खरगोनः लापरवाह दुकानदारों के विरोध में खड़े हुए व्यापारी


दुकान के बजाय राहगीरों के लिए छोड़े गए फुटपाथ पर सामान जमा रहे है। विरोध करने पर विवाद किया जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि छोडे गए फुटपाथ पर सामान जमाने से न केवल पड़ोसी की दुकान ढंक जाती है बल्कि ग्राहकों को भी आने में परेशानी होती है।


kantilal-karma कांतिलाल कर्मा
खरगोन Published On :

खरगोन। शहर के मुख्य बाजार सहित अधिकतर सड़कों पर इन दिनों कुछ दुकानदारों ने अवैध कब्जे जमा रखे हैं। अतिक्रमण के कारण क्षेत्र के फुटपाथ चलने लायक नहीं बचे हैं। फुटपाथ का इस्तेमाल पैदल चलने वाले लोगों के बजाय दुकानदार व वाहन स्वामी कर रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रहा है।

दुकानदारों की मनमानी के खिलाफ अब खुद दुकानदार ही खड़े हो गए है। मंगलवार को न्यू राधावल्लभ मार्केट के व्यापारी कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां शिकायती आवेदन सौंपते हुए क्षेत्र में दुकान के बाहर सामान जमाकर व्यापार करने वाले व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

व्यापारी भुपेंद्र चौहान, मनोज पाटीदार, विकास राठौड़, अश्विन पाटीदार आदि ने बताया कि न्यू राधावल्लभ आरती टॉकिज वाली गली के दुकानदार इन दिनों मनमानी पर उतर आए है।

दुकान के बजाय राहगीरों के लिए छोड़े गए फुटपाथ पर सामान जमा रहे है। विरोध करने पर विवाद किया जा रहा है। व्यापारियों का कहना है कि छोडे गए फुटपाथ पर सामान जमाने से न केवल पड़ोसी की दुकान ढंक जाती है बल्कि ग्राहकों को भी आने में परेशानी होती है।

डायवर्सन रोड़ पर भी यही हाल:  उल्लेखनीय है कि नपा ने शहर विकास और सौंदर्यीकरण के दौरान डायवर्सन रोड़ पर फुटपाथों को ऊंचा कर दिया था। इसके बाद चार पहिया वाहन को फुटपाथ पर चढ़ाना आसान नहीं रहा। नपा ने यह फुटपाथ पैदल राहगिरों के लिए बनाए थे लेकिन समय के साथ यह दुकानदारों ने खुद की

संपत्ति समझते हुए सामान जमाना शुरु कर दिया है। स्थिति यह है सुबह सड़क की पटरियां जहां सूनी पड़ी रहती हैं लेकिन दिन जैसे.जैसे आगे बढ़ता है, इस पर कब्जा शुरू हो जाता है। दुकानदार अपनी दुकानों का सामना बाहर तक फैला देते हैं तो ठेले वाले जगह.जगह अपना व्यवसाय चलाने में व्यस्त हो जाते हैं।

दोपहर होते.होते चलने के लिए रास्ता तक नहीं बचता है। फुटपाथ पर अतिक्रमण के आगे प्रशासन बेबस दिखता है। अतिक्रमण ने तो जैसे पूरी तरह सड़क के फुटपाथ को लील लिया है। ऐसे में पैदल यात्रियों को सड़क दुर्घटनाओं का अंदेशा हमेशा बना रहता है। लोगों का कहना है कि असुविधा की स्थिति में जरा भी टोकने पर लोगों को दुकानदारों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है।

पैदल चलने वाले लोगों को मजबूरन तेज रफ्तार वाहनों के बीच पैदल चलना पड़ रहा है। लोगों का आरोप है कि इस उदासीनता के पीछे चंद लोगों का स्वार्थ जिम्मेदार है, जिसके कारण समाधान होने के बजाय समस्याएं उल्टा लोगों की सुविधाओं पर हावी होती जा रही हैं।



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