VIDEO: जैविक खेती कर बनाते है गुड़, 150 से 200 रुपये किलो में घर से ही हो जाती है बिक्री


देशगांव के संवाददाता ने जब किसान ईश्वर यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि वे गन्ने की खेती जैविक रुप से करते हैं। इसके लिए ना तो वे कोई दवाई का छिड़काव करते हैं और ना कोई यूरिया इस्तेमाल करते हैं। वे खेती में बस गोबर के खाद का इस्तेमाल करते हैं।


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इन्दौर Updated On :
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– विदेश तक जाता है गुड़, घर से ही बिक जाता है सारा गुड़।
– लोगों के कहने पर विशेष तौर पर बनाते हैं केसरिया व काजू-बादाम युक्त गुड़
– 200 रुपये प्रति किलो तक बिकता है इनका गुड़, लोगों को करना पड़ता है इंतजार
इंदौर। शहर से 30 किलोमीटर दूर स्थित तिल्लौर गांव में किसान ईश्वर यादव जैविक खेती कर गुड़ बनाने का काम करते हैं। ईश्वर यादव के मुताबिक, वह यह काम पिछले 50 सालों से कर रहे हैं।

देशगांव के संवाददाता ने जब किसान ईश्वर यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि वे गन्ने की खेती जैविक रुप से करते हैं। इसके लिए ना तो वे कोई दवाई का छिड़काव करते हैं और ना कोई यूरिया इस्तेमाल करते हैं। वे खेती में बस गोबर के खाद का इस्तेमाल करते हैं।

गुड़ बनाने के तरीके के बारे में उन्होंने बताया कि गुड़ बनाने के लिए सबसे पहले गन्ने का रस निकालते हैं, जिसके बाद रस को छानने के बाद करीब चार घंटे तक उसे कड़ाही में उबाला जाता है जिससे वह गाढ़ा हो जाता है।

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इसके बाद उसे लकड़ी के चाके में डाला जाता है, जिससे वह थोड़ा सूख जाता है। गुड़ की खोडियां भी वे खुद ही बनाते हैं क्योंकि खोड़ी को गोल आकार देना और किसी को नहीं आता है।  इनके हाथों से बनने वाली खोडियां भी लगभग एक किलो की होती है। रोजाना करीब चार से पांच क्विंटल गुड़ बनाया जाता है।

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किसान ईश्वर यादव ने बताया कि उन्हें गुड़ बेचने के लिए किसी मंडी में भी नही जाना पड़ता है। उनका बनाया हुआ गुड़ घर से ही बिक जाता है।

करीब 15 मजदूर करते हैं काम –
गुड़ बनाने के लिए गन्ने काटने से लेकर गुड़ तैयार करने तक रोजाना करीब 15 मजदूर यहां काम करते है, जिन्हें रोजाना दिहाड़ी भी दी जाती है।

केसरिया, काजू-बादाम युक्त गुड़ भी बनाते हैं –
यहां पर लोगों के कहने पर केसरिया व काजू-बादाम युक्त गुड़ भी बनाया जाता है। यहां खरीददार अपने हिसाब से गुड़ बनवाते हैं। इस गुड़ की कीमत सामान्य गुड़ से कई गुना ज्यादा होती है।

शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद है यह गुड़ – 
किसान ने बताया कि जिन लोगों को शुगर की बीमारी होती है, वह मीठा नहीं खाते हैं लेकिन शुगर के मरीज भी उनके यहां से गुड़ ले जाकर इसकी चाय व खाने की सामग्री बनाने में इस्तेमाल करते हैं। वह भी इस गुड़ का सेवन करते हैं।

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150 से 200 रुपये तक बिकता है गुड़ –
इनके गुड़ की कीमत सामान्य गुड़ की कीमत से काफी ज्यादा है। सामान्य गुड़ बाजारों में 30 से 40 रुपये प्रति किलो में मिल जाता है, लेकिन इनका गुड़ 150 से 200 रुपये तक बिकता है।

विदेश तक जाता है गुड़ –
शहर से आने वाले लोग अपने परिजनों के लिए विदेश तक गुड़ भिजवाते हैं। जो उन्हें भी काफी पसंद आता है। हर साल ठंड शुरू होते ही उनकी डिमांड भी आने लग जाती है।

इंतजार करना पड़ता है लोगों को –
किसान ने बताया कि वे बस ठंड के तीन माह ही गुड़ बनाने का कार्य करते हैं। ज्यादा डिमांड होने के कारण गुड़ की बिक्री भी जल्दी से हो जाती है, जिसके कारण कई लोगों को गुड़ के लिए इंतजार करना पड़ता है।



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