टाइगर स्टेट में बाघों की संख्या बढ़ाने के दावों के बीच बांधवगढ़ में फिर एक बाघ की मौत


इस सिलसिले में वन मंत्री विजय शाह पहले ही दावा कर चुके हैं कि अगले साल मध्यप्रदेश में 600 से ज्यादा बाघ होंगे। 


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
हवा-पानी Published On :

जबलपुर/नरसिंहपुर। टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ में शुक्रवार को फिर एक बाघ की मौत हो गई। बांधवगढ़ में बाघों की लगातार मौत से अधिकारी चिंतित हैं।

टाइगर स्टेट के नाम से पुकारे जाने वाले मध्यप्रदेश में पिछले पांच माह में लगभग 22 बाघ और करीब दो दर्जन तेंदुओ की मौत हुई है।

बाघ का शव मानपुर बफ़र क्षॆत्र के बरखेड़ा बीट में रहस्यमय स्थितियों में पाया गया। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक बाघ का शिकार किया गया है हालांकि इस बात को मानने से विभाग इंकार कर रहा है।

बताया जाता है कि बाघ के शव में से उसके जरुरी अंग निकालकर उसे सूखे पत्तों और छाड़ियों से ढ़क दिया गया।

पिछले कुछ दिनों में बहुत सी बार ऐसी खबरें आती रहीं हैं  लेकिन इसे रोकने के लिए फिलहाल कोई ठोस इंतज़ाम नज़र नहीं आ रहे हैं।

इससे पहले बीते साल मप्र में 30 बाघ और 48 तेंदुओं की मौत हुई थी। हर चार साल में बाघों की गणना की जाती है जो अगले साल होनी है।

इस सिलसिले में वन मंत्री विजय शाह पहले ही दावा कर चुके हैं कि अगले साल मध्यप्रदेश में 600 से ज्यादा बाघ होंगे।

मध्यप्रदेश में तेजी से हो रही बाघों की मौत से वन मंत्री का यह दावा कितना सही होगा, यह कहना मुश्किल है क्योंकि वन्यप्राणी विशेषज्ञों के मुताबिक जंगल में ऐसे हालात नहीं बनाए जा रहे हैं जो बाघों के लिए बेहतर हों।

बीते बारह साल से टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश का नेशनल पार्क बांधवगढ़ सबसे अधिक बाघों के लिए जाना जाता है।

कम क्षेत्रफल और बाघों की संख्या अधिक होने से यहां आने वाले पर्यटकों को अक्सर बाघ नज़र आते रहते हैं।

ज्यादा पर्यटन से यहां अच्छा खासा राजस्व भी पार्क को प्राप्त होता है।  शुक्रवार को यहां एक टाइगर की मौत हो गई।

इससे पहले हाल ही में सिवनी के पेन्च अभयारण्य में भी एक बाघ की मौत हुई थी।

लगातार हो रही बाघों की मौत से वाइल्ड लाइफ़ के अधिकारी भी पशोपेश में है। हालांकि इस दौरान बहुत से अधिकारियों की लापरवाही की खबरें भी आती रहीं हैं।

यहां बांधवगढ क्षेत्र के बसे ताला गांव के स्थानीय पत्रकार और वन्य जीवन पर लिखने वाले अतुल कुमार गुप्ता बताते हैं कि अब बाघों की हो रही मौत को छुपाया जाता है।

गुप्ता ने जब शुक्रवार को हुई बाघ की मौत पर अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। गुप्ता के मुताबिक स्थितियां ऐसी हो रहीं हैं तो बांधवगढ़ नेशनल पार्क के जिम्मेदारों की जवाबदेही तो बनती ही है।

वे कहते हैं कि अधिकारियों के पास बाघों की मौत के पूरे आंकड़े भी नहीं होते। ऐसे में ज़िम्मेदार ही बाघों के प्रति संवेदनहीन हैं।

 

 प्रदेश में बाघों की मौत

  • 2016 में 32
  • 2017 में 25
  • 2018 में 29
  • 2019 में 29
  • 2020 में 30
  • 2021 में  22 (14 मई तक)

बाघों की संख्या

  •  2006 में  300 बाघ
  • 2010 में  257 बाघ
  • 2014 में 308 बाघ
  • 2018 में 526 बाघ

 

बाघ की मौत का भी कारण स्पष्ट नहीं है। टीम गई हुई है  और अभी जांच हो रही है। जांच के बाद प्रेस रिलीज से जानकारी दी जाएगी। इस साल की शुरुआत से अब तक कितने बाघों की मौत हुई फिलहाल इसका आंकड़ा मेरे पास नहीं है।

रहीम विल्सन, सीसीएफ व डायरेक्टर नेशनल पार्क बांधवगढ़