जान हथेली पर लेकर फसल काटने जाते हैं ये मज़दूर


परिवहन विभाग नहीं करता ठोस कार्रवाई, इसलिए नहीं निकल रहा कोई दूसरा रास्ता, अक्सर होते रहते हैं हादसे, कई मजदूरों की हुई है मौत


आशीष यादव आशीष यादव
उनकी बात Updated On :

जहां एक और किसान सोयाबीन कटाई में लगा है तो वहीं दूसरी ओर मजदूर अपनी मजदूरी के लिए एक साथ टोलों में कर्मशियल लोडिंग वाहनों में बैठकर सोयाबीन कटाई के लिए जा रहे हैं। ये गाड़ियां दूर से ही नजर आ जाती हैं। जिनमें गाड़ी की क्षमता से कहीं अधिक लोग बैठे होते हैं। इन गाड़ियों की स्थिति इतनी खतरनाक होती है कि वे अक्सर हादसे का शिकार हो जाती हैं। ऐसे हादसे कई बार हो चुके हैं लेकिन सड़कों पर यह नज़ारे हमेशा बने रहते हैं।

कटाई के इस सीज़न से पहले बीते चार पांच महीनों से मजदूरी वर्ग घर पर ही थे। पिछले दिनों से सोयाबीन कटाई  काम चालू हुआ तो गावों में मजदूरों का आना शुरु हो गया है। ये मजदूर इसी तरह गाड़ियों में सवार होकर या कहें जान हथेली पर रखकर आ रहे हैं। इनके पास इस तरह आने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। वाहन चालक और इनके मालिक भी नियमों को ताक पर रखकर इन्हें ले जा रहे हैं लेकिन वाहन दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ती जा रही है। ऐसे करीब दस से अधिक हादसे बीते कुछ वर्षों में जिले में हो चुके हैं। इनमें कई मजदूरों की जान भी गई है।

मजदूर बताते हैं कि इस तरह से जाना उनकी मजबूरी है क्योंकि खेत मालिक ठेकेदारों से मजदूर लाने का अनुबंध करता है। वे ठेकेदार से पैसा लेते हैं और वही ठेकेदार उन्हें खेतों तक ले जाने का इंतज़ाम करता है और इसी तरह के कर्मशियल वाहनों में उन्हें ले जाया जाता है। मजदूर अपने साथ हुए कई हादसों का भी जिक्र करते हैं। ये मजदूर कहते हैं कि अगर पुलिस या कोई विभाग कार्रवाई करता भी है तो उन्हें ही परेशानी उठानी पड़ती है। उन्हें बच्चों के साथ किसी भी समय किसी भी स्थान पर वाहन से उतारकर छोड़कर दिया जाता है और फिर उन्हें कई बार कई किमी पैदल चलना होता है।

खेत मजदूरों के साथ बीते कुछ समय में हुए सड़क हादसे

  • इसी साल 30 मई को सादलपुर में एक पिकअप का एक्सीडेंट हुआ। इसमें छह मजदूरों की मौत हुई और 22 घायल हुए।
  • इसी साल मार्च में मांडू में मजदूरों का पिकअप हादसे का शिकार हुआ है, जिसमें 40 लोग सवार थे। इस हादसे में 20 घायल हुए।
  • बीते साल अक्टूबर में एबी रोड पर पिकअप पलटा था। गुजरी में हुए इस हादसे में 20 मजदूर घायल हुए और दो की मौत हुई।

 

न ब्रेक है ना लाइट और न ही नंबर प्लेट का पता: रात में सड़क पर चलते इन वाहनों में अनेक खामियां होने के कारण दूसरे वाहन चालकों के लिए खतरा बना रहता है।   खास बात यह है कि इनमें न ब्रेक लाइट होती है न ही रेडियम रिफ्लेक्टर और न ही नंबर प्लेट लगी होती है। इन खामियों के चलते रात में इनमें बैठी सवारियों को खामियाजा भुगतना पड़ता है। इसके बावजूद परिवहन विभाग ऐसे पर कार्रवाई नहीं करता।

कार्रवाई के बाद नही मानते वाहन चालक:
जिले में आए दिन ओवरलोडिंग वाहनों से हादसे हो रहे हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है। ऐसी कार्रवाई के बाद भी वाहन चालकों पर कोई असर नहीं होता और न ही उन्हें अपनी सवारियों की चिंतो होती है।

गति की कोई सीमा:
बता दें कि अभी सोयाबीन कटाई का काम चल रहा है अभी किसानों द्वारा बाहर से मजदूर बुलाकर सोयाबीन की कटाई कराई जा रही है लेकिन इन आवर लोडिंग वाहनों में इतनी ज्यादा भीड़ रहती है के एक गाड़ी में करीबन 50 से अधिक सावरियां बैठकर सोयाबीन कटाई के लिए आती हैं क्योंकि इन मजदूरों को अपने पैसे बचाने के लिए एक साथ आना पड़ता है वहीं वाहन चालक खेतों पर मजदूरों को पहुंचाने के लिए काफी तेज वाहन चलाते हैं।

 

आगामी दिनों में चुनाव हैं जिसमें अभियान के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं ओवरलोडिंग वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जल्द टीम बनाई जाएंगी और इनकी धड़ पकड़ की जाएगी।

          हृदेश यादव, जिला परिवहन अधिकारी धार



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