इंदौर से महाराष्ट्र तक पहुंचा आंबेडकर जन्मस्थली का विवाद, मौजूदा समिति के खिलाफ शुरु होगा बड़ा आंदोलन


पूर्व सदस्य मोहन राव वाकोड़े ने मौजूदा समिति पर गैरकानूनी नियुक्तियों, आर्थिक अनियमितताओं सहित आंबेडकर जन्मस्थली पर बाबा साहेब के विचारों के विरुद्ध राजनीति करने के लगाए हैं आरोप, महाराष्ट्र के कई शहरों से होती हुई 19 को महू आएगी यात्रा, बड़ा सर्मथन जुटाने की है तैयारी


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
आंबेडकर जन्मस्थली स्मारक, महू


इंदौर। महू में डॉ. भीम राव आंबेडकर की जन्मस्थली समित को लेकर छिड़ा विवाद अब लगातार बढ़ रहा है। यह विवाद अब इंदौर की सीमा से आगे महाराष्ट्र तक जा पहुंचे हैं और इसे लेकर मौजूदा समिति का विरोध तेज़ हो गया है। समिति के सदस्यों पर बाबा साहेब की विचारों के खिलाफ़ जाकर राजनीति करने और आर्थिक अनियमितता जैसे कई गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि अब इस मामले में देशभर के संगठन एकजुट होकर मौजूदा समिति और राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरु करेंगे। यह आंदोलन भीम ज्योति मशाल यात्रा के रुप में महाराष्ट्र से शुरु होगा और 19 फरवरी को यह यात्रा महू पहुंचेगी।

आंबेडकर स्मारक समिति महू के पूर्व सचिव मोहन राव वाकोड़े ने स्मारक रखरखाव के लिए बनाई गई मौजूदा समिति के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने इस मुद्दे पर देश के सभी हिस्सों से सर्मथन जुटाना शुरु कर दिया है और इसकी शुरुआत पुणे से की गई है। वाकोड़े ने शुक्रवार को पुणे में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और जाने-माने आंबेडकर अनुयायियों के साथ एक  प्रेस कान्फ्रेंस की। इस दौरान ससलम बागवान, विलास कीरोते, वकील राहुल जैन, राजू भाई पंजाबी और अपर्णा चक्रवर्ती जैसे सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।

पुणे में हुई प्रेस वार्ता

यहां उन्होंने स्मारक की मौजूदा समिति पर कई आरोप लगाए। यहां कहा गया कि मौजूदा समय में आंबेडकर स्मारक को राजनीति का केंद्र बनाया जा रहा है और वहां उन विचारों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिनका खुद डॉ. आंबेडकर कड़ा विरोध करते थे।

वाकोड़े ने मौजूदा समिति के सदस्यों पर कई और गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि समिति में शामिल लोगों ने स्मारक परिसर में रखें दान पात्रों के ताले तोड़े हैं और  दानपात्रों व संस्था के खाते में मौजूद पैसों का मनमाने तरीके से उपयोग किया है।

यही नहीं वाकोड़े ने आरोप लगाया समिति द्वारा लोगों पर दबाव डालकर चंदा वसूली की जा रही है और इसे नियमविरुद्ध खर्च किया जा रहा है। उन्होंने स्मारक समिति पर संस्था के बायलॉज के विपरीत गतिविधियां संचालित करने का आरोप भी लगाया।

मोहनराव  वाकोड़े ने कहा और कहा कि इस समिति का गठन ही गैरकानूनी तरीके से हुआ है। वाकोड़े ने कहा कि पुरानी समिति के दौरान ही कई सदस्यों को नियम विरुद्ध तरीके से समिति में सदस्य बनाया गया और फिर चुनाव करवाए गए इस तरह नई समिति में मन-मुताबिक लोगों को निर्णय लेने वालों के स्थान पर बैठाया गया। वाकोड़े सहित कुछ सदस्यों ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है और फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है।

इसे लेकर वाकोडे व दूसरे याचिकाकर्ताओं का कहना हैं की कि उक्त समिति में आम्बेड़करी विचारधारा की विपरित विचारधारा वाले राजनीतिक लोगों को षडयंत्र पूर्वक सदस्यता दिला कर स्मारक पर कब्जे की साजिश की गई है जिसका संपूर्ण अंबेडकर अनुयाई देशभर में विरोध कर रहे हैं। इस बारे में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण, भारतीय बौद्ध महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व व डॉक्टर अंबेडकर के प्रपौत्र राजरत्न आंबेडकर, मप्र पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाठकर सहित कई नामचीन दलित नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओ द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज करवाई जा चुकी है।

समिति के पूर्व सदस्यों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने कई बार शिकायतों के बावजूद भी मौजूद समिति की जांच नहीं की और अगर नियमानुसार ऐसा किया जाता तो यह विवाद बढ़ने से बच जाता। इसके बाद अब आंदोलन की तैयारी की जा रही है। यह आंदोलन नई स्मारक समिति और मप्र सरकार के विरोध में शुरु करने की बात की जा रही है। इसके तहत महाराष्ट्र से महू तक भीम ज्योति मशाल यात्रा 15 फरवरी को शुरु होगी। यह यात्रा  औरंगाबाद, जलगांव, भुसावल, नेपानगर होते हुए महू पहुंचेगी। इन सभी स्थानों पर रुककर इस आंदोलन के लिए सर्मथन जुटाया जाएगा। इसके बाद  19 अप्रैल को महू में डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर जन्मभूमि स्मारक पर अपनी मांगों को लेकर धरना आंदोलन शुरू किया जाएगा।

स्मारक समिति के वरिष्ठ सदस्यो का आरोप है कि उक्त विवादित समिति के संबंध में हाई कोर्ट में दो रिट याचिकाएं विचाराधीन है और हाईकोर्ट द्वारा एक अंतरिम आदेश जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि कोर्ट में लंबित प्रकरण के अंतिम निराकरण के समय जो भी आदेश जारी होगा व वर्तमान में सक्रिय  समिति और उसके पदाधिकारियों पर भी बंधनकारी होगा। ऐसे में स्पष्ट है कि वर्तमान में स्मारक पर सक्रिय समिति काम करने के लिए पूरी तरह आज़ाद नहीं हैं।  ऐसे विवादों की स्थिति में समिति को 14 अप्रैल तक  भंग किए जाने की मांग भी की गई है।



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