जिस राज्य से शुरू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वहां के किसान गिना रहे हैं इस योजना के फायदे


मध्यप्रदेश के किसानों ने कहा कि प्रीमियम कम है क्लेम लेने के लिए नहीं लगाने पड़ते चक्कर


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किसानों के हित में फरवरी 2016 मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ की शुरुआत की। इस योजन का उद्देश्य है कि किसानों की फसल किसी तरह की प्राकृतिक आपदा से नष्ट होती है तो उसकी भरपाई की जायेगी. बदले में किसानों को न्यूनतम प्रीमियम पर अपनी फसल का बीमा कराना होगा. इस योजना के शुरुआत से लेकर  अगर अबतक के आंकड़ों पर नजर डालें तो देशभर में सबसे बेहतर प्रदर्शन इस योजना का मध्यप्रदेश में रहा है.

पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में कहा कि मध्यप्रदेश के किसानों की आय अब लगभग दोगुनी हो चुकी है. किसान ज्यादा संख्या में अपनी फसल का बीमा करवा रहे हैं जिसका उन्हें सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है.

धार जिले के किसान आशीष यादव बताते हैं, “फसल पर सबसे ज्यादा खतरा मौसम का है जिससे किसान किसी कीमत पर नहीं निपट सकता. मौसम पर किसान का कोई बस नहीं है. बीते सालों मौसम में जो बदलाव देखने को मिले हैं उसका सीधा असर किसान की फसल पर पड़ा है. इससे निपटने के लिए किसान को अब हर हाल में फसल बीमा करा लेना चाहिए ताकि उसकी नष्ट हुई फसल की भरपाई मुआवजा राशि से हो सके.”

पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो देशभर में बेमौसम बारिश बढ़ी है। इस साल बेमौसम बारिश सबसे ज्यादा हुई है जिससे मध्यप्रदेश के किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. ऐसे मुश्किल समय में किसानों को सबसे ज्यादा राहत प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना के क्लेम से मिली है. मध्यप्रदेश में फसल बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस योजना का यहाँ के किसान भरपूर लाभ उठा रहे हैं.

नरसिंहपुर जिले के करकबेल गांव में रहने वाले किसान नारायण पटेल लगभग 25 एकड़ रकबे में खेती-बाड़ी करते हैं। बीते खरीफ सीजन में बहुत जादा बारिश होने से उनकी सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई थी. उनका कहना है कि फसल बीमा योजना का लाभ मिलने से किसानों में उम्मीद बनी रहती है. मेरा 350 रु प्रति एकड़ की दर पर प्रीमियम कटता है जो एक मामूली राशि है इससे फसल नष्ट होने पर जो भरपाई होती है वो कहीं ज्यादा पैसा है.

किसानों की यह बदलती उम्मीदें उनके अनुभवों से बंध रहीं हैं। दरअसल प्रदेश में अब तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अपने नुकसान की भरपाई कर पाने वाले किसानों की कई कहानियां हैं जो बताती हैं कि फसल बीमा योजना अब पहले से कहीं ज्यादा लाभप्रद और लचीली है। किसानों को ध्यान में रखते हुए इसकी प्रक्रिया को बेहद आसान बनाया गया है.

नरसिंहपुर जिले में लाभ पाने वाले कई किसानों के उदाहरण हैं। यहां गोटेगांव तहसील के बौछार गांव के किसान जितेंद्र सक्सेना ने पिछले वर्ष करीब 7.5 एकड़ में सोयाबीन की बुवाई की थी. इनकी अतिवृष्टि से फसल खराब हो गई. फसल बीमा योजना की इन्हें 29000 रुपए की राशि मिली है. जितेन्द्र सक्सेना कहते हैं, “इससे पहले किसी सरकार में इस तरह का लाभ नहीं मिला है. अब किसान कम से कम इस चिंता से तो बच सकते हैं कि अगर उनकी फसल नष्ट होती है तो उन्हें फसल का क्लेम मिल जायेगा.”

जितेन्द्र आगे कहते हैं, “मैं इस साल भी खरीफ की फसल का बीमा 31 जुलाई के पहले करवा लेना चाहता हूँ क्योंकि इस बार बारिश बहुत हुई है. अभी आगे के लिए कुछ कहा नहीं जा सकता. अगर बीमा करा लेंगे तो हमारी फसल सुरक्षित हो जायेगी.”

जिला प्रशासन के अधिकारी बताते हैं कि फसल बीमा के लिए किसान काफी उत्साहित हैं। इस बार सोयाबीन के लिए बीमित राशि 25 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर है. सोयाबीन फसल का बीमा कराने के लिए किसानों को प्रीमियम राशि 500 रूपये प्रति हेक्टर या 200 रूपये प्रति एकड़ के मानक से निर्धारित की गई है। जिले में उड़द फसल के लिए बीमित राशि 15 हजार रूपये प्रति हेक्टर रखी गयी है वहीं किसानों के लिए प्रीमियम की राशि 300 रूपये प्रति हेक्टेयर तय किया गया है।

मप्र में छोटे एवं सीमांत किसानों को भी फसल बीमा योजना का लाभ मिल रहा है। प्रदेश सरकार के मुताबिक यहां दो हेक्टेयर या इससे कम जमीन वाले एक करोड़ से अधिक खाता धारक किसान बताए जाते हैं। सरकार की तैयारी है कि इन किसानों को भी फसल बीमा के दायरे में लाया जाए और सरकार इनका प्रीमियम भी खुद जमा कराएगी।

इंदौर के महू क्षेत्र के किसान सुभाष पाटीदार बताते हैं कि फसल बीमा योजना किसानों के लिए वाकई एक अलग ही अनुभव है. इसकी सबसे ब़ड़ी खूबी कम प्रीमियम और क्लेम राशि का खाते में सीधा पहुंचना है। किसान को केवल 72 घंटे के अन्दर अपनी नष्ट हुई फसल की सूचना कृषि विभाग के अधिकारियों या बीमा कंपनी में देनी होती है इसके बाद किसान को कुछ नहीं करना पड़ता. नष्ट हुई फसल के अनुसार मुआवजा राशि किसान के खाते में आ जाती है”.

मध्यप्रदेश में पीएम फसल बीमा योजना की स्थिति बेहतर रही है. यहां खरीफ 2020 एवं रबी 2020-21 में 49 लाख किसानों ने फसल बीमा योजना के लिए क्लेम किया था. जिसमें 7600 करोड़ रूपये की राशि किसानों को सीधे उनके खाते में दी गई है. जिसमें  नरसिंहपुर जिले में ही करीब 34 हजार किसानों को फसल बीमा का 22.5 करोड़ रूपये की क्लेम राशि शामिल है.

प्रदेश के 44 लाख किसानों को साल 2021 में हुए नुकसान का 2,933 करोड़ रुपये का प्रधानमंत्री फसल बीमा राशि का भुगतान किया गया है. सबसे ज्यादा बीमा राशि उज्जैन के 5 लाख 35 हजार किसानों को वर्ष 2021 में सबसे अधिक 271 करोड़ रुपये मिले हैं. वहीं सिहोर जिला जहां से फसल बीमा की शुरुआत हुई थी वहां के चार लाख पांच हजार 150 किसानों को 232 करोड़ रुपये मिले हैं इसी तरह शाजापुर जिले के एक लाख 94 हजार किसानों को 197 करोड़ रुपये, विदिशा के दो लाख 70 हजार 850 किसानों को 196 करोड़ रुपये, नर्मदापुरम के एक लाख 47 हजार 178 किसानों को 190 करोड़ रुपये का बीमा मिला है.

इंदौर जिले के सिमरोल गांव के एक किसान राजेश शर्मा कहते हैं, “फसल के नुकसान के आधार पर किसानों को उनकी फसल का दो लाख रूपये तक क्लेम मिल सकता है और ये जानकारी सीधे प्रधानमन्त्री बीमा योजना की बेवसाइट पर देखी जा सकती है. मध्यप्रदेश में प्रगतिशील किसानों की कमी नहीं है. इसलिए यहाँ के किसानों को ऑनलाइन बीमा का पंजीकरण कराने से लेकर खाते में आने वाली राशि सभी जानकारी को वेबसाईट पर जाकर देख सकते हैं. इससे किसानों को इधर-उधार चक्कर काटने से मुक्ति मिल गयी है.”