के पति और पूर्व सरपंच मनोज कौशल का भी बड़ा योगदान बताया जाता है। कौशल भाजपा से जुड़े कई लोगों के बेहद करीबी रहे हैं। इस तरह सांतेर में भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है। यहां कांग्रेसी नेताओं की चतुराई काम आई और इस बार भी वे विजयी रहे। मंत्री उषा ठाकुर या कोई दूसरा भाजपा नेता भी यहां लोगों के बीच नहीं पहुंचा था।

संतोष पाटीदार, भाजपा नेता, महू

खबर है कि इस चुनाव में महू के पूर्व विधायक तथा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के समर्थकों को न सिर्फ टिकिट देने की मनाही रही बल्कि उन्हें चुनावों में हाशिये पर रखा गया। इसक असर ये हुआ कि इन कार्यकर्ताओं ने चुनाव से दूरी बना ली।

इसका एक सटीक उदाहरण पिछले कार्यकाल के दौरान जनपद पंचायत में सक्रिय रहे संतोष पाटीदार हैं। जिन्होंने जिला पंचायत सदस्य का टिकट मांगा था लेकिन नहीं मिला। इसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी के लिए कोई ठोस जिम्मेदारी निभाने का मौका भी नहीं मिला।

 

 

 

 



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