राजू भाई धार में भाजपा की तो राजू बेन धरमपुरी में कांग्रेस के लिए हैं मुसीबत, दिलचस्प है यहां मुकाबला


धार जिले की 7 सीटों में से 3 सीटों पर निर्दलीय बिगाड़ सकते हैं जीत के समीकरण


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

विधानसभा चुनाव में नाम वापसी के अंतिम दिन कहीं दिग्गजों ने नाम वापस लिए तो कहीं बड़े नेता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं।

नाम वापसी के बाद अब चुनावी परिदृश्य पूरी तरह साफ हो गया है। अधिकांश स्थानों पर निर्दलीय प्रत्याशियों के ताल ठोकने से त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बन गई है।

पूर्व मंत्री रंजना बघेल ने मनावर से समझा इसके बाद अपना नामांकन वापस लिया तो धार विधानसभा क्षेत्र से पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष राजु यादव भैया और धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य राजू बेन के निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ने की स्थिति ने भाजपा और कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी है।

धार जिले की सात विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार को नाम वापसी के बाद चुनावी परिदृश्य से साफ हो गया है।भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के प्रदेश स्तर और जिला स्तर के नेता दिन भर अपनी पार्टी के बागी उम्मीदवारों को समझने में लग रहे।

अब साथ विधानसभा में कहीं सीधा कहीं त्रिकोणीय तो कहीं चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति बन रही है। विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे जिले में राजनीतिक सरगर्मी बढने लगी है।

दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों व निर्दलीय उम्मीदवारों ने मतदाता के बीच पहंचना शुरु कर दिया है। ऐसे में जिले में सात विधानसभा सीटो में से 4 में जहां लगभग आमने सामने का मुकाबला देखने को मिल सकता है वहीं 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार दोनों ही पार्टियों का राजनीतिक समीकरण बिगाड सकते है।

बात की जाए बदनावर, सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी की तो यहां उम्मीदवार तो है पर टक्कर दोनों पार्टियों की ही मानी जा रही है। वहीं धार, मनावर व धरमपुरी में निर्दलीय उम्मीदवारों ने पेंच फंसा रखा है।

धार में चतुष्कोणीय मुकाबला तो धरमपुरी में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति:

धार विधानसभा:

धार विधानसभा से भाजपा की ओर से  विधायक नीना वर्मा उम्मीदवार है तो कांग्रेस की ओर प्रभा गौतम। दोनों की महिला नेत्रियां समाज के बीच काफी सक्रिय देखी जाती है लेकिन जहां नीना वर्मा के लिए अपनी ही पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव यादव सिर दर्द बनकर सामने है तो वहीं प्रभा गौतम के लिए कुलदीप बुंदेला।

वैसे नीना वर्मा अभी विधायक रही है लेकिन इस बार जैसा विरोध पहले नहीं देखा गया है क्योंकि यादव के साथ पार्टी के बड़े नेता भी एकजुट है। वहीं प्रभा गौतम को बुंदेला के चुनाव लडने से मुश्किल पैदा हो गई । ऐसे में यह मुकाबला  और भी ज्यादा दिलचस्प हो जाएगा। जिले और प्रदेश मैं चर्चित अनारक्षित धार विधानसभा में इस बार बेहद रोचक चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा।

बदनावर विधानसभा:

बदनावर में दोनों दलों के नेता राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और भंवर सिंह शेखावत पहले एक दूसरे की पार्टी में थे। दत्तीगांव को विधानसभा क्षेत्र का वर्षों का अनुभव है तो शेखावत भी पिछले 10 सालों से बदनावर से जुडे हुए है। दत्तीगांव ने अपने कार्यकाल में कई विकास कार्य किए। उन्होंने बड़े बड़े उद्योग, स्कूल, कॉलेज आदि खोले तो शेखावत ने भी विकास की गंगा बहाई पुल पुलिया, भवन, डेम आदि बनाए।  दत्तीगांव का मानना है कि उनके साढे 3 वर्षीय मंत्री पद कार्यकाल में 2 वर्ष कोरोना में चले जाने से जो कुछ करना था वह अभी करना बाकी है। वहीं शेखावत नर्मदा को बदनावर लाने को लेकर जुटे हुए है। दोनों ही उम्मीदवार अपने आप में मजबूत हैं और पूरे क्षेत्र से परिचित है। ऐसे में यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प होने की उम्मीदवार है अनारक्षित बदनावर विधानसभा क्षेत्र में मुख्य रूप से मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच में होगा।

सरदारपुर विधानसभा:

सरदारपुर विधानसभा से भाजपा से वेलसिंह भूरिया प्रत्याशी है। वेलसिंह पूर्व विधायक रह चुके और अपने बडबोलेपन से चर्चित है। जिसके कारण पिछली बार टिकट भी कटा। वहीं कांग्रेस से प्रताप ग्रेवाल मैदान में है। जिनकी छवि पूरी विधानसभा में साफ स्वच्छ नेता की है। बस कार्यकर्ताओं व अपने ही नेताओं में उनको लेकर थोडा असंतोष चर्चा में है। वैसे दोनों ही नेता क्षेत्र के विधायक रह चुके है। जनता इनके कार्यकालों को देखकर ही अपने मत का उपयोग करेगी। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सरदारपुर

गंधवानी विधानसभा:

गंधवानी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी सरदार सिंह मेड़ा उम्मीदवार है। मेड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष है। क्षेत्र में साफ स्वच्छ नेता की छवि, लेकिन बार बार चुनाव इसी विधानसभा से चुनाव लड़ने व हारने के कारण मेडा के प्रत्याशी घोषित होने पर कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। वहीं कांग्रेस के उमंग सिंघार मैदान में है। सिंघार हर बार चुनाव जीतते आए है। क्षेत्र में न रहते हुए भी पूरे क्षेत्र में टीम सक्रिय है जो उनकी अनुपस्थिति दर्ज नहीं होने देती।

गंधवानी विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित गंधवानी विधानसभा मैं मुख्य मुकाबला कांग्रेस के बड़े आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री उमंग सिंगार और धार जिला पंचायत के अध्यक्ष भाजपा प्रत्याशी सरदार मेड़ा के बीच होगा।

कुक्षी विधानसभा

कुक्षी विधानसभा में भाजपा ने युवा उम्मीदवार जयदीप पटेल को उम्मीदवार बनाया हैं। संगठन में प्रदेश स्तर के पदाधिकारी है। क्षेत्र के लिए नया चेहरा है लेकिन उनमें अनुभव की कमी दिखाई देती है। वहीं कांग्रेस से सुरेंद्र सिंह बघेल पूर्व मंत्री उम्मीदवार है। हनी बघेल क्षेत्र में काफी सक्रिय है लेकिन एंटी इनकंबेंसी प्रभावशील हो सकती है। पिछले दिनों हुआ सम्प्रदायिक विवाद से प्रभाव पढने की उम्मीद हैं। लोगों का मानना है अंतर कम पड सकता है। पूरी भाजपा कुक्षी विधानसभा जीताने के लिए लगी हुई है

धरमपुरी विधानसभा: 

धरमपुरी विधानसभा से भाजपा से कालू सिंह ठाकुर उम्मीदवार है। ठाकुर पूर्व में चुनाव लड चुके है। लेकिन पिछले चुनाव में विधानसभा से बाहरी व्यक्ति को टिकट देने के कारण इनका टिकट काटा गया था। चुनाव के शुरुआती दौर में टिकट वितरण के बाद इनकी आडियो काफी वायरल हुई।

उधर कांग्रेस से वापस पांचीलाल मेडा का दांव लगाया गया है। मेडा आंदोलनों को लेकर काफी सक्रिय दिखे। लेकिन डूब क्षेत्र के लोगों में मेडा को लेकर काफी नाराजगी देखी गई। वहीं क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी राजूबेन ने मेडा को परेशान कर रखा है। राजू बेन कांग्रेस समर्थित मानी जाती हैं पूर्व में भी निर्दलीय जनप्रतिनिधि बनी। अब उनकी उम्मीदवारी मेडा के लिए खतरे की घंटी है। यहां मुकाबला त्रिकोणीय है।

मनावर विधानसभा:

मनावर विधानसभा में भाजपा से स्व. गोपाल कन्नौज के पुत्र शिवराम कन्नौजे पर पार्टी ने विश्वास जताया है। कन्नौजे युवाओं में नया चेहरा है और स्थानीय उम्मीदवार होने का फायदा है लेकिन इनके पास भी अनुभव की कमी है। किंतु कांग्रेस ने हीरालाल अलावा को ही अपना प्रत्याशी फिर चुना है। अलावा के लिए आदिवासी जयस के लालसिंह बर्मन मुश्किलें बढा रहे है। जहां बर्मन की बात करें तो एक समय वे अलावा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे थे। उनके पास कार्यकर्ता भी बढी संख्या में है ऐसे में यदि वे चुनाव लड़ते हैं तो अलावा का जीतना मुश्किल होगा।

गुरुवार कक नाम वापस लेने की तिथि के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो गई है। जो निर्दलीय ताल ठोक रहे है वे वास्तविकता में मैदान में कूदेंगे या नहीं यहां भाजपा से रूठ कर बागी प्रत्याशी के तौर पर फॉर्म जमा करने वाली पूर्व मंत्री रंजना बघेल ने चुनाव लड़ने की घोषणा की थी पर समझाइश के बाद उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है। यहां भाजपा के शिवराम कन्नौज और कांग्रेस से जयस के हीरालाल अलावा चुनावी मैदान में है इनके बीच मुख्य मुकाबला होगा।



Related