पत्ता गोभी के नकली बीज से इन किसानों को सता रही भारी नुकसान की आशंका


महू के कई किसान पत्ता गोभी की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं, कहते हैं कि इससे खेती का घाटा पाटने में मिलती है मदद।


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उनकी बात Updated On :

इंदौर। मालवा क्षेत्र के समृद्ध किसान अक्सर नकली खाद और बीज से परेशान रहते हैं। इन दिनों इंदौर जिले के महू इलाके में किसानों की समस्या भी है यही है। यहां के कई किसानों ने इस बार पत्ता गोभी लगाई है। यह फसल उनके लिए पुराने घाटे खत्म करने में मदद करती है। किसानों को इस बार भी यही उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसानों का आरोप है कि एक कंपनी ने यहां के किसानों को बड़े पैमाने पर नकली बीज थमा दिये और उन्हें इसका पता जब चला जब वे इन्हें रोप चुके थे। किसान कहते हैं कि अब गोभी बेहद हल्की क्वलिटी का दिख रहा है और इसमें लगातार बीमारियां भी लग रही हैं।

इस बार यहां करीब ढ़ाई हजार बीघा में पत्ता गोभी लगाया गया है। शुरुआत में जिन किसानों बीज खरीद कर बुआई कर दी उन्हें तो असली और अच्छा  बीज मिल गया लेकिन जो किसान इसके बाद बुआई कर रहे थे उन्हें नकली बीज मिला। इस तरह पहले और बाद का फर्क इन खेतों में साफ देखा जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि किसानों का रोपा गया ये बीज कोई सस्ता हो। गोभी के इस ब्रान्डेड बीज की कीमत करीब 22 हजार रुपये किलो है। इस पूरे इलाके में किसानों ने करीब 44 किलोग्राम बीज खरीदा है और इसकी कीमत साढ़े नौ लाख रुपये है।

करड़ाखेड़ी के किसान सुभाष पाटीदार बताते हैं कि उन्होंने करीब 30 बीघा में गोभी लगाया है। उन्होंने पहले अपनी कुछ थोड़ी सी जमीन पर गोभी लगाया और बाद में फिर बीज खरीदकर बाकी जमीन पर भी बो दिया लेकिन दूसरी बार बोया गया बीज नकली और अनट्रीटेड था ऐसे में गोभी की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है।

वे कहते हैं कि अब फसल की बढ़त को देखकर लग रहा है कि यह करीब 90 से 100 दिनों में पूरी तरह विकसित हो पाएगी जबकि सामान्य तौर पर गोभी 75 दिनों में तैयार हो जाता है। वहीं पाटीदार की फसल में अभी से बीमारियां लग रहीं हैं और ऐसे में सौ दिनों में यह फसल एक चौथाई भी नहीं बचेगी। ऐसे में नुकसान तय है। पाटीदार के मुताबिक अगर वे फसल को बचाने के लिए ज्यादा खाद डालने से शायद थोड़ी और फसल बच जाए लेकिन ऐसा करने से फसल की गुणवत्ता को नुकसान होगा और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होगी ऐसे में वे ये नहीं करेंगे।

किसानों ने इसी कंपनी के बीज खरीदे हैं।

पाटीदार बताते हैं कि स्थानीय डीलर ने उन्हें एस्सेन हायवेज नाम की कंपनी के नीलोफर बीज बेचे थे। देखने पर यह बीज अच्छे थे और शुरुआत में इनका परिणाम भी ठीक रहा था लेकिन बाद में जब बीजों की मांग बढ़ी तो कंपनी ने अपनी पैकिंग में नकली और अनट्रीटेड बीज देना शुरु कर दिया। इस बीच कुछ किसानों ने पहचानकर कंपनी से इसकी शिकायत भी की लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने इसे अच्छा बीज बताया और सब ठीक रहने की बात कही जिसके बाद किसानों ने इसे उपयोग में ले लिया।

किसानों के मुताबिक इस इलाके में करीब 200 बीघा खेतों में नकली बीज बोए गए हैं और सभी किसान घाटे में हैं और कुछ किसानों का तो भारी घाटा होने की आशंका है। एक अन्य किसान अनिल पाटीदार ने अपनी जमीन के एक बड़े हिस्से पर यही बीज लगाए हैं और उनकी फसल पूरी तरह खराब होने की कगार पर है। ऐसे में उनका घाटा सबसे बड़ा होगा।

सुभाष पाटीदार बताते हैं कि कंपनी से कई बार इसकी शिकायत की गई है लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की। कंपनी के अधिकारी भी यहां बात सुनने के लिए नहीं आए। किसानों ने एक शिकायती पत्र भी कंपनी को लिखा और मुआवजा मांगा लेकिन कंपनी ने इसे भी अस्वीकार कर दिया। इस मामले में कंपनी के अधिकारियों से भी संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन जवाब नहीं मिला।

किसान कहते हैं कि असली और नकली बीजों की फसल का अंतर साफ है। नकली बीज की फसल का रंग हल्का है।

किसान हार्टीकल्चर विभाग में भी इसकी शिकायत कर चुके हैं और उन्होंने आकर जांच भी की है। पाटीदार के मुताबिक हार्टीकल्चर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी किसानों की इन समस्याओं को लेकर कोई खास संवेदनशील नहीं हैं। ऐसे में मामलों पर ये अधिकारी भी गंभीरता नहीं दिखाते और ज्यादातर बार कंपनियों की ही वकालत करते हैं।

इस मामले में हार्टीकल्चर के संयुक्त संचालक त्रिलोकचंद्र वास्केले के मुताबिक बीज नकली है यह फिलहाल कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि अभी फसल को लगाए हुए कुछ ही दिन हुए हैं और गोभी का हैड यानी मुख्य हिस्सा बन जाने के  बाद ही यह तय होता है कि बीज की क्वालिटी क्या है। वास्केले ने कहा कि पिछले दिनों इलाके में काफी बारिश हुई है इसका असर भी फसलों पर पड़ा है ऐसे में फिलहाल केवल इंतजार ही करना होगा फसल की पूरी ग्रोथ के बाद ही बीज के नकली या असली होना सिद्ध हो सकता है।

किसान सुभाष पाटीदार कंपनी के बारे में बताते हुए, उनके मुताबिक इसी कंपनी के बीज नकली हैं।

वहीं नकली बीज पर पीड़ित किसान सुभाष  पाटीदार कहते हैं कि अब वे नकली बीज को लेकर पुलिस में शिकायत करेंगे क्योंकि सरकार ने पहले ही नकली बीज पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है और उन्हें उम्मीद है कि कम से कम पुलिस कंपनी के अधिकारियों को जबाव देने के लिए बुलाएगी। वहीं ये किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी पत्र लिखकर भी शिकायत करने जा रहे हैं ताकि नकली खाद बीज देने वाली कंपनियों पर कोई ठोस कार्रवाई की जाए।

पत्ता गोभी से थी उम्मीद…

मालवा क्षेत्र में किसान अपनी घाटे को कम करने के लिए कई मौसमी सब्ज़ियां उगाते हैं। ये फसलें उनके घाटे को कम करने का काम करती हैं लेकिन अक्सर नकली खाद और बीज इस मुनाफे़ को घाटे में बदल देते हैं। फिलहाल क्षेत्र में जो किसान इस नकली बीज से बचे हुए हैं उनके यहां पत्ता गोभी अच्छा हो रहा है और इस साल दाम अच्छा होने के चलते उन्हें 18-20 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिलने की उम्मीद है।

किसान मनोहर पाटीदार को अच्छे बीज मिल गए और वे फिलहाल खुश हैं।

किसान बताते हैं कि यह एक बीघा में करीब 15 टन तक पत्ता गोभी हो जाता है और लागत करीब 50 हजार रुपये तक आती है ऐसे में यह घाटे को पाटने में बड़े तौर पर सहायक फसल होती है।



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