धार की सब्जी मंडी बनी शोपीस: डेढ़ करोड़ की लागत से बनी 21 दुकानें आवंटन की बाट जोह रही, पुरानी मंडी में फैल रही गंदगी


धार में डेढ़ करोड़ की लागत से बनी थोक सब्जी मंडी की 21 दुकानें वर्षों से बिना आवंटन के बेकार पड़ी हैं। पुरानी मंडी अब बन चुकी है कचरे का ढेर।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

शहर के मोतीबाग चौक पर नगर पालिका द्वारा डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से वर्षों पूर्व तैयार की गई थोक सब्जी मंडी आज उपयोग से बाहर होकर जर्जरता और उपेक्षा की मिसाल बन चुकी है। इस मंडी में बनाए गए 21 दुकानों का आज तक आवंटन नहीं हो सका है, जिससे ये दुकानें महज शोपीस बनकर रह गई हैं। स्थानीय व्यापारी, रहवासी और जनप्रतिनिधि वर्षों से इस अव्यवस्था पर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन नगर पालिका की उदासीनता के कारण न तो दुकानें आवंटित हो सकी हैं और न ही मंडी की मूलभूत स्थिति में कोई सुधार हुआ है।

मंडी में दिनभर अस्थायी अतिक्रमण और असामाजिक तत्वों की आवाजाही बनी रहती है। व्यापारियों का आरोप है कि नगर पालिका द्वारा आरक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। लगभग एक साल पूर्व शुरू हुई इस प्रक्रिया पर व्यापारी संगठन ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जानकारी छुपाकर कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी। इस विवाद के चलते कुछ व्यापारियों ने न्यायालय में जाने की चेतावनी भी दी थी, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

 

पुरानी मंडी बन चुकी है ट्रैचिंग ग्राउंड

नगर पालिका की दूसरी बड़ी लापरवाही पुरानी थोक सब्जी मंडी के रूप में सामने आ रही है, जिसे अब कचरा डंपिंग ज़ोन में तब्दील कर दिया गया है। यहां नगर पालिका के कर्मचारी नियमित रूप से शहर के मोहल्लों से कचरा लाकर फेंकते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में भयंकर दुर्गंध और गंदगी फैल रही है। रहवासी कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

मंडी के समीप स्थित दुर्गा मंदिर समिति ने भी नगर पालिका से कई बार अपील की, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। क्षेत्रवासियों ने बताया कि बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को इस गंदगी से बहुत परेशानी हो रही है।

 

52 दुकानों का था प्रस्ताव, 8 साल में सिर्फ 21 बनीं, वो भी बेकार

नगर पालिका ने 2016-17 में पंजीकृत सब्जी विक्रेताओं के लिए कुल 52 दुकानों का निर्माण कराने की योजना बनाई थी। पहले चरण में 2018 में 21 दुकानें बनकर तैयार हुईं, लेकिन अब तक उनका आवंटन नहीं हो सका। रख-रखाव के अभाव में इन दुकानों की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। कई दुकानों की शटरें जंग खा चुकी हैं, और दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं।

 

क्या कहता है शहर

व्यापारियों का मानना है कि यदि नगर पालिका ईमानदारी से दुकानों का आवंटन करती और मंडी को सुचारु रूप से शुरू करती, तो आज शहर के थोक सब्जी व्यापार को एक व्यवस्थित जगह मिलती। वहीं रहवासी चाहते हैं कि कम से कम पुरानी मंडी को कचरे से मुक्त किया जाए और वहां की सफाई नियमित रूप से हो।

 



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