तापमान गिरने से मौसम हुआ ठंडा, रबी फसलों की वृद्धि के लिए और ठंड की जरूरत


कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्दी का मौसम गेहूं-चने की फसल के ठंड पर अनुकल होता है, लेकिन इस बार ठंडक की देरी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी थी।


आशीष यादव आशीष यादव
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dhar rabi crops and winter

धार। इस साल के अंत के दिनों में ठंड ने अपने ठंडक के तेवर दिखाए हैं। रबी की फसलों के दो माह होने के बाद मौसम ने अंगड़ाई ली है और फसलों की वृद्धि पर भी असर डाला है।

दिसंबर जाते-जाते ठंड ने अपनी चमक दिखाई है। माह के आखिरी दिनों में मौसम में बदलाव आया है। बीते दो-तीन दिनों से ठंड का असर तेज हुआ है। सुबह और शाम पारे में गिरावट की वजह से आई ठंड का असर तेज होने से लोगों ने गर्म कपड़े पहनना शुरू कर दिए हैं।

दूसरी ओर, मौसम में ठंडक आने के कारण फसलें लहलहाने लगी हैं। इसके पहले लगातार तेज धूप के कारण फसलें प्रभावित कर रही थीं। सर्द हवाएं और ओस की बूंदें गेहूं की फसल में जान डाल रही हैं।

किसान भी इन दिनो खेती-बाड़ी में व्यस्त है। जानकारों का मानना हैं कि ऐसा मौसम रबी की फसल के लिए मुफीद रहता है। अगर यह मौसम 15 दिन भी रहा तो पैदावार में बढ़ोतरी के साथ गेहूं के रंग में भी चमक आ सकती है जिससे उत्पादन बढ़ता है।

गर्म कपड़ों ने ली अपनी जगह –

पिछले करीब दो दिन से मौसम में ठंड महसूस की जा रही थी। ऐसे में गेहूं-चने की फसल के लिए यह ठंड फायदेमंद है। अचानक बदले इस मौसम के कारण एक बार फिर लोग शॉल, स्वेटर और गर्म कपड़ों में नजर आए।

अगर ठंड लगातार गिरती है तो पानी की बचत होती है। किसानों का कहना है कि समय रहते तेज ठंड गिरती है तो फसलों को एक पानी कम ही देना पड़ेगा। जिन्होंने लंबी वैरायटी यानी देर से पकने वाली गेहूं की फसल की बोवनी की है उनके लिए फायदा रहेगा।

मौसम अनुकूल नहीं, रकबा बढ़ा –

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्दी का मौसम गेहूं-चने की फसल के ठंड पर अनुकल होता है, लेकिन इस बार ठंडक की देरी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी थी।

गेहूं का रकबा इस वर्ष जहां 2 लाख 98 हजार हेक्टेयर रहा, जो गत वर्ष से इस बार ज्यादा है। चने के रकबे में कोई खास फेरबदल इस बार देखने को नही मिला।

गत वर्ष की ही तरह इस बार भी यह रकबा करीब 7 हजार 500 हेक्टेयर के आसपास ही बना हुआ है। वही इस बार ठंड की लेट लतीफ़ी ने फसलों में थोड़ी जान ला दी।

मौसम में बदलाव से बढ़ेगीं बीमारियां –

बदलते मौसम में सेहत के प्रति बेहद संवेदनशील रहने की जरूरत है। ऐसे में डॉक्टरों का कहना है कि सावधानी नहीं बरती तो बीमारियां घेर सकती हैं इसलिए और सतर्कता बरतनी होगी।

सरकारी अस्पतालों में खांसी और दर्द के मरीज बढ़ने लगे हैं और अभी भी अस्पतालों में भीड़ है। वहीं सुबह-शाम ठंडक हो रही है और दोपहर में भी मौसम ठंडा हो रहा ऐसे में सतर्कता बरतने की जरूरत है।

डॉक्टरों की सलाह है कि गर्म और पूरी आस्तीन के वस्त्र पहनें। सर्द मौसम में सांस के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है।

तापमान में उतार-चढ़ाव बरकरार –

मौसम विभाग के अनुसार ठंड का मौसम अक्टूबर-नवबंर से शुरू माना जाता है और ठंड की नवंबर से शुरुआत हो जाती है। दिसंबर पूरा बीत गया मगर आखिरी दिनों में ठंड आई और कड़ाके की ठंड दिसंबर के आखिरी वक्त के बाद भी नहीं आई है।

दिसंबर की बात करें तो पहले हफ्ते कुछ दिन तापमान में गिरावट दर्ज की गई थी। उसके बाद बार-बार तापमान में बदलाव आ रहा है। शनिवार को तापमान में गिरावट दर्ज की गई।

वहीं रविवार को अधिकतम और न्यूनतम तापमान में फिर से कमी आई है। अधिकतम तापमान में 3.7 डिग्री और न्यूनतम तापमान में 2 डिग्री की गिरावट हुई है।

माना जा रहा है इस बार पश्चिमी विक्षोभ नहीं आने के कारण ऐसा हो रहा है। फिलहाल अधिकतम तापमान 22.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 8.7 डिग्री सेल्सियस पर है।

फसल चक्र बिगड़ा, कम तापमान की जरूरत –

मौसम चक्र लेट हो रहा है। इसका असर फसलों पर देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि इस मौसम में इस गेहूं की फसलों में बाली आने लग गई ओर फसलों की उम्र भी आधी होने को आई ओर ठंड ने अपना ज्यादा असर नहीं दिखाया।

गेहूं की कई जगह फसल की शुरुआत है। इस दौरान कम तापमान जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फसलों की फुटान व उत्पादन पर इसका असर होगा। इसका सीधा असर व्यापार पर भी पड़ेगा।

ठंड की दरकार –

बता दें कि इस बार दिसंबर बीतने को है मगर एक-दो दिन में यह ठंड चमकी है। अगर ठंड नहीं गिरती है तो गेहूं की फसलों में उत्पादन पर भी इसका असर पड़ेगा। आने वाले दिनों में ठंड गिरती है तो गेहूं अच्छा होगा – अनिल यादव, किसान, सकतली

गेहूं के लिए ठंड आवश्यक –

रबी के लिए गेहूं की फसल में ठंड जीवनदायिनी के रूप में काम करती है। यदि इस फसल को ठंड नहीं मिलती है तो फसलों के दाने के उत्पादन के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ेगा – गोपाल यादव, किसान, बिलोदा



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