इंदौर जिले में कांग्रेस का सफाया, मेंदोला की ऐतिहासिक जीत, महू में जीतने वाले भाजपाई सोच रहे कहां से मिले इतने वोट


इंदौर में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी है, इंदौर पांच से सत्यनारायण पटेल के जीतने की उम्मीद थी लेकिन वे भी हार गए।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
चुनाव जीतने के बाद उषा ठाकुर को उनके सर्मथकों ने यह नेम प्लेट भेंट की है।


मप्र के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने बड़ा कमाल दिखाया है। पार्टी 160 सीटों से ज्यादा पर जीतती नजर आ रही है और कांग्रेस के दिग्गज नेता भी हार गए हैं। हालांकि छिंदवाड़ा की सभी सीटें कांग्रेस जीत गई है। वहीं इंदौर की एक भी सीट पर कांग्रेस नहीं जीत सकी है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं खासकर कैलाश विजयवर्गीय ने पार्टी को पहले से ही 160 सीट और इंदौर की सभी सीटें जीतने की घोषणा की थी जो सही साबित हुई। इस तरह इंदौर में अब कांग्रेस का एक भी विधायक और सांसद नहीं बचा है।

इंदौर में सबसे बड़ी जीत रमेश मेंदोला की रही है वे एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते हैं वहीं कैलाश विजयवर्गीय भी करीब 60 हजार वोटों से जीते हैं। जीतू पटवारी करीब 35 हजार वोट से हारे हैं वहीं ग्रामीण में देपालपुर से मनोज पटेल, सांवेर से तुलसी सिलावट, महू से उषा ठाकुर से जीती हैं।

इस बार के विधानसभा चुनाव में महू विधानसभा के परिणाम में सबको आश्चर्यचकित कर दिया। भाजपा ना सिर्फ जीती बल्कि अपनी विजय का एतिहासिक रिकॉर्ड भी बना दिया जिस कारण जीतने वाले भाजपाई खुद आश्चर्य कर रहे हैं कि इतने मत मिल कैसे गए। दोनों पराजित प्रत्याशियों को उनके ही गढ़ में खासी मात मिली है।

विधानसभा चुनाव के परिणामों ने इस बार महू विधानसभा में वह कमाल कर दिखाया जो अब तक नहीं हुआ। जिसका सबसे ज्यादा विरोध था इस भाजपा प्रत्याशी उषा ठाकुर ने न सिर्फ विजय हासिल की बल्कि अपनों के ही भारी विरोध के बाद भी जीत का रिकॉर्ड बना डाला। उषा ठाकुर कि विजय लगभग 35000 वोटों की रही जो अब तक के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक है जबकि त्रिकोणीय संघर्ष के कारण अंतिम समय तक यही माना जा रहा था कि जो भी जीतेगा उसका अंतर से 5000 वोट से अधिक नहीं होगा लेकिन सारे समीकरण परिणाम के बाद बदल गए।

शुरू से ही उषा ठाकुर का पहले भाजपाइयों ने फिर बाद में मतदाताओं ने भारी विरोध किया भाजपा के नाराज एक गुट ने भीतरी घात कर पूरी कोशिश की कि किसी तरह उषा ठाकुर हार जाए जिसके लिए उन्होंने अदुरीन तौर पर काम भी किया यही नहीं एक कॉलोनाइजर नवल में तो खुलकर उषा ठाकुर को हराने के लिए जी जान एक कर दी लेकिन परिणाम के बाद स्पष्ट हो गया है कि उसकी जी जान को मतदाताओं ने पूरी तरह दरकिनार कर दिया।

यहीं नहीं उषा ठाकुर के विरोध में कांग्रेस के राम किशोर शुक्ला और कांग्रेस से ही नाराज होकर निर्दलीय रूप में लड़ने वाले अंतर सिंह दरबार सामने थे। दरबार को पूरी उम्मीद थी कि इस बार में निर्दलीय के रूप में चुनाव जीत का इतिहास बनाएंगे और उन्हें सबसे अधिक भरोसा आदिवासी मतदाताओं पर था लेकिन वहां से उन्हें करारी हार मिली वहीं कांग्रेस के रामकिशोर शुक्ला का महू गांव धरनाका क्षेत्र था साथ ही मऊ शहर भी शुरू से ही कांग्रेस का गा रहा है जहां से कांग्रेस को विजय मिलती है लेकिन इस बार राम किशोर शुक्ला को अपने ही घर से हार का सामना करना पड़ा। शहर के आठो वार्डों में पहली बार भाजपा विजय रही।

भाजपा को भाजपाइयों को पूरी उम्मीद थी कि विजय उनकी होगी लेकिन विजय का अंतर लगभग 5000 मतों का रहेगा लेकिन 35000 मतों से विजयी होना खुद भाजपाइयों के लिए आश्चर्यजनक हो रहा है कि उन्हें इतने वोट कहां से और कैसे मिल गए। दरबार और रामकिशोर शुक्ला के समर्थक जहां एक और अपनी हार का कारण खोज रहे हैं वहीं भाजपाई जीत के जश्न के साथ-साथ यह भी पता लगाने पर व्यस्त हो गए कि इतनी बड़ी जीत कैसे मिल गई।

बहरहाल इस बार मत दाताओ उन्हें एक बार फिर भाजपा पर अपना विश्वास जताकर विजय दिलाई वही नाराज और विरोधी गुट के लिए एक परेशानी खड़ी कर दी कि अब उनका क्या होगा वहीं उषा ठाकुर की सूची में जो 10 नाम है अब वह किसी तरह अपने आप को एडजस्ट करने में लगे हैं कि दीदी की गाज उन पर ना गिरे खासकर नवल, मानपुर के यादव, मोर्चा के ठाकुर, सोमानी, राम करण भामर  है।

 

 



Related