विधानसभा तक पहुंचा गणेश घाट का मामला लेकिन आया फिर वही आश्वासन


जिम्मेदारों की अनदेखी और कार्य करने का लचीलापन का खामियाजा वाहन चालक भुगत रहे हैं यहां 13 साल में 3300 हादसे हो चुके हैं। इसमें 392 से अधिक लोगों की जान गई है।

 


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :

धार/ धामनोद/ धार फाटा। गणेश घाट में मौत के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। ये घाट दुर्घटनाओं का पर्याय बन चुका है कई जनप्रतिनिधि ने यहां दुर्घटनाएं रोकने के लिए पहल की लेकिन सार्थक कारागार पहल मूर्त रूप नहीं ले पाई आखिरकार स्थिति यही है कि गणेश घाट में लगातार दुर्घटनाएं हो रही है सैकड़ों लोग जान गवां चुके हैं यह क्रम आज भी जारी है अब इसी तारतम्य में यह मुद्दा धररपुरी विधायक पाची लाल मेड़ा ने विधानसभा में उठाया जिस पर फिर एक बार सुधार कार्य का आश्वासन मिला है।

मौत का पर्याय बन चुका गणेश घाट लगातार दुर्घटनाओं को अंजाम दे रहा है लेकिन यहां पर बचाव की पहल शुरू नहीं हुई सैकड़ों जानें लेने वाला गणेश घाट आज भी हादसे के दौर से गुजर रहा है लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और कार्य करने का लचीलापन का खामियाजा वाहन चालक भुगत रहे हैं यहां 13 साल में 3300 हादसे हो चुके हैं। इसमें 392 से अधिक लोगों की जान गई है।

घाट क्षेत्र में दुर्घटना संभावित सात किमी हिस्से में सिक्स लेन बनाई जानी है। इसकी एक साल पहले मंजूरी भी मिल चुकी है। जमीन वन विभाग से लेनी पड़ेगी, लेकिन निर्माण कार्य कब होगा, यह किसी को नहीं पता। राहत की बात यह है कि  धार व बड़वाह वन विभाग 24 हेक्टेयर जमीन देने के लिए प्रक्रिया शुरू कर चुका है।

राऊ-खलघाट फोरलेन का निर्माण 500 करोड़ रुपये की लागत से 2006 में शुरू हुआ था और यह 2008 में बनकर तैयार हुआ। फोरलेन निर्माण के दौरान गणपति घाट वाले हिस्से में तकनीकी खामी छूट गई है।

विशेषज्ञों के अनुसार घाट की उतरने वाली लेन में ढलान जरूरत से ज्यादा है। इससे उतरते वाहनों के चालक जैसे ही ब्रेक लगाते हैं, ब्रेक लाइनर चिपक जाते हैं और वाहन बेकाबू हो जाते हैं। ऐसे में तेज गति से दौड़ते भारी वाहन आगे चल रहे वाहनों से टकरा जाते हैं।

कभी-कभी डिवाइडर तोड़कर दूसरी लेन में चढ़ाई कर रहे वाहनों से भी टकरा जाते हैं या फिर रेलिंग तोड़कर खाई में जा गिरते हैं और हादसा बड़ा रूप धारण कर लेता है।

1600 लोग गंभीर रूप से घायल…  मानवीय भूल के चलते 13 वार्षों में गणपति घाट में 3300 से अधिक हादसे हो चुके हैं। इनमें 392 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 1800 गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

घाट पर अस्थायी सुधार भी नहीं रोक पाए हादसे…  भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) घाट सुधार के लिए अब तक कई तरह के प्रयास कर चुका है। एनएचएआइ ने दुर्घटना संभावित क्षेत्र में स्पीड ब्रेकर बनवाए, हाईमास्ट लगाए, संकेतक बोर्ड और रेलिंग भी लगाई।

हादसों के बैनर लगाने के साथ कानवाय (पुलिस की निगरानी में वाहनों का काफिला निकलना) के लिए पुलिस चौकी तक बनवाई। इन सभी कामों पर अब तक सरकार करोड़ों रुपये से ज्यादा खर्च कर चुकी है, किंतु ये सब उपाय भी हादसों पर अंकुश नहीं लगा पाए।

क्या है समाधान… विशेषज्ञों के अनुसार गणपति घाट पर स्थायी समाधान के तहत घाट के उक्त दुर्घटना संभावित सात किमी हिस्से में सिक्स लेन बनाना आवश्यक है। इसके बाद ही वहां से बड़े और छोटे वाहनों को अलग-अलग लेन में निकाला जा सकेगा या फिर सात किलोमीटर का ब्रिज बनाया जाए, जिसमें ढलान ना हो।

ढलान है मुख्य कारण … गणेश घाट में ढलान ही हादसे होने का मुख्य कारण बताया जाता है। नए प्रस्तावित डीपीआर जिसमें नया घाट निर्माणाधीन है उसके लिए ठोस पहल नहीं हो पाई मौत के आंकड़े हैरान करने वाले हैं दोनों दलों के नेताओं ने यहां पर प्रयास भी किए लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया गणेश घाट में आंदोलन भी हुए लेकिन आज भी स्थिति यही कि वहां पर लगातार हादसे हो रहे है

दो पूर्व मंत्री दुर्घटना में बाल-बाल बचे… गणेश घाट पर हो रहे हादसे में अधिकांश तो ट्रक चालकों ने अपनी जान गंवाई लेकिन जनप्रतिनिधि भी हादसों से अछूते नहीं रहे पूर्व में तत्कालीन गृहमंत्री बाला बच्चन भी गणेश घाट में हादसे का शिकार होते-होते बाल-बाल बचे अभी हालही में ही पूर्व पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव की कार भी दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हो गई थी हालांकि वे सुरक्षित रहे।

हादसों पर अपने कार्य क्षेत्र में आने वाले गणेश घाट को लेकर विधायक पाची लाल मेड़ा चिंतित है उन्होंने विधानसभा में अपने कांग्रेस कार्यकाल के समय भी दो बार गणेश घाट के मुद्दे को उठाया लेकिन अभी तक सार्थक पहल धरातल पर मूर्त रूप नहीं ले पाई।

अन्य जनप्रतिनिधि जिसमें सांसद छतर सिंह दरबार जिन्होंने डीपीआर स्वीकृत कराने के लिए प्रयास किया लेकिन उनके द्वारा जारी किए गए पत्र भी कोई काम नहीं आए वहीं धार विधायक नीना वर्मा ने भी कांग्रेस कार्यकाल में पत्र लिखकर गणेश घाट में हो रही दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त की थी लेकिन सुधार कार्य के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही हुई स्थिति यह है कि आज भी निर्दोषों की जान लगातार जा रही है।

खुद विधायक बैठे थे धरने पर…  पूर्व विधायक पाची लाल मेड़ा ने गणेश घाट पर तीन दिवस तक आंदोलन किया था। जिसके बाद सुधार कार्य के नाम पर तमाम एनएचआई के अधिकारी भी पहुंचे लेकिन फिर भी जो अधूरे प्रयास किए वह विफल ही गए घाट के ऊपर कानवई लगाकर वाहन उतारने की बात भी सार्थक पहल नहीं ले पाई बाद बीच रोड पर टंकिया रखी जो आज भी यथावत है लेकिन दुर्घटनाएं नहीं थमी हैं।

इधर विधायक ने फिर दिए आंदोलन के संकेत: व्यवस्था पर आरोप लगाते हुए विधायक ने बताया कि कांग्रेस का शासन कार्य महज डेढ़ साल रहा फिर भी उन्होंने अपने शासन में भी भरसक प्रयत्न किए कि गणेश घाट पर सुधार हो पिछले कई वर्षों से भाजपा सत्ता में काबिज़ है परिवहन मंत्री से लेकर सभी दूर अवगत कराया गया बढ़ती मौतों का आंकड़ा चिंता का विषय है।  विधायक ने कहा कि यदि सुधार कार्य नहीं हुआ तो फिर बड़े स्तर के आंदोलन के लिए वे तैयार हैं।

मानव अधिकार ने भी लिया मामला संज्ञान में:  इधर नगर के समाजसेवी महेश सोढ़ानी ने भी गणेश घाट पर हो रहे हादसों के आंकड़े और उनके गंभीर परिणाम ओर जा रही निर्दोषों की जान को लेकर मानव अधिकार को इस बारे में लिखा। जिस पर मानव अधिकार ने भी पहल कर धार पुलिस अधीक्षक को पत्र जारी कर उचित कार्रवाई के लिए आश्वासित किया था

नया डीपीआर अधर में ही है: तमाम नेता और दोनों दल के प्रतिनिधि जब भी गणेश घाट पर कुछ सामायिक चिंता व्यक्त कर सुधार कार्य की बात करते हैं तो संबंधित विभाग डीपीआर जिसमें नवीन घाट स्वीकृत है जल्द निर्माण करने की बात कहते हैं लेकिन पिछले पांच साल से स्वीकृति डीपीआर की सार्थक पहल धरातल पर मूर्त रूप नहीं ले पाई खामियाजा यह है कि लगातार निर्दोष लोग अपनी जान गवां रहे कई परिवार उजड़ चुके हैं लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान कहीं से कहीं तक नहीं है



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