आंबेडकर जयंती का उत्साह ठंडा, न बड़ी संख्या में अनुयायी पहुंचे और न प्रशासन ही दिखा गंभीर


तेरह अप्रैल की दोपहर तक महू में कुल दो-तीन हजार लोग ही नजर आ रहे हैं। पिछले सालों में यह संख्या करीब दस हजार से अधिक होती थी। 


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :
आंबेडकर स्मारक के नज़दीक इस अनुयायियों के लिए ठहरने की व्यवस्था की गई है


इंदौर। महू में होने वाले डॉ. आंबेडकर की जयंती महोत्सव को लेकर इस वर्ष  उत्साह में कमी देखी जा रही है। पहले के वर्षों में जयंती से एक दिन पहले तेरह अप्रेल तक हजारों अनुयायी महू पहुंच कर माथा टेक चुके होते थे लेकिन इस बार तेरह अप्रैल तक यहां अनुययायियों की संख्या कुछ हज़ारों में भी नहीं है। अनुयायियों की ही तरह प्रशासन का भी हाल है। अब तक प्रशासन यहां पांच दिनों पहले से ही तैयारियां शुरु कर देता था लेकिन इस बार आखिरी दिन तक तैयारियां जारी हैं।  ।

महू में तीन दिनों तक डॉ. आंबेडकर जयंती महोत्सव मनाने की परंपरा रही है लेकिन बीते दो साल संक्रमण के दौरान यह कार्यक्रम नहीं हो सका और अब इस वर्ष उम्मीद थी कि इस साल अनुयायियों की संख्या अधिक होगी लेकिन फिलहाल ऐसा नज़र नहीं आ रहा है। तेरह अप्रैल की दोपहर तक महू में कुल दो-तीन हजार लोग ही नजर आ रहे हैं। पिछले सालों में यह संख्या करीब दस हजार से अधिक होती थी।

आंबेडकर स्मारक पहुंचे अनुयायी

स्मारक स्थल और शहर में जयंती महोत्सव की तैयारियों को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि अनुयायियों की संख्या में कमी का अंदाज़ा केवल प्रशासन को ही था क्योंकि प्रशासन की तैयारियां भी अब तक धीमी ही रहीं हैं। पिछले वर्षों में अनुयायियों के लिए प्रशासन करीब महीने भर पहले से तैयारियां शुरु कर देता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। तेरह अप्रैल तक महू में तैयारियां जारी रहीं हैं। बुधवार को कलेक्टर मनीष सिंह महू पुहंचे और उन्होंने काम कर रहे ठेकेदारों को ज़रुरी निर्देश दिये। इस बार प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा केवल दो या तीन बार ही महू में दौरा कर तैयारियों का जायज़ा लिया है। महू में फिलहाल जयंती की  तैयारियों के लिए अपर कलेक्टर को जिम्मेदारी दी गई है।

कलेक्टर मनीष सिंह बुधवार को महू पहुंचे और आंबेडकर जयंती की तैयारियों का जायज़ा लिया

अनुयायियों की संख्या कम होने का एक और कारण खंडवा की ओर से आने वाली  ट्रेनों का बंद होना भी है। अब तक ज्यादातर अनुयायी इसी मार्ग से आते थे। इसके अलावा  तेज गर्मी होने कारण सड़क मार्ग से भी आने वालो की संख्या काफी कम है। आकोला से पहुंचे अनुयायियों ने बताया कि वे पिछले सात साल से यहां आ रहे हैं लेकिन रेल से  निशुल्क आते थे और इस बार एक एक अनुयायी के आने -जाने के लिए करीब एक हजार रूपये का किराया देना पड़ रहा है जो लोगों के लिए काफी महंगा है। लोगों के मुताबिक रेल और बस की टिकटों का महंगा होना इसकी बड़ी वजह है।

प्रशासन ने हमेशा की तरह एक लाख लोगों के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था की है। पहले के वर्षों में तेरह अप्रेल तक दस से बीस हजार भोजन की प्लेट लग जाती थी जो इस वर्ष कुछ हजार ही रहीं हैं। इसमें से भी सैकड़ों अनुयायी स्थानीय ही है। इसे देखते हुए संभावना व्यक्त की जा रही है है कि इस वर्ष यह संख्या आधी से भी कम रहेगी।

बुधवार की शाम तक प्रशासन के पास मुख्यमंत्री चौहान के आने की  अधिकृत जानकारी नहीं थी। वीआईपी के नाम पर सिर्फ मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही आ रहे हैं। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम अगर होता है तो वे केवल आधे घंटे के लिए ही पहुंचेगे। पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यक्रम को लेकर प्रशासन भी खास गंभीर नहीं दिखाई दे रहा है।

नई व्यवस्था से छुप रही है  सुंदरता… इस वर्ष  स्मारक के बाहर विशाल डोम लगा कर मंच बना दिया गया जहां मुख्यमंत्री संबोधित करेंगे। इस कारण  स्मारक की सुंदरता और रात को होने वाली आतिशबाजी अनुयायी नहीं देख् सकेंगे। कन्या पूजन करेंगे मुख्यमंत्री चौहान स्मारक पर माल्यार्पण कर अस्थि कलश को  नमन करने के
बाद मंच पर संबोंधन करेंगे। इसके पूर्व कन्याओं को पूजन भी करेंगे।



Related