उज्जैन में तुगलकी पंचायत का फरमान: पुजारी का सामाजिक बहिष्कार, बच्चों को स्कूल से निकाला, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश


उज्जैन के झलारिया पीर गांव में मंदिर विवाद के चलते पुजारी पूनमचंद चौधरी और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। पंचायत के फरमान से पोते-पोतियों को स्कूल से निकाल दिया गया, मजदूरों और दुकानदारों को उनके साथ किसी भी प्रकार का संपर्क करने से रोका गया। अब प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।


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उज्जैन Published On :

उज्जैन जिले के बड़नगर तहसील के झलारिया पीर (पिरझलार) गांव में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने ग्रामीण पंचायतों की वैधानिकता और मानवीयता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां 300 साल पुराने देवनारायण मंदिर के पुजारी पूनमचंद चौधरी और उनके पूरे परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। इतना ही नहीं, उनके मासूम बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया और गांव में किसी भी व्यक्ति को उनके साथ चाय-पानी पीने तक से मना कर दिया गया।

 

क्या है पूरा विवाद?

पूनमचंद चौधरी बीते दो दशकों से गांव के मंदिर की सेवा में लगे हुए हैं और मंदिर से लगी करीब 4 बीघा जमीन पर खेती कर जीवनयापन करते हैं। लेकिन हाल ही में कुछ प्रभावशाली ग्रामीणों ने मंदिर के जीर्णोद्धार के नाम पर चंदा इकट्ठा कर मंदिर को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की कोशिश की। जब पुजारी ने इसका विरोध किया और मामला कोर्ट तक पहुंचा, तो 14 जुलाई को गांव में एक सर्व समाज बैठक बुलाई गई जिसमें पुजारी को आमंत्रित नहीं किया गया।

 

पंचायत ने बैठक में हाथ उठवाकर सर्वसम्मति से फैसला लिया कि:

  • कोई ब्राह्मण उनके घर पूजा-पाठ के लिए नहीं जाएगा।
  • कोई नाई उनके बाल-दाढ़ी नहीं काटेगा।
  • मजदूर उनके खेत में काम नहीं करेंगे।
  • सफाईकर्मी उनके घर की सफाई नहीं करेंगे।
  • सामाजिक आयोजनों में उन्हें नहीं बुलाया जाएगा।
  • उनके बच्चों को स्कूल से निष्कासित कर दिया जाएगा।
  • किसी भी नियम तोड़ने वाले पर ₹51,000 का जुर्माना लगाया जाएगा।

 

 

पुजारी का पक्ष

पूनमचंद चौधरी का कहना है कि यह पूरा विवाद मंदिर की भूमि पर कब्जा करने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया है, खेतों में कोई मजदूर काम करने नहीं आ रहा, और गांव में कोई भी उनसे बात तक नहीं कर रहा। उनके बेटे मुकेश चौधरी ने बताया कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे तीनों बच्चों को सिर्फ इस विवाद के कारण निष्कासित कर दिया गया।

 

प्रशासन और राजनीति की प्रतिक्रिया

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें पंचायत के पूर्व मंत्री गोकुल सिंह देवड़ा माइक पर बहिष्कार का फरमान सुनाते नजर आ रहे हैं और ग्रामीण हाथ उठाकर समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं।

 

मामले ने राजनीतिक रंग भी पकड़ लिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि “गृह जिले उज्जैन में संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं, यह जंगलराज है।”

 

उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रशासन का कहना है कि किसी को भी सामाजिक रूप से बहिष्कृत करना गैरकानूनी है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।



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