नरसिंहपुर। बारूरेवा नदी के पुनर्जीवन कार्यक्रम में करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। मेढ़ बंधान, खेत तालाब बनने के दावे हैं पर आम लोगों को बारूरेवा नदी को पुनर्जीवत करने के कोई ठोस कार्य मैदान में नहीं दिख रहे हैं।
प्रशासन ढिढ़ोरा पीट-पीटकर लोग को सब्जबाग दिखाता है कि बारूरेवा नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जाएंगे जिसके लिए 63 माइक्रो वाटरशेड और 20 हजार 79 कार्य होंगे। दो विकासखंडों के 54 ग्राम पंचायतों के 116 गांव में कार्य होंगे, लेकिन फिलहाल मैदान में कोई कार्य नहीं दिख रहे हैं।
लोगों के अब सवाल हैं कि कहीं कागजों में बारूरेवा नदी को जीवित करने के प्रयास तो नहीं किए जा रहे हैं। चूंकि प्रस्तावित 63 माइक्रो वाटरशेड व 20 हजार कार्य मैदान में तो नहीं दिख रहे हैं।
बीते वर्ष जिले में नदी के पुनर्जीवन कार्यक्रम के अंतर्गत बारूरेवा नदी का चयन किया गया था, जिसके तहत बारूरेवा नदी के उद्गम स्थल से नर्मदा के मुहाने तक करीब 25 किलोमीटर लंबाई में 63 माइक्रो वाटरशेड की कार्ययोजना तैयार की गई थी।
नदी के कैचमेंट में शामिल दो विकासखंड नरसिंहपुर व करेली में करीब 20 हजार से ज्यादा कार्य प्रस्तावित थे। यह पहली दफा हुआ कि जिले में नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के लिए बारूरेवा चयनित हुई थी।
जिले में बारूरेवा 25 किलोमीटर लंबाई में है। उद्गम स्थल से नर्मदा के मुहाने तक जहां वह मिलती है उसके तहत 44 हजार 692 हेक्टेयर भूमि बारूरेवा नदी के कैचमेंट में है। इस दायरे में 54 ग्राम पंचायतें और 116 गांव आ रहे हैं।
नदी के पुनर्जीवन के लिए तैयार की गई कार्ययोजना के मुताबिक, 63 माइक्रो वाटरशेड का कार्य प्रस्तावित था, जिसमें मनरेगा और अन्य योजनाओं के अभिसरण के कार्य भी क्रियान्वित होना था। जिला स्तर पर तकनीकी समिति का गठन भी किया गया था।
हुई बैठकें पर नतीजे सिफर –
बीते वर्ष नवंबर माह में नरसिंह भवन में नदी के पुनर्जीवन कार्यक्रम को लेकर बैठक भी हुई। उस वक्त कमेटी के सदस्य सचिव जिला पंचायत के सीईओ कमलेश भार्गव ने कार्ययोजना का जिक्र किया। बैठक में नरसिंहपुर के अलावा करेली के सीईओ भी थे। बैठक में बताया गया था कि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 20 हजार 79 कार्य चयनित किए गए हैं। लोगों को दिलासा भी दिया गया कि नदी को पुनर्जीवन अभियान में क्षेत्र के लोगों-मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध होगा।
यह कार्य हैं प्रस्तावित –
- होना हैं 20 हजार 79 कार्य
- जल एवं मृदा संरक्षण के कार्य होंगे किसानों की भूमि पर
- 63 वाटरशेड योजना के कार्य रिज टू वैली के सिद्धांत पर
- पहाड़ी क्षेत्रों में कंटूर ट्रेंचेस परकोलेशन तालाब
- खेतों में खेत तालाब, गली प्लग बोल्डर बंधान
- मेढ़ बंधान, गेबियन आदि संरचना के कार्य
- पौधारोपण के कार्य
- उत्पादकता और रोजगार में वृद्धि का कार्य
ढाई करोड़ हुए हैं खर्च
अभी तक तो ढाई करोड़ रुपये खर्च हुए हैं करेली और नरसिंहपुर में। सबसे ज्यादा मेढ़ बंधान के कार्य हुए हैं जो करेली में अधिक हैं। वहीं 15-20 खेत तालाब के कार्य प्रगति पर हैं। – धर्मेन्द्र धाकरिया, जिला प्रभारी, नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम, नरसिंहपुर