इंदौर के दो चेहरे, एक पिता ने बेटी की फीस न जमा कर पाने पर जान दे दी तो सीएम ठेला लेकर भी निकले और मिल गए आठ करोड़


— विधायक सत्यनारायण पटेल ने उठाए मुख्यमंत्री के कार्यक्रम पर सवाल।
— मीडिया ने मुख्यमंत्री के कसीदे लगातार पढ़े लेकिन अमित की बेबसी को मिली कम जगह।


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इन्दौर Published On :

इंदौर। बीते सोमवार (31 मई) को आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए खिलौने जुटाने का अभियान इंदौर में चलाया गया। इस अभियान में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ठेला लेकर निकले थे। इस दौरान ढ़ेरों खिलौने और करीब आठ करोड़ रुपये की रकम के चैक लोगों ने मुख्यमंत्री को दान में दे दी। यह रकम आंगनवाड़ी में पढ़ने वाले जरुरतमंद बच्चों के लिए थी।

ठीक इसी दौरान एक व्यक्ति के पास उसकी बेटी की स्कूल की फीस भरने के लिए इतना दबाव आ रहा था कि उसे भविष्य में कोई उम्मीद नज़र नहीं आई और उसने ज़हर खाकर अपनी जान दे दी।

मीडिया में प्रकाशित जानकारी के मुताबिक मामला एरोड्रम थाना क्षेत्र का है। जहां बुढ़ानिया में रहने वाले 35 साल के अमित राजकुमार पाल ने ज़हर खा लिया। उसके भाई संदीप ने बताया कि अमित की दो बेटियां हैं। इनमें बड़ी बेटी तीसरी कक्षा में पढ़ रही है, जबकि छोटी बेटी चार साल की है। बड़ी बेटी के स्कूल की करीब चालीस हज़ार रुपये की फीस बाकी थी। जिसे लेकर लगातार स्कूल से कॉल आ रहे थे। इसी बात को लेकर अमित परेशान था और संभवतः उसने यह कदम उठाया।

अमित की माली हालत कोरोना काल में लगे लॉक डाउन के बाद से ही बिगड़ गई थी। वह पहले एक निजी कंपनी में काम करता था लेकिन लॉकडाउन में उसकी नौकरी चली गई थी। इस दौरान कर्ज बढ़ता रहा। इसके बाद वह इंदौर के किराना बाजार सियागंज में हम्माली करने लगे लेकिन यह भी उनका महीने का खर्च निकालने में नाकाफी था।  इसके अलावा बेटी की फीस के लिए स्कूल का दबाव भी उसे परेशान कर रहा था।  इसके बारे में उसने अपनी पत्नी से भी बात की थी।  परिजनों के मुताबिक स्कूल की फीस भरने के लिए अमित ने कई लोगों से मदद की गुज़ारिश की, इनमें कई राजनेता भी थे लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया।

इन दो दिनों में इंदौर के दो चेहरे सामने आए। इनमें एक चेहरा वह था जहां प्रदेश के व्यवस्था तंत्र मुखिया ठेला लेकर निकलते हैं और उनके ठेले पर करोड़ों रुपये लोग यूं ही दे देते हैं लेकिन दूसरा चेहरा कुछ स्याह है जहां स्कूल बेटी की फीस के लिए आर्थिक रुप से टूटे हुए एक व्यक्ति पर दबाव बनाते हैं। इस फीस को भरने में उसकी कोई मदद नहीं करता और वह आत्महत्या कर लेता है।

ऐसे में मुख्यमंत्री का गरीब बच्चों को खिलौने और संसाधन जोड़ने का अभियान कितना सफल कहा जाए। इसके बाद अमित की अनाथ बच्चियों के लिए वे अपने मामा होने का फर्ज़ किस हद तक निभा पाते हैं यह भी देखना होगा।

 

अमित की आत्महत्या और मुख्यमंत्री शिवराज के अभियान पर राजनीतिक वार भी शुरु हो गए हैं। इंदौर के कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने इसे लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि कल जब आप इंदौर में आंगनवाड़ी के लिए सामान जुटाने की मेगा इवेंट कर रहे थे तब एक बेबस बाप अपनी मौत का सामान जुटा रहा था। तीसरी में पढ़ने वाली बच्ची की फीस नहीं भर पाने के कारण इस गरीब ने आत्महत्या कर ली।उस मासूम बच्ची के पिता का हत्यारा कौन है शिवराज जी ??

 

अमित की आत्महत्या से एक और बात भी सामने आ रही है कि अब तक कोरोना काल के बाद लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरी नहीं है। इस स्थिति में ज्यादातर लोग रोजाना बढ़ रही महंगाई से परेशान हैं। कोरोना काल के दो वर्षों तक स्कूल बंद रहे ऐसे में वे अभिभावकों पर ज्यादा दबाव बना रहे हैं। स्कूल संचालकों के मुताबिक जब तक स्कूल बंद रहे तब तक उन्हें सरकार से किसी भी तरह की छूट नहीं मिली है। इस दौरान उन्हें कर्मचारियों का वेतन, भवन कर, बिजली बिल और तमाम तरह के खर्चे बिना आमदनी के ही वहन करने पड़े हैं।



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